जाने क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन? इंद्र-वृत्रासुर के संग्राम से जुड़ी है कहानी

हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में भाई की कलाई पर राखी बांधने से उन्हें जीवन में सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है. इस वर्ष रक्षाबंधन पर्व की तिथि को लेकर लोगों में उलझन बनी हुई है. 30 या 31 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने पर संशय है. ऐसे में दो दिन पर्व मनेगा.

सनातन धर्म में रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व है. वैसे तो रक्षाबंधन के त्योहार से जुड़ीं कई कहानियां प्रचलित हैं, मगर हम आपको बताने जा रहे हैं सबसे रोचक ऐतिहासिक और पौराणिक कहानी, जिसे इस त्योहार की शुरुआत भी माना जाता है.

माना जाता है कि एक बार दैत्य वृत्रासुर ने इंद्र का सिंहासन हासिल करने के लिए स्वर्ग पर चढ़ाई कर दी. यह देवासुर संग्राम 12 वर्षों तक चलता रहा. इस युद्ध में देवता पक्ष कमजोर पड़ रहे थे. वृत्रासुर बहुत ताकतवर था और उसे हराना आसान नहीं था. हताश होकर देवराज इंद्र गुरु बृहस्पति के पास पहुंच अपनी व्यथा सुनाई.

देवराज इंद्र की पीड़ा इंद्राणी ने भी सुना जिसके बाद युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए उनकी बहन इंद्राणी ने अपने तपोबल से एक रक्षासूत्र तैयार किया और इंद्र की कलाई पर बांध दिया. इस रक्षासूत्र ने इंद्र की रक्षा की और वह युद्ध में विजयी हुए. तभी से बहनें अपने भाइयों की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर राखी बांधने लगीं.

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