ट्रूडो ने कनाडा की संसद में नाजी इकाई के सैनिक को सम्मान दिए जाने के लिए माफी मांगी

ओटावा: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक नाजी इकाई के लिए लड़ाई लड़ने वाले एक व्यक्ति को कनाडा की संसद में सम्मान दिए जाने पर माफी मांगी है। इस घटना की वैश्विक स्तर पर निंदा हुई और विपक्ष ने इसे देश के इतिहास में ”सबसे बड़ी राजनयिक शर्मिंदगी” करार दिया है। कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या को लेकर भारत के साथ देश के बिगड़ते संबंधों के कारण ट्रूडो पहले से ही दबाव में हैं। ट्रूडो ने कहा कि घटना के मद्देनजर कनाडा सरकार ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से संपर्क किया जो पिछले सप्ताह कार्यक्रम के दौरान संसद में मौजूद थे।

रूस यूक्रेन में अपने विरोधियों को ”नव-नाजी” (नियो-नाजी) कहता है। जेलेंस्की एक यहूदी हैं और ‘होलोकॉस्ट’ में अपने रिश्तेदारों को खो चुके हैं। होलोकॉस्ट यहूदियों के खात्मे का योजनाबद्ध प्रयास था जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय अंजाम दिया गया था और इसमें करीब 12 लाख लोगों की जान गई थी। स्पीकर एंथनी रोटा ने 98 वर्षीय यारोस्लाव हुंका को आमंत्रित करने की जिम्मेदारी ली और मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस घटना की वैश्विक निंदा हुई है। हुंका ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक नाजी इकाई की ओर से लड़ाई लड़ी थी। उन्हें संसद में लोगों ने खड़े होकर सम्मान दिया और यूक्रेनवासी एवं कनाडा के ”नायक” के तौर पर उनकी प्रशंसा की।

हुंका ने 14वें वैफेन-एसएस ग्रेनेडियर डिवीजन में सेवा दी थी जो एक स्वयंसेवी इकाई थी जिसमें नाजी कमान के अंतर्गत ज्यादातर जातीय यूक्रेनी थे। डिवीजन के सदस्यों पर पोलैंड के और यहूदी नागरिकों की हत्या के आरोप हैं। हालांकि न्यायाधिकरण द्वारा इकाई को किसी युद्ध अपराध का दोषी नहीं पाया गया है। ट्रूडो ने पत्रकारों से बातचीत में इस विवाद के उजागर होने के बाद पहली बार हाउस ऑफ कॉमन्स को व्यक्तिगत रूप से संबोधित करने की अपनी योजना का संकेत दिया। उन्होंने कहा, ”यह भूलवश हुआ लेकिन इससे संसद और कनाडा को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। शुक्रवार को जो भी लोग सदन में मौजूद थे उन्हें इस बात पर गहरा खेद है कि उन्होंने उस व्यक्ति का खड़े होकर तालियां बजाकर अभिवादन किया जबकि वे पूरे संदर्भ से बिल्कुल अनजान थे।”

‘सीटीवी न्यूज’ की खबर के अनुसार, उन्होंने घटना को ”उस नरसंहार में मारे गए लाखों लोगों के लिए ”अपमानजनक” बताया और कहा कि यहूदी लोगों के साथ साथ यह पोलैंड, रोमानियाई लोगों एवं एलजीबीटीक्यू प्लस समुदायों के लिए ”बेहद दुखद और पीड़ादायक” है, जिन्हें ”नाजी नरसंहार में निशाना बनाया गया था”।

ट्रूडो ने कहा कि निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ के स्पीकर ने उस व्यक्ति को आमंत्रित किए जाने और उसे संसद में सम्मान दिए जाने की ”अकेले जवाबदेही ली”। विवाद होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत तौर पर हाउस ऑफ कॉमंस को संबोधित किया। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा इस घटना के लिए ”अत्यंत क्षमाप्रार्थी” है । उन्होंने इस तरह की घोर त्रुटि को ”बेहद परेशान करने वाला” बताया।

प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा, ”शुक्रवार का संयुक्त सत्र (व्लादिमीर) पुतिन की क्रूरता, झूठ और हिंसा के खिलाफ यूक्रेन को हमारा समर्थन जताने के लिए था। यह क्षण यूक्रेन के बलिदान को सम्मान और मान्यता देने के लिए था क्योंकि वे अपने लोकतंत्र, स्वतंत्रता, अपनी भाषा, संस्कृति और शांति के लिए लड़ रहे हैं। कनाडा ने द्वितीय विश्वयुद्ध में इन्हीं का समर्थन किया था और आज भी वह अपने इसी रुख पर कायम है।”

रोटा के इस्तीफे से शुरुआती कड़वाहट शांत होती प्रतीत हो रही है, जबकि कन्जरवेटिव पार्टी के नेता पीयरे पोलिवरे और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह उन लोगों में शामिल हैं जो ट्रूडो पर यहूदी पैरोकार समूहों से निजी तौर पर माफी मांगने के लिए दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कनाडा के लोगों के लिए पर्याप्त नहीं था जो इस भूल से शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं।

पोलिवरे ने कहा कि संसद में जेलेंस्की के ऐतिहासिक संबोधन में हिस्सा लेने के लिए हुंका को आमंत्रित करना देश के इतिहास में ”सबसे बड़ी राजनयिक शर्मिंदगी” है। प्रश्नकाल के दौरान सिंह ने सवाल किया कि ट्रूडो को माफी मांगने में इतना लंबा वक्त क्यों लगा जबकि पोलिवरे ने कहा कि देश की ओर से ट्रूडो की माफी काफी नहीं है।

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