तस्वीरें लेते हुए लगाएँ बाल अधिकार का लेंस, संवेदनशील फोटोजर्नलिस्ट ला रहे हैं बड़े बदलाव : यूनिसेफ
लखनऊ, 3 जुलाई 2024: तस्वीरों के द्वारा बच्चों के हक में बड़े बदलाव लाने के उद्देश्य से यूनिसेफ एवं दा यूथ फोटोजर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा ‘क्लिक्स फॉर चेंज फॉर एव्री चाइल्ड’ संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में बाल अधिकारों को सुनिश्चित करने में फोटोजर्नलिस्ट की भूमिका पर चर्चा की गई एवं बच्चों से जुड़े विषयों को प्राथमिकता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से कवर करने पर ज़ोर दिया गया।
संगोष्ठी में यूनिसेफ के प्रोग्राम मैनेजर डॉ अमित मेहरोत्रा ने कहा, “इस वर्ष यूनिसेफ भारत में अपने 75 वर्ष मना रहा है। इन 75 वर्षों में यूनिसेफ द्वारा सरकार और सभी हितधारकों के साथ मिल कर बच्चों के सर्वांगीण विकास, खासतौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सहभागिता एवं सुरक्षा पर कार्य किये गए हैं। इन सभी उपलब्धियों एवं ज़मीनी हकीकत और बदलाव की कहानियों को दर्शाने में मीडिया और तस्वीरों का विशेष योगदान रहा है।“
डॉ मेहरोत्रा ने सभी फोटोजर्नलसिट को बच्चों के अधिकारों के प्रति सजग रहने और उनके विषयों से जुड़े मुद्दों को सामने लाने के लिए प्रेरित किया।
यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने भारत सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट एवं यूनिसेफ द्वारा बच्चों की फोटोग्राफी के लिए बनाए गए कोड ऑफ कन्डक्ट के विषय में बताया। उन्होंने कहा, “तस्वीर लेते हुए इस बात का ध्यान सदैव रखना चाहिए की फोटो से बच्चे को किसी भी प्रकार से कोई नुकसान न पहुंचे। बच्चों की निजता और परिस्थिति की सत्यता को सदैव बनाए रखते हुए बच्चों के सर्वोत्तम हित में ही फोटो जर्नलिस्ट को कार्य करना चाहिए”।
यूनिसेफ एवं दा यूथ फोटोजर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस पर एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। दा यूथ फोटोजर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री साहिल सिद्दीकी ने बताया, “फोटो प्रदर्शिनी एवं प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए ‘स्वस्थ बच्चों के लिए स्वस्थ पर्यावरण : जालवायु परिवर्तन से बच्चों का बचाव’ एवं ‘बचपन से किशोरावस्था तक प्यार भरी देखभाल’ विषय से जुड़ी तस्वीरें साझा करनी होंगी। यह तस्वीरें 1 जनवरी 2023 से 5 अगस्त 2024 के बीच ली गई होनी चाहिए। प्रतिभाग करने के लिए फोटो भेजने की अंतिम तिथि 5 अगस्त 2024 है। प्रतियोगिता की विस्तृत जानकारी The Youth Photojournalist Association के सोशल मीडिया पेज पर उपलब्ध होगी।
संगोष्ठी में जल वायु परिवर्तन के बच्चों पर प्रभाव पर विशेष चर्चा हुई। यूनिसेफ के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ विजय अगरवाल ने एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण में कहा, “जल वायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित बच्चे ही हैं क्योंकि उन्हें ही इसके दुष्परिणाम सबसे लंबे समय तक झेलने होंगे।“ डॉ विजय ने बताया की वायु प्रदूषण, अधिक गर्मी एवं लेड आदि केमिकल के प्रभाव बच्चों के भविष्य से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण चिंताजनक विषय हैं।
यूनिसेफ के जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ श्री नगेन्द्र प्रताप सिंह ने जल वायु परिवर्तन के कारण खाद्य पदार्थों पर हो रहे प्रभाव पर चर्चा की एवं किचेन गार्डन बनाने एवं अधिक से अधिक पौधे लगाने की बात कही। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए मिशन लाइफ के भी विषय में बताया और जल वायु परिवर्तन से बचने के लिए अपने दैनिक जीवन में छोटे नियम अपनाकर बड़े प्रभाव लाने की बात कही। वरिष्ठ छायाकार श्री प्रशांत विश्वनाथन ने डेवलोपमेंट सेक्टर में फोटोग्राफी की बारीकियों पर प्रकाश डाला एवं संभावनाओं की भी चर्चा की।उन्होंने बच्चों की फोटो लेने से पूर्व उनकी एवं उनके परिवार की सहमति/ अनुमति लेने पर जोर दिया।
यूनिसेफ के बाल सुरक्षा अधिकारी श्री दिनेश कुमार ने बच्चों की फोटोग्राफी से जुड़े कुछ कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया की संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि एवं जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट 2015 में बच्चों की निजता एवं सम्मान पर विशेष ज़ोर दिया गया है। उन्होंने बताया की यौन शोषण एवं एच आई वी पीड़ित आदि बच्चों की पहचान उजागर करने के लिए सजा एवं जुर्माने का भी प्रावधान है।
वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट ने भी बच्चों की फोटोग्राफी से जुड़े अपने अनुभव साझा किए एवं कुछ चुनिंदा अभियानों की फोटो भी दिखाई जिनमें तस्वीरों के कारण बच्चों के हित में सरकार द्वारा संज्ञान लिया गया। सत्र में वरिष्ठ फोटोजर्नलिस्ट श्री मनोज छाबड़ा, श्री बिन्दु अरोरा, संदीप रस्तोगी, दीपक गुप्ता, सुनील कुमार सहित कुछ युवा फ्रीलांस फोटोग्राफर ने भी प्रतिभाग किया।