दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना काठमांडू, क्या Everest पर पड़ेगा कोई असर?
दुनिया के सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहरों की सूची में, टॉप 10 शहरों में नेपाल की राजधानी काठमांडू सबसे पहले स्थान पर बरकरार है. इसकी वजह है जंगलों में लगी आग, जिससे विज़िबिलिटी भी प्रभावित हो रही है.
दुनिया के 101 शहरों में रियल-टाइम प्रदूषण को चेक करने वाली संस्था IQ Air के मुताबिक, रविवार की दोपहर काठमांडू, 190 का आंकड़ा पार कर, वायु गुणवत्ता सूचकांक में पहले स्थान पर आ गया.
फोरा दरबार में अमेरिकी दूतावास के एयर क्वालिटी मेज़रिंग स्टेशन के मुताबिक, काठमांडू का AQI 200 के आंकड़े का पार कर गया है, जिसका मतलब है कि यहां की हवा सांस लेने के लिए ज़हरीली है. जैसे-जैसे AQI बढ़ रही है, वैसे-वैसे शहर में विज़िबिलिटी भी कम होती जा रही है.
कांठमांडू के रहने वाले रमेश देवकोटा का कहना है, ‘पिछले दिनों जब मैं यहां आया था तो धरहरा टॉवर साफ तौर पर दिखाई दे रहा था, लेकिन अब मुझे ये खोजना पड़ा रहा है, क्योंकि शहर में धुंध छाई हुई है. मैं काठमांडू में प्रदूषण के स्तर को महसूस कर पा रहा हूं.’
पिछले गुरुवार वानिकी और पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाले पर्यावरण विभाग ने कहा कि काठमांडू घाटी और देश के मधय और पूर्वी हिस्सों में वायु प्रदूषण का स्तर स्थानीय स्रोतों की वजह से बढ़ रहा है, जैसे- आग और पराली का जलाया जाना. देश के 140 जगहों से इसके प्रमाण मिले हैं.
पिछले एक सप्ताह से जलने से निकलने वाला धुंआ उड़ता हुआ इस कटोरेनुमा घाटी में आकर बस रहा है. एक्सपर्ट और डॉक्टरों का कहना है कि मास्क पहनकर ही इसके दुष्परिणामों से बचा जा सकता है.
एक सप्ताह पहले स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी थी, ताकि वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम किया जा सके. वायु प्रदूषण के इस स्तर की वजह से बच्चे, बुजुर्ग, सांस के मरीज़ और ह्रदय रोगी ज़्यादा प्रभावित हुए हैं. पर्यावरण मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे बाहर निकलते वक्त विशेष सावधानी बरतें.
वायु प्रदूषण की वजह से पिछले कुछ सालों में सासंस की बीमारियों,फेफड़ों के कौंसर, ह्रदय रोगी, हाई ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक के मरीज़ों की संख्या बढ़ी है. शोध से पता चलता है कि 2019 में नेपाल में 42,000 लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हो गई थी. मौत की कुल संख्या में से 19 प्रतिशत मौतें 5 साल से कम उम्र के बच्चों की थीं और 27 प्रतिशत 70 साल से ज़्यादा की उम्र वाले लोगों की.