नीतीश को बीजेपी से दर्द तो बहुत हैं, लेकिन बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के लिए कैंसर बनी बस ये दो बात
पटना: बिहार की सियासत आज फिर एक नए मोड़ पर खड़ी है। सीएम नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा इस पर बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस, हम और बिहार में सक्रिय हर राजनीतिक दल की नज़र है। इसके साथ ही बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के इस मुकाम तक पहुंच जाने की वजहों को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चचाएं आम हैं। जानकारों का कहना है कि यूं तो बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान और नतीजों के तुरंत बाद से ही नीतीश कुमार कुछ खफा-खफा नज़र आने लगे थे लेकिन जिन दो वजहों ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के लिए कैंसर का काम किया उनमें से एक हाल में बीजेपी द्वारा पटना में अपने विभिन्न मोर्चों की संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर 200 विधानसभा सीटों के लिए रूपरेखा तैयार करना और दूसरी विधानसभा में स्पीकर विजय कुमार सिन्हा से नीतीश कुुुुमार की तीखी बहस होना है।
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान जिस तरह जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किए और बीजेपी से दोस्ताना सम्बन्धों की दुहाई देते रहे वो नीतीश कुमार को जेडीयू की कम सीटें आने के पीछे सबसे बड़ी वजहों में से एक लगी। बता दें कि पिछले चुनाव में जेडीयू की सिर्फ 43 सीटें आईं। जेडीयू नेताओं ने इसकी समीक्षा में कहा कि ऐसा जनाधार में कमी की वजह से नहीं बल्कि षड़यंत्र की वजह से हुआ। अब तो जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने साफ तौर पर कह भी दिया कि तब एक मॉडल तैयार किया गया था जिसका नाम था चिराग पासवान और दूसरा चिराग मॉडल (इशारा आरसीपी सिंह की ओर) तैयार किया गया है। अब लल्लन सिंह या अन्य जेडीयू नेता इस षडयंत्र के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं यह किसी से छिपा नहीं है। पिछले दिनों राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के लिए बुलाई बैठक में भी चिराग पासवान को बुलाए जाने के बाद जेडीयू नेताओं की नाराजगी सामने आई थी। नेताओं का कहना था कि एक तरफ भाजपा चिराग पासवान को एनडीए का हिस्सा नहीं मानती है तो दूसरी तरफ इस तरह की बैठकों में बुलाती है।
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आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के पीछे की कहानी भी बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के खटाई में पड़ने की सबसे बड़ी वजहों से में एक है। आरसीपी सिंह के हाल ही में जेडीयू छोड़कर जाने के पीछे भाजपा का हाथ बताया जा रहा है। दरअसल, जेडीयू ने एनडीए गठबंधन से केंद्र में दो मंत्री पद मांगे थे लेकिन बीजेपी हाईकमान इस पर राजी नहीं हुआ। इसके चलते सीएम नीतीश कुमार ने राय बनाई कि मंत्रिमंडल से बाहर रहना चाहिए लेकिन जेडीयू अध्यक्ष रहते हुए आरसीपी सिंह खुद केंद्रीय मंत्री बन गए।
इसके बाद सीएम नीतीश की नाराजगी सामने आई। उन्होंने आरसीपी सिंह को राज्यसभा में नहीं भेजा। कड़वाहट इतनी बढ़ी कि वर्षों का साथ पीछे छूट गया और रविवार को आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब जेडीयू ने ऐलान किया है कि वो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन (ललन सिंह) ने कहा कि 2019 में ही आम सहमति के बाद सीएम नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कह दिया था कि जेडीयू केंद्र सरकार में शामिल नहीं होगी। जेडीयू से अलग होने के बाद अपनी पुरानी पार्टी को डूबता जहाज बताने वाले आरसीपी सिंह को आड़े हाथों लेते हुए ललन सिंह ने कहा कि जेडीयू डूबता जहाज नहीं है बल्कि तैरता हुआ जहाज है। कुछ लोग इसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। उस जहाज में छेद करना चाहते हैं। सीएम नीतीश कुमान ने उनकी पहचान कर ली है।