प्राकृतिक खेती, गो-आधारित कृषि की एक प्राचीन परम्परा: गृह एवं सहकारिता मंत्री
लखनऊ: गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार अमित शाह ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘नेचुरल फार्मिंग एण्ड डिजिटल एग्रीकल्चर’ के सम्बन्ध में आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती, गो-आधारित कृषि की एक प्राचीन परम्परा है। बैठक आयोजित करने का उद्देश्य राज्यों का प्राकृतिक खेती एवं डिजिटल कृषि विषय पर ध्यान आकर्षित करना है, जिससे उनके द्वारा इस सम्बन्ध में लिये गये इनिशियेटिव तथा संकल्प, परिणाम देने वाले तथा एक दिशा की ओर ले जाने वाले हों। उन्होंने सभी राज्यों द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती से सम्बन्धित पाठ्यक्रम को शामिल किये जाने पर बल देते हुए कहा कि गोशालाओं को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए शासकीय व्यवस्था बनायी जाए।
गृह एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार ने कहा कि देश को जरूरत के हिसाब से कृषि उत्पादन करना है, तो डिजिटल कृषि को अपनाना होगा। डिजिटल कृषि से किसान मोबाइल पर कृषि सेवाओं और परामर्श की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। किसानों को समयबद्ध व सटीक फसल एडवायजरी मिल सकेगी। डिजिटल कृषि के अन्तर्गत सभी किसानों के कृषि क्षेत्रों को शामिल किया जाए, तो किसानों के उत्पादन का एक्सपोर्ट होगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज अपने सरकारी आवास से इस बैठक में वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए। इस अवसर पर प्राकृतिक खेती और डिजिटल कृषि के महत्व के सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण किया गया। इस बैठक में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री मनसुख एल0 मंडाविया तथा विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए।
मुख्यमंत्री जी ने बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्राकृतिक खेती के विजन को जिस मजबूती के साथ देश में लागू किया जा रहा है, वह अन्नदाता किसानों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने और उनकी आमदनी को कई गुना बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा। ‘कम लागत व अधिक उत्पादन’ का एकमात्र मंत्र प्राकृतिक खेती ही हो सकता है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में देश प्राकृतिक खेती के माध्यम से अपनी आस्था के सम्मान के साथ ही अन्नदाता किसानों की समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में बुन्देलखण्ड के सभी 07 जनपद के 47 विकास खण्डों में प्राकृतिक खेती के सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी कर सब्सिडी भी दी है। प्रदेश में गंगा के तटवर्ती सभी 27 जनपदों के 105 विकास खण्डों में प्राकृतिक खेती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है। वर्तमान में प्रदेश के 04 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों एवं 89 कृषि विज्ञान केन्द्रों को प्राकृतिक खेती के अभियान से जोड़ा गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के 01 लाख 25 हजार किसान आज प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके हैं। प्रदेश में 01 लाख 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती प्रारम्भ हो चुकी है। इस वर्ष मानसून में कम बारिश हुई, जिन स्थानों पर गो-आधारित प्राकृतिक खेती की गयी, वहां पर कम बारिश के बावजूद फसल अच्छी हुई है। फसलों के उत्पादन हेतु जिन स्थानों पर फर्टिलाइजर या केमिकल का उपयोग ज्यादा हुआ, वहां फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार शीघ्र ही प्राकृतिक खेती बोर्ड की घोषणा करने जा रही है। इसके माध्यम से प्राकृतिक खेती और औद्यानिक फसलों को वैश्विक मंच तक पहुंचाने में सफलता मिलेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्राकृतिक खेती भारतीय नस्ल के गोवंश के संरक्षण के साथ ही अन्नदाता किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने भू-मानचित्रों को स्कैन, डिजिटाइज्ड तथा जी0आई0एस0 रेडी कर खतौनी के डाटा (भूलेख) से लिंक करने का 96 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया है। राज्य सरकार ने एन0आर0एस0ए0, हैदराबाद से जियो रेफरेंस्ड कराये जाने तथा मानचित्र उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। यह अन्नदाता किसानों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होगा। इससे शासन एवं किसानों के पास रियल टाइम भू-अभिलेख की जानकारी होगी। किसानों के साथ किसी भी स्तर पर धोखाधड़ी को रोकने के लिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण पहल है। दिसम्बर, 2022 तक उत्तर प्रदेश के समस्त भू-मानचित्रों को इस प्रक्रिया से जोड़े जाने की कार्यवाही की जा रही है। इससे सभी को लाभ मिलेगा।