नई मांगें जोड़ते रहने से तुरंत नहीं हो सकता समाधान, सरकार बोली- समझें किसान

नई दिल्ली: किसानों का प्रदर्शन जारी है। इसी बीच मंगलवार को सरकार ने कह दिया है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसानों को लगातार नई मांगों को जोड़ने से बचना चाहिए। हालांकि, खबरें हैं कि सरकार ने किसानों की कुछ मांगों को मान लिया है। इसमें पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को तय प्रक्रिया के बाद वापस लेना शामिल है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, ‘चंडीगढ़ में दो चरण की बातचीत के बाद हमने उनकी कई मांगें मा ली हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर समझौता नहीं हो पाया है। बातचीत जारी है।’ खबर है कि किसानों के खिलाफ दर्ज कई मामलों को बीते दो सालों में वापस ले लिया गया है। 2020-21 में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बातचीत करने की आवश्यकता है। सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि जनता को परेशानी में नहीं डालना चाहिए और किसान संगठनों को इसे समझना चाहिए। मुंडा ने कहा कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कई पक्ष से बात करनी होगी। उसके बाद किसान संगठनों के साथ भी बात होगी। इसके अलावा अनुकूल और प्रतिकूल विषयों पर भी चर्चा करनी होती है जिससे व्यापक हित को देखा जा सके। उन्होंने कहा कि किसानों को इसे समझने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सरकार की पद्धति और मापदंड होते हैं। यह मामला राज्यों से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस पर राज्यों के साथ भी विचार विमर्श होगा। मुंडा ने कहा कि एमएसपी में वर्ष 2013 – 14 की तुलना में वर्ष 2023 – 24 में एमएसपी दर की तुलना की जानी चाहिए। सरकार मानतीं है कि किसानों को उनके उत्पाद का पूरा मूल्य मिलना चाहिए। लेकिन इसे राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट आई थी तो उस समय इसे खारिज किया गया था। कांग्रेस को इस पर पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘अगर आप भारत को WTO से अलग होने, मुक्त व्यापार समझौते खत्म करने की बात करोगे, अगर आप स्मार्ट मीटर लगवाना बंद करने की मांग करोगे और कहोगे कि हमें पराली जलाने के मुद्दे में शामिल नहीं करो या कृषि को जलवायु मुद्दे से बाहर रखने के लिए कहोगे, तो ये एक दिन में लिए जाने वाले फैसले नहीं हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके लिए हमें अन्य हितधारकों और राज्यों से बात करनी होगी। यही वजह है कि सरकार ने एक समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया है।’ उन्होंने बताया कि बीते दस सालों में किसानों के लिए कल्याण के लिए कई योजनाएं लाई गई हैं। उन्होंने कहा, ‘इसलिए बातचीत के दौरान पहले उठकर नहीं जाते हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी निकल जाते हैं।’ टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि एमएसपी को और असरदार और पारदर्शी बनाने के लिए साल 2022 में गठित समिति के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रतिनिधियों का नाम नहीं दिया था।

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