फलों के राजा का सृष्टि के राजा को नमन

संसार के रचयिता महादेव के साथ जब आद्य शक्ति के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो जाए, तो मन में और अधिक क्या इच्छा बाकि रह जाती है। ऐसे दुर्लभ दर्शन श्री सोमनाथ महादेव मंदिर के अलावा और कहाँ मिल सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं और सोमनाथ भगवान की पूजा-आराधना से भक्तों के क्षय और कोढ़ रोग ठीक हो जाते हैं। दर्शनों का लाभ भक्तों को घर बैठे मिल सके, इसके लिए देश के अपने सोशल माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, कू पर सोमनाथ मंदिर ने अपने आधिकारिक हैंडल के माध्यम से प्रभु के रविवार के मनमोहक श्रृंगार की तस्वीर साझा की है। इस तस्वीर में एक बात जो आकर्षित करती है, वह यह है कि सृष्टि के राजा के चरणों में सैकड़ों फलों के राजा यानि आम से साज-सज्जा की गई है। यह सजावट कुछ यूँ जान पड़ रही है मानों फलों के सैकड़ों राजा सृष्टि के राजा को नमन कर रहे हैं। आमतौर पर ऐसी अद्भुत सजावट सावन के महीने में देखने को मिलती है, लेकिन गर्मियों की समाप्ति और बारिश का स्वागत सैकड़ों आम बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाने आए हैं, जिससे महफिल हरी-भरी हो गई है।

श्री सोमनाथ महादेव मंदिर,
प्रथम ज्योतिर्लिंग – गुजरात (सौराष्ट्र)
दिनांकः 12 जून 2022, ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी – रविवार
सायं शृंगार

भक्ति, भव्यता और दिव्यता के प्रतीक सोमनाथ मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला स्थान प्राप्त है। वर्तमान में स्थापित इस मनमोहक सोमनाथ मंदिर भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था। 1 दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।

सोमनाथ मंदिर अहमदाबाद से करीब 400 किलोमीटर दूर समुद्र के किनारे स्थित है। किंवदति है कि गुजरात के वेरावल में स्थित सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्र देव ने किया था। ऋगवेद, स्कंदपुराण और महाभारत में भी इस मंदिर की महिमा का बखान है। इसे हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर पर कई बार हमले किए गए, कई बार मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश भी की गई, मंदिर से खजाना लूटा गया, लेकिन आक्रमणकारी आस्था के स्तंभ नहीं तोड़ पाए, वे इस मंदिर से जुड़ी भक्तों की श्रद्धा को खंडित नहीं कर पाए, जो कि आज भी बरकरार है और अनंत काल तक बरकरार रहेगी।

पुनर्निर्माण और आक्रमण का सिलसिला

बताते हैं कि अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा था, जिससे प्रभावित होकर आक्रांता महमूद गजनवी ने सन् 1025 में मंदिर पर हमला किया, गजनवी ने मंदिर की सम्पत्ति लूटी और उसे तकरीबन नष्ट कर दिया। उस हमले की भयावहता के चलते करीब 5,000 लोगों के साथ गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था। मंदिर की रक्षा करते-करते उस वक्त हजारों भक्त निहत्‍थे मारे गए। इनमें वो लोग थे, जो या तो यहाँ पूजा कर रहे थे या मंदिर के अंदर दर्शन लाभ ले रहे थे, वो लोग भी थे, जो आसपास के गाँवों में रहते थे और मंदिर की रक्षा के लिए निहत्थे ही दौड़ पड़े थे। महमूद गजनवी द्वारा इस मंदिर पर आक्रमण करना इतिहास में काफी चर्चित है।

हमले के बाद भी मंदिर का यश कम नहीं हुआ। इतिहास से मिले तथ्य बताते हैं कि गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने मंदिर को फिर से निर्माण कराया। फिर सन् 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया, तो इस मंदिर ने एक फिर विनाश का सामना किया। सन् 1297 में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला किया, तो उसने सोमनाथ मंदिर को दुबारा तोड़ दिया और सारी धन-संपदा लूटकर ले गया। इस तरह मंदिर के पुनर्निर्माण और आक्रमण का सिलसिला जारी रहा।

अस्तित्व को मिटाने की कोशिश हमेशा ही नाकाम रही

अत्यंत वैभवशाली सोमनाथ मंदिर को इतिहास में कई बार खंडित किया गया, लेकिन बार-बार पुनर्निर्माण कर सोमनाथ के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश नाकाम हुई। अरब सागर के तट पर स्थित आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर देश के प्राचीनतम तीर्थ स्थानों में से एक है।

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