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भारत की बड़ी तैयारी… मंगल पर उतरेगा मंगलयान-2, ISRO उड़ाएगा हेलिकॉप्टर

नई दिल्ली: भारत के अगले मंगल मिशन में एक हेलीकॉप्टर भी शामिल हो सकता है जो नासा के इनजेनिटी ड्रोन के नक्शेकदम पर चलेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस पर फिलहाल इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम रहा है। इसरो मंगल ग्रह पर एक लैंडर के साथ हेलीकॉप्टर भेजने की योजना बना रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगल की सतह पर उतरने के बाद लैंडर एक रोवर के साथ-साथ एक रोटोकॉप्टर (हेलीकॉप्टर) भी उतारेगा।

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी मंगल ग्रह पर जो हेलीकॉप्टर भेजने की योजना बना रही है, वह नासा के इनजेनिटी क्वाडकॉप्टर की तरह ही होगा। इनजेनिटी ने तीन साल तक मंगल ग्रह पर 72 उड़ानें भरते हुए 18 किलोमीटर की यात्रा की। इसरो का ये हेलीकॉप्टर अभी वैचारिक चरण में है। इसमें तापमान सेंसर, आर्द्रता सेंसर, दबाव सेंसर, पवन गति सेंसर, विद्युत क्षेत्र सेंसर, ट्रेस और धूल सेंसर जैसे कई उपकरण कैसे काम करेंगे, इस पर विचार किया जा रहा है।

क्या है इस हेलीकॉप्टर से उम्मीद
मंगल ग्रह के वातावरण की रूपरेखा तैयार करने के लिए हेलीकॉप्टर के मंगल ग्रह में 100 मीटर तक ऊंची उड़ान भरने की उम्मीद है। ड्रोन को मार्टियन बाउंड्री लेयर एक्सप्लोरर (मार्बल) नाम के उपकरण सूट से सुसज्जित किया गया है, जिसे मंगल ग्रह के हवाई अन्वेषण के लिए डिजाइन किया गया है। ये ड्रोन वायुमंडलीय कारकों की ऊर्ध्वाधर प्रोफाइलिंग करेगा और मंगल की निकट-सतह सीमा परतों के भीतर-सीटू माप करेगा।

मार्बल मिशन मंगल ग्रह के मौसम के पैटर्न और ग्रह की ऐतिहासिक जलवायु के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा। यह जानकारी भविष्य की स्थितियों और संभावित खतरों के पूर्वानुमान के साथ-साथ आगामी अन्वेषण मिशनों की रणनीतिक योजना में सहायता के लिए आवश्यक है। इससे पहले 2013 में इसरो अपने मार्स ऑर्बिटर मिशन के साथ मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई थी। ये मंगल ग्रह पर भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था। इसे 05 नवंबर 2013 को PSLV-C25 से लॉन्च किया गया था।

इसरो का हेलिकॉप्टर करेगा इतने सारे काम

इसरो के ड्रोन हेलिकॉप्टर में टेंपरेचर सेंसर, ह्यूमिडिटी सेंसर, प्रेशर सेंसर, विंड स्पीड सेंसर, इलेक्ट्रिक फील्ड सेंसर, ट्रेस स्पीसीज सेंसर और डस्ट सेंसर होगे. साथ ही यह हवा में उड़ते समय एयरोसोल की जांच भी करेगा. यह 328 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकेगा. जबकि नासा का हेलिकॉप्टर अधिकतम 79 फीट तक जा पाया था.

नासा के इंजीन्यूटी ने कुल 17 km उड़ान भरी

नासा के हेलिकॉप्टर इंजीन्यूटी ने अपने पूरे मिशन के दौरान कुल दो घंटे की उड़ान भरी. कुल मिलाकर 17 किलोमीटर की दूरी तय की. इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह पर पर्सिवरेंस रोवर के साथ जेजेरो क्रेटर में फरवरी 2021 में उतरा था. तब तक यह नहीं पता था कि मंगल ग्रह के हल्के वायुमंडल में उड़ान संभव है या नहीं.

चीन भी कर रहा है मार्स ड्रोन भेजने की तैयारी

लेकिन 1.8 किलोग्राम वजनी इंजीन्यूटी ने मंगल ग्रह पर 72 बार उड़ान भरी. जनवरी 2024 में इसके रोटर ब्लेड्स ने काम करना बंद कर दिया था. अब यह हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह की सतह पर उतर गया है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत ही इंजीन्यूटी से प्रेरित है. बल्कि चीन भी मंगल ग्रह पर ड्रोन्स भेजने की तैयारी कर रहा है. ताकि मंगल ग्रह से सैंपल लाया जा सके.

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