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भारत के अलावा दुनिया के कितने देश कर रहे हैं सूर्य अभियान पर काम?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान की वेधशाला आदित्य एल 1 सफल प्रक्षेपण के साथ अपने 15 लाख किलोमीटर के सफर पर चल पड़ा है. यह भारत का सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष अभियान है लेकिन भारत ऐसा करने वाला पहला देश नहीं है. इससे पहले अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन सूर्य के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष यान भेज चुके हैं. इनमें अमेरिका के नासा और यूरोप की ईसा ने कई अभियान तो जापान और चीन ने भी अपने यान प्रक्षेपित किए हैं.

भारत के इसरो ने 2 सितंबर को ही अंतरिक्ष में लैग्रेंज बिंदु एल1 के लिए आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण किया है. यह लगातार सूर्य पर अपने सात उपकरणों के जरिए नजर रखेगा और सूर्य के वायुमडंल की ऊपरी परतों और उसकी कुछ प्रक्रियाओं का अध्ययन करेगा. इसके साथ ही वह पृथ्वी के पास के मौसम का भी अध्ययन करेगा.

दुनिया में सूर्य के लिए सबसे ज्यादा संख्या में अंतरिक्ष अभियान अमिरका की स्पेस एजेंसी नासा ने भेजे हैं. नासा ने अगस्त 1997 में एडवांस्ड कंपोजीशन एक्सप्लोरर (एस) नाम का अपना सबसे पहले सौर अभियान प्रक्षेपित किया था जिसका मकसद अंतरिक्ष से सूर्य की मैग्नेटिक फील्ड और कणों का अध्ययन करना था. इसके बाद अक्टूबर 2006 में नासा ने सोलर टेरेस्ट्रियल रिसेशन्स ऑबजर्वेटरी अभियान के तहत दो एक से अंतरिक्ष यानों को सूर्य की कक्षा में भेजा था जिसमें एक पृथ्वी के आगे और एक पीछे की ओर स्थापित किया गया था.

इसके बाद नासा ने फरवरी 2010 में सोलर डायनामिक्स ऑबजर्वेटचरीऔर जून 2013 में इंटरफेस रीजन इमेजिंग स्पैक्ट्रोग्राफ जून 2013 में भेजा था. लेकिन नासा का सबसे चर्चित अभियान अगस्त 2018 में प्रक्षेपित किया गया पार्कर सोलर प्रोब जो दिसंबर 2021 में सूर्य के उच्च वायुमंडल के पास पहुंचकर सूर्य के सबसे पास पहुंचने वाला पहली मानवीय वस्तु बना था. इसने वहां के कणों के नमूने लिए और मैग्नेटिक फील्ड का विशेष अवलोकन किया था.

फरवरी 2020 में नासाने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के साथ सोलर ऑर्बिटर का प्रक्षेपण किया था. इसका मकसद सूर्य का सौरमंडल के वातावरण के निर्माण में योगदान की पड़ताल करना था. इसके साथ ही नासा ने ईसा के साथ ही जाक्सा के साथ भी साझेदारी की थी और दिसंबर 1995 मं सोलर एंड हेलियोस्फियरिक ऑबजरवेटरी का प्रक्षेपण किया था.

जापान की स्पेस एंजेंसी जाक्सा भी सूर्य के अनुसंधान में खासी रुचि लेती रही है उसका पहले सैटेलाइल हिनोतोरी (एस्ट्रो-ए) का मकसद सूर्य की ज्वालाओं से निकलने वाली एक्स विकिरणों का अध्ययन करना था. इसके बाद जापान न् यूहकोह (सोलर-ए) 1991 में, नासा के साथ मिलकर सोहो 1995 में और 1998 में ट्रांजिएंट रीजन एंड कोरोनल एक्स्प्लोरर (ट्रेस) अभियान किए थे. वहीं 2006 में हिंनोदे (सोलर-बी) अमेरिका और यूके के सहयोग से भेजा गया था.

यूरोप की यूरोपीय स्पेस एजेंसी ईसा ने 1990 में यूल्योसेस यान सूर्य के ध्रुवों के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष में भेजा था. अक्टूबर 2001 में ईसा ने प्रोबा-2 यान भेजा था जो सबसे छोटे सैटेलाइट था. ईसा ने नासा के साथ मिलक फरवरी 2020 में सोलर ऑर्बिटर और दिसंबर 1995 में सोहो के साथ सहयोग किया था.

चीन पिछले साल ही सूर्य के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष में अभियान भेजने वाले समूह में शामिल हुआ है. चीन की चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस के नेशनल स्पेस साइंस सेंटर के द्वारा तैयार किया गया एडवांस स्पेस बेस्ड सोलर ऑबजर्वेटरी (ASO-S) का प्रक्षेपण अक्टूबर 2022 में किया गया था.

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