महंगाई और बेरोजगारी चरम पर, गहरी नींद में केंद्र सरकार : कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला और आम भारतीय को राहत देने के लिए पर्याप्त कदम उठाने की मांग की। यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, “भाजपा ‘सात अंक के साथ बर्बादी’ लेकर आई है, जिसमें खुदरा मुद्रास्फीति (महंगाई) 7.01 प्रतिशत, बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत और रुपये में पिछले छह महीनों में डॉलर के मुकाबले सात प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है। ये आंकड़े चिंताजनक हैं, मगर भाजपा सरकार तो गहरी नींद में है।”
उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर इनकी अनदेखी कर रही है, जबकि आम लोग दिन-ब-दिन पीड़ित हो रहे हैं। वल्लभ ने कहा कि एक तरफ जहां आमदनी घट रही है और लोगों की नौकरियां जा रही हैं, वहीं महंगाई जानलेवा झटका दे रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि सरकार के पिछले आठ वर्षों में भाजपा का ध्यान ध्रुवीकरण और असामंजस्य पर रहा है जबकि बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और रुपये की गिरावट जैसे चिंताजनक मुद्दे उसके एजेंडे में कहीं नहीं हैं। उन्होंने कहा, “पिछले आठ वर्षों में यह साफ हो चुका है कि भाजपा सरकार की तवज्जो किधर रही है। ध्रुवीकरण और असहिष्णुता अगली कतार में रही हैं जबकि बढ़ती मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और गिरता रुपया जैसे मुद्दे उनके एजेंडे में कहीं नहीं हैं। पिछले 45 वर्षों में देश को सर्वाधिक बेरोजगारी का सामना करना पड़ा है।”
उन्होंने आगे कहा, “विभिन्न रिपोटरें ने समय-समय पर इस तथ्य को उजागर किया है कि 2020 और 2021 के बीच सिर्फ एक वर्ष में 97 प्रतिशत भारतीय गरीब हो गए हैं। बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत तक बढ़ गई है। सीएमआईई के अनुसार, वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच जून 2022 में 25 लाख नौकरियों के नुकसान के साथ बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत हो गई है।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “मंगलवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों के अनुसार जून 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.01 प्रतिशत दर्ज की गई थी और जून 2022 में 25 लाख वेतनभोगी लोगों की नौकरी चली गई।”उन्होंने नौकरी से निकाले जाने को लेकर स्टार्टअप पर भी कटाक्ष किया और कहा कि 2022 में 11,000 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 79.66 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच चुका है और ये स्थिति व्यापक तौर पर आर्थिक मामलों की दयनीय स्थिति को दिखा रही है।”