देशराज्य

यूक्रेन को लेकर भारत की परीक्षा, अमेरिका ने UNSC में पेश किया निंदा प्रस्ताव; जयशंकर ने बताया अपना स्टैंड

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों की नजरें भारत पर भी टिकी हुई हैं। समरकंद में भारत ने युद्ध को लेकर अपना रुख साफ किया था। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पुतिन के साथ मुलाकात में यह मुद्दा रखा था और किसी तरह युद्ध रोकने की बात कही थी। हालांकि अब यूएन में भारत की असली परीक्षा होने वाली है। यूक्रेन में रूस के जनमत संग्रह को लेकर अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मजबूत प्रस्ताव रखा है। हो सकता है कि अगले सप्ताह की शुरुआत में ही इसपर चर्चा हो और वोटिंग भी कराई जाए। अब तक भारत रूस के मुद्दे पर वोटिंग से बचता आया है। अब देखना है कि भारत का अगला कदम क्या होगा।

वॉशिंगटन में विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आपको इंतजार करना चाहिए कि यूएन में हमारे राजदूत क्या कहेंगे। बता दें कि समरकंद में पीएम मोदी ने कहा था कि यह सदी युद्ध की नहीं है। वहीं एसईओ की बैठक के बाद ही रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने लामबंदी की घोषणा कर दी थी। इसके बाद 23 से 27 सितंबर के बीच यूक्रेन के चार बड़े इलाकों में जनमत संग्रह कराया गया। इस जनमत संग्रह की पश्चिम में काफी आलोचना की गई।

अमेरिका यूएनएससी में चौथा प्रस्ताव ला रहा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि रूस के वीटो की वजह से हो सकता है कि यूएनएससी में प्रस्ताव आगे ना बढ़े लेकिन अमेरिका यूएन जनरल असेंबली में प्रस्ताव पेश कर सकता है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि रूस ने यूक्रेन में जनमत संग्रह करवाकर उसकी संप्रभुता, अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता पर वार किया है। रूस ने यूक्रेन के लुहांस्क, दोनेत्स्क, खेरसोन और जपोराज्जिया में जनमत संग्रह करवाया था।

चीन के साथ संबंधों को लेकर विदेश मंत्री ने कही यह बात
चीन से संबंधों के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट कहा है कि यह दोनों तरफ की संवेदनशीलता, सम्मान और हितों पर निर्भर करता है। न्यूयॉर्क में यूएन की बैठक में शामिल होने के बाद विदेश मंत्री वॉशिंगटन पहुंचे हैं। यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब उनसे चीन के साथ संबंध पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मैंने जो कुछ भी कहा है उससे हमारे नीति स्पष्ट है। हम चीन के साथ संबंध सुधारने में लगे हैं लेकिन यह अकेले संभव नहीं है।

जयशंकर चार दिन के दौरे पर वॉशिंगटन डीसी पहुंचे थे। उन्होंने अपने समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की और वीजा समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। विदेश मंत्री से जब चीनी राजनयिक की बातों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अगर आप किसी देश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की बात पर कुछ जानना चाहते हैं तो आपको दूसरे देश के भी प्रवक्ता की बातों पर गौर करना चाहिए। बता दें कि एस जयशंकर पक्षपातपूर्ण कवरेज के लिए पहले भी यूएस की मीडिया को लताड़ चुके हैं।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------