यूट्यूब से भी आपके फोन में आ सकते हैं वायरस, यह है बचने का तरीका
नई दिल्ली. यूट्यूब आज दुनिया का एक ऐसा अड्डा बन गया है जहां हर तरह के टिप्स और जानकारी वीडियो के रूप में उपलब्ध है। पूरी दुनिया में यूट्यूब के करीब 2.5 अरब यूजर्स हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यूट्यूब वीडियो से भी आपके फोन में मैलवेयर आ सकते हैं। इसकी जानकारी साइबर इंटेलिजेंस फर्म CloudSEK ने दी है। आइए जानते हैं कैसे…
CloudSEK ने नवंबर 2022 से लेकर अभी तक की रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर महीने मैलवेयर वाले YouTube वीडियो में 200-300 फीसदी का इजाफा हो रहा है। इन मैलवेयर की पहचान Vidar, RedLine और Raccoon के रूप में हुई है।
मैलवेयर वाले लिंक ऐसे यूट्यूब वीडियो के साथ सबसे अधिक हैं जिनमें सॉफ्टवेयर के क्रैक वर्जन को फ्री में डाउनलोड करने की बात कही गई है। आमतौर पर लोग Photoshop, Premiere Pro, Autodesk 3ds Max और AutoCAD जैसे सॉफ्टवेयर के क्रैक वर्जन को डाउनलोड करने की कोशिश करते हैं।
इस तरह के वीडियो आमतौर पर स्क्रीन रिकॉर्डर एप से बनाए जाते हैं लेकिन पिछले कुछ महीनों से ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म जैसे Synthesia और D-ID की मदद से बनाए जा रहे है। ये फ्लेटफॉर्म फ्री में सर्विस तो दे रहे हैं लेकिन मैलवेयर फैलाने का काम भी कर रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूट्यूब का रिव्यू प्रोसेस ऐसे साइबर क्रिमिनल को अपने प्लेटफॉर्म पर ज्यादा दिन तक टिकने नहीं देता। जैसे ही पता चलता है कि किसी वीडियो से कई यूजर्स को परेशानी हुई है तो YouTube ऐसे वीडियो को हटा देता है। इसके अलावा वीडियो अपलोड करने वाले अकाउंट को भी बैन किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के वीडियो के साथ infostealers मैलवेयर मिले हैं जिन्हें खासतौर पर कंप्यूटर या डिवाइस से जरूरी जानकारी इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किया गया होता है।
इन मैलवेयर लिंक से बचने का पहला तरीका यही है कि किसी यूट्यूब वीडियो के साथ दिख रहे लिंक पर क्लिक ना करें। आमतौर पर वीडियो के डिस्क्रिप्शन में इस तरह के लिंक दिए जाते हैं। इन लिंक के साथ किसी सॉफ्टवेयर के क्रैक वर्जन को डाउनलोड करने का झांसा दिया जाता है।