रानी लक्ष्मीबाई की मौत के बाद उनके बेटे का क्या हुआ, तकलीफों में कैसे कटी जिंदगी, जानिए
एक बार जरा आप कल्पना कर के देखिये, मानिये सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का भीषण युद्ध चल रहा है, और झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव को पीठ से बाँधें हुए युद्ध लड़ रही हैं. ऐसे में थके झुंझलाते बच्चे को नींद आ जाती है और वो सो जाता हैं. इसी बीच अचानक से महारानी के घोड़े से कुछ दूर तोप का एक गोला गिरता है, जोड़ से आवाज होती है और बच्चे की नींद टूट जाती हैं.
रानी लक्ष्मी बाई को हिन्दुस्तान के सबसे बड़े स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में जाना जाता है. भारत देश के लोगो के दिलो में वो आज भी राज करती है. ये बहुत कम लोग ही जानते है कि झांसी की रानी जब लड़ते लड़ते इस देश की मिटटी के लिए शहीद हो गयी थी, तो उनके पीछे से उनके बेटे का क्या हुआ? कई लोगो को इस बारे में जानकारी नही है. इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे है, की जब लक्ष्मी बाई का निधन हुआ था तो उनके दत्तक पुत्र दामोदर राव का क्या हुआ?.
आपको बता दें की रानी के निधन के बाद उनके पुत्र को आवारा छोड़ दिया गया था. झांसी पर अंग्रेजो ने अपना कब्ज़ा जमा लिया और उस दौरान दामोदर राव गलियों में घुमते घूमते जंगलो में जाते और भीख मांगकर अपना गुजारा करते थे. इस तरह से काफी समय गुजर गया तभी वो नन्हे खान से संपर्क में आये और नन्हे खान ने उन्हें एक अन्ग्रेज अधिकारी मिस्टर फ्लिंक से मिलवाया. मिस्टर फ्लिंक जब मिले तो उन्हें सारी कहानी समझ आयी और उन्होंने ऊपर सिफारिश लगाई जिसके बाद में उन्हें 200 रूपये प्रति माह की पेंशन मिलने लगी. जिससे उन्होंने अपना गुजारा चलाया.
जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी. बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है. दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ. दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया.
अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए. दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं। लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे.
अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं. उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है.