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राष्ट्रपति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट का क्या मतलब है, आगे क्या होगा? जानें सबकुछ

नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने यूक्रेन में युद्ध अपराधों के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ शुक्रवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट ने कहा- पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध अपराध किए हैं। वो यूक्रेनी बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के अपराध के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि, रूस ने युद्ध अपराधों के आरोपों से इनकार किया है। वारंट पर यूक्रेन की तरफ से भी प्रतिक्रिया दी गई है। युद्धग्रस्त देश ने कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है। वारंट के बाद अब पुतिन के सामने और भी मुश्किल चुतौतियां आने वाली हैं।

खैर, इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इस वारंट का क्या मतलब है? क्या सच में पुतिन गिरफ्तार कर लिए जाएंगे? इस मामले में आगे क्या होगा? आइए समझते हैं…

ICC के अभियोजक करीम खान से यही सवाल पूछा गया। उन्होंने कहा, ‘ICC के पास किसी भी देश के नेता या किसी भी शख्स को गिरफ्तार करने की शक्तियां नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उसके पास खुद का कोई पुलिस बल नहीं है। इंटरनेशनल लॉ के मुताबिक, ICC किसी भी देश के लीडर को दोषी तो ठहरा सकता है, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है लेकिन उनकी गिरफ्तारी के लिए वह दुनियाभर के देशों पर निर्भर रहता है। ऐसे में पुतिन की गिरफ्तारी के दो ही तरीकों से हो सकती है। पहला- पुतिन को प्रत्यार्पित किया जाए, दूसरा- रूस के बाहर किसी अन्य देश में गिरफ्तार किया जाए।’

करीम कहते हैं, ‘ICC कोर्ट अपने सदस्य देशों पर इस बात को लेकर दबाव बना सकती है। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति पुतिन की यात्राओं पर जरूर इसका असर पड़ेगा।’ करीब के अनुसार, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सदस्य देश पूरी तरह से ICC के दबाव में ही आ जाए। इसके पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। मसलन पूर्व सूडानी नेता उमर अल-बशीर के खिलाफ भी ICC ने वारंट जारी किया था। इसके बावजूद उमर दक्षिण अफ्रीका, जॉर्डन सहित कई ICC सदस्य देशों का दौरा करने में सफल रहे थे। 2019 में सत्ता से हटाए जाने के बावजूद सूडान ने अभी तक उन्हें ICC को नहीं सौंपा है।’

कोलंबिया लॉ स्कूल के एक प्रोफेसर मैथ्यू वैक्समैन ने कहा कि यह आईसीसी द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन संभावना कम है कि हम कभी भी पुतिन को गिरफ्तार होते देखेंगे।

सबसे पहली समस्या यही है कि रूस, अमेरिका और चीन की तरह ICC का सदस्य नहीं है। ICC पुतिन के खिलाफ आरोप दायर करने में सक्षम था क्योंकि यूक्रेन ने मौजूदा स्थिति पर अपने अधिकार क्षेत्र को स्वीकार कर लिया है, हालांकि यूक्रेन भी ICC का सदस्य नहीं है।

ICC के इस अरेस्ट वारंट को लेकर रूस की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। रूस ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के आरोपों से इनकार किया है। रूस ने कहा कि ये गिरफ़्तारी वारंट ‘महत्वहीन’ और ‘अस्वीकार्य’ है। रूस के विदेश मंत्रालय की एक प्रवक्ता ने कहा, “रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय के गिरफ्तारी वारंट का “कानूनी दृष्टिकोण” के लिहाज से देश के लिए “कोई अर्थ नहीं” है, क्योंकि रूस 2016 में ICC संधि से हट गया था।” पुतिन के खिलाफ वारंट को खारिज करते हुए, विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा, “रूस अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के रोम क़ानून का सदस्य नहीं है और इसके तहत कोई जिम्मेदारी नहीं है। रूस इस निकाय के साथ सहयोग नहीं करता है।” उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से गिरफ्तारी के लिए वारंट हमारे लिए कानूनी रूप से शून्य होगा।

रूस के पूर्व राष्ट्रपति और रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दमित्री मेदवेदेव ने पुतिन के लिए आईसीसी के गिरफ्तारी वारंट की तुलना टॉयलेट पेपर से की। इसको लेकर मेदवेदेव ने ट्विटर पर लिखा, “इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। टॉयलेट पेपर इमोजी के साथ यह बताने की जरूरत नहीं है कि इस पेपर का इस्तेमाल कहां किया जाना चाहिए।” बता दें कि ICC ने शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति और रूसी अधिकारी मारिया अलेक्सेयेवना लावोवा-बेलोवा के खिलाफ यूक्रेनी बच्चों को रूस भेजने की कथित योजना के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। लीडेन विश्वविद्यालय में सार्वजनिक अंतरराष्ट्रीय कानून के सहायक प्रोफेसर सेसिली रोज कहते हैं, ‘जब तक रूस में शासन परिवर्तन नहीं होता है, तब तक पुतिन को युद्ध अपराधों के लिए कटघरे में खड़े करने की संभावना नहीं है।’

ICC ने कहा कि उसके पास यह मानने के लिए उचित आधार है कि पुतिन ने न सिर्फ इन अपराधों को अंजाम दिया, बल्कि इसमें दूसरों की भी मदद की। कोर्ट ने कहा- पुतिन ने बच्चों के अपहरण को रोकने के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने बच्चों को डिपोर्ट करने वाले अन्य लोगों को रोका नहीं, कार्रवाई नहीं की। 24 फरवरी 2022 को पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। इसके तुरंत बाद ICC प्रॉसिक्यूटर करीम खान ने यूक्रेन में संभावित युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार की जांच शुरू की थी। दोनों देशों के बीच जंग अब भी जारी है।

रूस की चाइल्ड राइट कमिशनर मारिया लवोवा-बेलोवा के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी गया है। जंग शुरू होने के बाद से कई बार रूसी सैनिकों पर यूक्रेनी बच्चों के अपहरण के आरोप लगे हैं। रूस ने इन आरोपों को खारिज किया है लेकिन कभी इस बात को नहीं नकारा कि बच्चों को रूस भेजा जा रहा है। मारिया लवोवा-बेलोवा ने हमेशा रूस के इस काम को देशभक्ति और मानवीय प्रयास बताया है। उनका कहना है कि रूसी परिवार जंग में बेघर हुए यूक्रेनी बच्चों को अडॉप्ट कर रहे हैं।

युद्ध के लिए भी कुछ नियम होते हैं, इन नियमों को जिनेवा कन्वेंशन, हेग कन्वेंशन और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों के तहत बनाया गया है। युद्ध अपराध युद्ध के नियमों का उल्लंघन है, जिसके तहत जानबूझकर नागरिकों को मारना या जानबूझकर युद्ध बंदियों को मारना, यातना देना, बंधक बनाना, नागरिक संपत्ति को अनावश्यक रूप से नष्ट करना, युद्ध के दौरान यौन हिंसा, लूटपाट, सेना में बच्चों की भर्ती, नरसंहार आदि जैसे अपराध शामिल हैं।

यूएन के अनुसार, सबसे पहले 20वीं सदी की शुरुआत में युद्ध के नियमों को बनाया गया था। इन नियमों को हेग कन्वेंशन 1899 और 1907 और 1864 से 1949 के दौरान जिनेवा कन्वेंशन के तहत हुई चार संधियों से तय किया गया था। हेग कन्वेंशन जहां युद्ध के समय कुछ घातक हथियारों जैसे एंटी पर्सनेल लैंडमाइंस और केमिकल या बॉयोलॉजिकल वेपंस आदि के इस्तेमाल पर रोक लगाता है, तो वहीं जिनेवा कन्वेंशन युद्ध के दौरान किए जाने वाले वॉर क्राइम के नियम निर्धारित करता है।

 

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