रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में आयोजित “स्वरोजगार आधारित उत्पादों की प्रदर्शनी व मेला तथा राष्ट्रीय संगोष्ठी ” का समापन
बरेली , 27 सितम्बर। पण्डित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ, महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में 25-26 सितम्बर, को दीनदयाल जी की जन्मजयंती पर आयोजित होने वाले, “स्वरोज़गार आधारित उत्पादों की प्रदर्शनी व मेला तथा राष्ट्रीय संगोष्ठी” का समापन समारोह विश्वविद्यालय परिसर के एम.बी.ए. सभागार में माननीय कुलपति प्रोफेसर के. पी. सिंह जी की अध्यक्षता में तथा मुख्य वक्ता प्रमुख सामाजिक विचार तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ब्रज प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक श्री धर्मेन्द्र जी तथा मुख्य अतिथि, संघ के पूर्व क्षेत्र प्रचारक व वर्तमान अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख, डॉ. दिनेश जी की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ पण्डित दीनदयाल जी तथा माता सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। इसके पूर्व पूरे दिवस प्रदर्शनी व मेले में विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मचारियों व अन्य आगंतुकों ने स्वयं सहायता समूहों के विविध उत्पादों तथा स्वयं सहायता समूहों के कार्य पद्धत्ति की जानकारी ली तथा उत्पादों का क्रय किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक व निदेशक तथा पण्डित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के समन्वयक, डॉ. प्रवीण कुमार तिवारी ने अतिथियों के स्वागत हेतु स्वागत भाषण तथा संगोष्ठी की विषय प्रस्तावना प्रस्तुत की। दीनदयाल जी के अर्थ चिन्तन पर विचार रखते हुए डॉ. तिवारी ने कहा कि आज व्यक्ति, समाज व राष्ट्र तीनों के अर्थ व्यवहार में भारी परिवर्तन हो गया है। अधिकाधिक लाभ अर्जित करने का चिन्तन प्रत्येक स्तर पर घातक स्वरूप लेता जा रहा है, भारत की परंपरा इसे अशुभ-लाभ कहती है। दीनदयाल जी ने जिस भारत केंद्रित अर्थ चिंतन की बात की वह शुभ-लाभ केंद्रित है। इस विचार से सभी का कल्याण जुड़ा है, क्योंकि यह सहजीवन के सिद्धांत पर चलता है। लाभ अर्जन व कर के संबंध में भारत का चिंतन वत्स-सिद्धांत, अर्थात वैसे लेना जैसे बछड़ा अपनी माता गाय से दूध पीता है; तथा मधु-सिद्धांत, अर्थात वैसे लाभ व कर लेना जैसे मधुमक्खी फूलों से पराग लेती है और सभी के लिये उपयोगी मधु बनाती है जिसका समाज उपभोग करता है, जैसे महत्वपूर्ण व लोककल्याणकारी सिद्धांतों का है। इसी विचार ने अंत्योदय की अवधारणा दी।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रमुख सामाजिक विचार तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ब्रज प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक श्री धर्मेन्द्र जी ने कहा कि दीनदयाल कहते थे धन का प्रभाव व धन का अभाव दोनों ठीक नहीं है। एकात्म चिंतन के अनुसार धन का सदुपयोग होना चाहिए। अंत्योदय का मार्ग समस्त समाज के उन्नयन का मार्ग है। सबका साथ सबका विकास इसी अंत्योदय से निकला है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय कुलपति प्रोफेसर के. पी. सिंह जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि दीनदयाल शोधपीठ अंत्योदय की भावना से ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह प्रदर्शनी व मेला एक अनूठी पहल है। विश्वविद्यालय RIF के माध्यम से ऐसे समूहों को व्यवस्थित रूप से कार्य करने हेतु तकनीकी सहायता व आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है। शैक्षिक संस्थाएँ व समाज मिल कर बेहतर भविष्य की ओर बढ़ेंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, संघ के पूर्व क्षेत्र प्रचारक व वर्तमान अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख, डॉ. दिनेश जी ने कहा कि दीनदयाल जी का चिंतन भारत का सनातन चिन्तन है। हर क्षेत्र में दीनदयाल जी के एकात्म मानव दर्शन व अंत्योदय के विचारों के अनुरूप जन जन में जागृति होगी तो सभी का विकास संभव होगा। विचार में दीनदयाल जी से अधिक आवश्यक है कृति में दीनदयाल का होना।
इस आयोजन के सह आयोजक गंगाशील महाविद्यालय, नवाबगंज, बरेली; तथा ज्योति कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेण्ट साइंस एंड टेक्नोलॉजी, बरेली तथा आयोजन सहयोगी रोजगार भारती, बरेली; तथा ग्राम्य विकास विभाग- उ.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, बरेली जैसी संस्थाएँ रहीं। समापन समारोह में प्रदर्शनी व मेला में प्रतिभाग करने वाले स्वयं सहायता समूहों व संस्थाओं को विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति जी तथा अतिथियों द्वारा सम्मान-पत्र भी प्रदान किया गया। विविध स्वयं सहायता समूह व संस्थाओं के कार्यकर्ताओं व प्रमुखों के साथ सह आयोजक व सहयोगी संस्थाओं के प्रमुख भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। इस अवसर पर आमन्त्रित स्वयं सहायता समूहों ने विविध उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई थी। जिनमें दीनदयाल कामधेनु गोशाला ने गौ आधारित उत्पादों व फ़ार्मेसी, श्री राम ट्रेडर्स ने मिट्टी के स्थायी बर्तनों तथा कृषि आधारित उपकरणों, आदर्श लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह, गिरधारीपुर ने शहद, वर्मी कम्पोस्ट, लक्ष्मी अश्व कल्याण स्वयं सहायता समूह, ग्राम इटउआँ ने सॉफ्ट टॉयज, जय संतोषी माँ माहिला स्वयं सहायता समूह, नवाबगंज ने अचार, मसाले, मेथी एवं शहद, अन्नू टैटू, दुर्गानगर ने टैटू, डॉ. पी. एल. गृह उद्योग ने शुद्ध ऑर्गेनिक शहद, सर्वहित स्वयं सहायता समूह ने हल्दी, मिर्च, बेसन, धनिया, झाड़ू, नारी शक्ति स्वयं सहायता समूह ने चप्पल व मोमबत्ती, मिष्ठी स्वयं सहायता समूह ने कपड़े के बैग व नमकीन, वारणी शुक्ला आर्ट्स स्टूडियो ने पेंटिंग, शिवशक्ति स्वयं सहायता समूह ने शहद, प्रगति स्वयं सहायता समूह ने मिक्स नमकीन, केला चिप्स, व अन्य नमकीन उत्पाद, अभी स्वयं सहायता समूह ने विभिन्न प्रकार के अचार, द्वारिकेश स्वयं सहायता समूह ने शुद्ध व तड़का सिरका, नन्दी नारियल ने नारियल पानी, एस. एल. वी. गैलेरिया ने हैंड मेड पेंटिंग, सनसाइन रविता मून इंटरप्राइज़ेज ने फ़ुलबत्ती, पीताम्बरी, आँवला मुरब्बा, जय भीम स्वयं सहायता समूह तथा ख़्वाजा जी स्वयं सहायता समूह ने ज़री ज़रदोज़ी के सामान व कुर्तियाँ, रोज़गार भारती ने नंदी वाहन व विश्वकर्मा योजना, वृन्दा गृह उद्योग ने होम मेड अचार, नींबू चटनी, जतिन फ़ुड्स ने अचार, मसाले व नूडल्स, घुमंतू गड़िया लोहार समूह ने लोहे के विविध उपकरण, मूर्तियाँ व सूप आदि की प्रदर्शनी लगाई थी।
इस अवसर पर भारी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी व शहर के विविध क्षेत्रों से आये नागरिकों ने प्रदर्शनी अवलोकन व विविध वस्तुओं का क्रय किया।
कार्यक्रम संयोजक व शोधपीठ के सह समन्वयक डॉ. रामबाबू सिंह ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम संचालन, आयोजन सचिव व शोधपीठ के सहायक समन्वयक श्री विमल कुमार ने किया। आयोजन सचिव, श्री रश्मि रंजन, सह आयोजन सचिव, डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी व डॉ. कीर्ति प्रजापति ने स्वयं सहायता समूहों का स्वागत व सम्मान किया। इस अवसर पर मीडिया सेल से डॉ. अमित सिंह, श्री तपन वर्मा, रोज़गार भारती से श्री अभिनव कटरू, डॉ. आलोक प्रकाश, श्री विशाल चित्रांश भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक, श्री धर्मेंद्र जी, महानगर प्रचारक, श्री मयंक साधु जी, विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता, प्रोफेसर पी. बी. सिंह, प्रोफ़ेसर रश्मि अग्रवाल, प्रोफेसर रज्जन कुमार, प्रोफेसर सन्तोष अरोड़ा, प्रोफेसर विजय बहादुर यादव, प्रोफेसर जे. एन. मौर्य, प्रोफ़ेसर रवेन्द्र सिंह, प्रोफ़ेसर एस. एस. बेदी, डॉ. गौरव राव, डॉ. प्रतिभा सागर, डॉ. प्रेमपाल सिंह, डॉ. हेमंत शुक्ला, डॉ. सुरेश कुमार, दीपाली, महेश, ललिता, आशीष, विकास, कपिल, प्रिया, इन्दु सहित विश्वविद्यालय के विविध विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी व कर्मचारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट