रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में शिक्षक शिक्षा” विषय पर आयोजित नेशनल लेवल फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन
बरेली ,03 दिसम्बर ।महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में शिक्षक शिक्षा” विषय पर पिछले 6 दिनों से चल रहे नेशनल लेवल फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का कल समापन हो गया। दिनांक 27 नवंबर से प्रारंभ होकर कल 2 दिसंबर तक प्रतिदिन यह कार्यक्रम सांय 3 से 5 बजे के मध्य हाइब्रिड मोड में संचालित किया जा रहा था।
समापन सत्र का प्रारंभ कार्यक्रम की कन्वीनर विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर रश्मि अग्रवाल द्वारा प्रतिभागियों व अतिथियों के स्वागत से हुआ। तत्पश्चात ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉक्टर प्रतिभा सागर ने एक सप्ताह तक चले फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें बताया गया कि इस प्रोग्राम में देश के 15 राज्यों से 218 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन उपस्थित रहकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। विभिन्न व्याख्यान सत्रों में कुल 12 आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किए गए जो की शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में देश के ख्यातिलब्ध विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत किए गए। समस्त व्याख्यानों में इस बात पर चर्चा की गई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में निहित प्रावधानों के समुचित क्रियान्वयन हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एकेडमिक बैंक का क्रेडिट, आउटकम बेस्ड एजुकेशन, कंटीन्यूअस प्रोफेशनल डेवलपमेंट जैसे नवीन प्रत्ययों का क्या अर्थ है, क्या उद्देश्य है व इनका प्रयोग करते हुए उत्तम गुणवत्ता युक्त शिक्षक कैसे उत्पन्न किये जा सकते हैं। इसके साथ ही उच्च शिक्षा में शोध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु पब्लिकेशन एथिक्स, पब्लिकेशन के विभिन्न माध्यमों, शोध में उपकरण निर्माण, ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेस जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की गई । समापन सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर पी.एन. सिंह, डायरेक्टर आफ इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर टीचर एजुकेशन, वाराणसी रहे। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने हम शिक्षकों के मनोविज्ञान, कार्यशैली व प्रतिबद्धता के स्वरूप को बदल दिया है। एन ई पी के सफल क्रियान्वयन की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए विद्वान वक्ता ने इस बात पर बल दिया कि जब तक शिक्षक शिक्षा के आधारभूत ढांचे में इस प्रकार के परिवर्तन नहीं किए जाएंगे कि वांछित कौशलों से युक्त शिक्षक उत्पन्न कर सकें तब तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों की पूर्ति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी। अतः गुरु के रूप में शिक्षक की भूमिका व मेन्टर के रूप में शिक्षक प्रशिक्षक की भूमिका का पुनर्निर्माण किया जाना परम आवश्यक है।
समापन सत्र में बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली से जुड़े शिक्षक प्रशिक्षकों ने कार्यक्रम के बारे में सकारात्मक फीडबैक देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम अपने उद्देश्यों में पूर्ण रूप से सफल रहा है और इससे प्राप्त ज्ञान को वह अपने क्षेत्र में बेहतर ढंग से प्रयोग कर सकेंगे। सत्र का संचालन डॉक्टर प्रतिभा सागर द्वारा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर रश्मि अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत किया गया।
इसके पूर्व के सत्र में प्रोफेसर मनोज कुमार सक्सेना, विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष एचपी यूनिवर्सिटी, (शिमला) ने “ “डेवलपिंग टूल्स फॉर द रिसर्च” शीर्षक पर व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान की शुरुआत में डॉ सक्सेना ने रिसर्च टूल्स व इनकी विश्वसनीयता एवं वैधता के विषय पर प्रकाश डालते हुए उपकरण निर्माण के विभिन्न पहलुओं जैसे प्रश्नों के प्रकार, पद चयन और गठन, भाषा एवं व्याकरण आदि पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे विभिन्न आयामों के आधार पर बहुविकल्पीय प्रश्नों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रश्नों के निर्माण के बाद विशेषज्ञ जांच के महत्व पर भी प्रकाश डाला। अपनी प्रस्तुति के अंत में उन्होंने शोध उपकरण के निर्माण के दौरान ध्यान रखने योग्य सावधानियों व सुझावों पर भी विचार-विमर्श किया। इस दौरान मुख्य वक्ता द्वारा प्रतिभागियों की प्रश्नों एवं शंकाओं का भी समाधान किया गया।
आज के दिन के संपूर्ण कार्यक्रम का समन्वयन डॉक्टर तरुण राष्ट्रीय व मध्यस्थता डॉक्टर कीर्ति प्रजापति द्वारा की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम के को कन्वीनर प्रोफेसर यशपाल सिंह व ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ गौरव राव ऑनलाइन मोड में तथा विभाग के समस्त सम्मानित शिक्षकगण प्रमुखत: डॉ प्रवीण तिवारी, डॉ सुरेश कुमार, डॉ रामबाबू सिंह, श्री विमल कुमार, श्री रश्मि रंजन तथा यूजीसी रिसर्च फेलो स्वाति पाण्डेय, शालिनी सक्सेना, शिवि अग्रवाल, शबिया, उपवन कुमार, आकाश कुमार, जगदीश कुमार, इंदु कुमारी,अनुराधा यादव, सत्येन्द्र, एवं सत्य प्रकाश आजाद, सभागार में उपस्थित रहे।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट