लखनऊ में सिलेंडर विस्फोट में 5 लोगों की मौत, तेज धमाके के साथ ढह गईं छत और दीवारें
Lucknow Cylinder Blast: लखनऊ के काकोरी कस्बे में मंगलवार देर रात करीब 11 बजे जरदोजी कारीगर के मकान की दूसरी मंजिल पर रखे दो सिलेंडरों में विस्फोट से पांच लोगों की मौत हो गई। विस्फोट इतना तेज था कि दूर तक लोगों को धमाके की आवाज सुनाई दी। घर की छत और दीवारें ढह गईं। आस पास के लोग भी दहशत में आकर अपने घरों से बाहर निकल आये। मरने वालों में जरदोजी कारीगर 50 वर्षीय मुशीर, पत्नी 45 वर्षीय हुस्नाबानो, सात साल की भतीजी राइया, बहनोई अजमत की बेटियां चार वर्षीय हुमा और दो साल की हिना शामिल हैं।
हादसे में चार लोग झुलस गये हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घर के अन्य सदस्यों के मुताबिक कमरे में शार्ट सर्किट से पहले आग लगी और इसके बाद सिलेंडर में विस्फोट हुआ। हादसे की सूचना मिलते ही डीसीपी दुर्गेश कुमार, एडीसीपी विश्वजीत श्रीवास्तव, एसीपी और सीएफओ व दमकल पहुंच गई थी। पुलिस ने बिजली विभाग को सूचना देकर बिजली बंद करा दी थी। दमकलकर्मियों ने मशक्कत कर अंदर फंसे लोगों को बाहर निकाला। सबसे पहले मुशीर का शव निकाला गया। फिर अंदर से हुस्नाबानो व बच्चों को बाहर निकाला गया। इस समय इनकी सांसें चल रही थी। काकोरी पुलिस ने इन्हें एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने चारों को मृत घोषित कर दिया। मुशीर अपने भाइयों पप्पू, बब्बू, बबलू के साथ रहता था। ऊपर उसका जरदोजी का कारखाना भी था। मंगलवार को मुशीर की शादी की सालगिरह थी। बहनोई अजमत तीन बच्चों संग मुशीर के यहां आया था।
कमरे में ही बनता था खाना: घरवालों के मुताबिक मुशीर दूसरी मंजिल पर रहता था। बड़े कमरे को उसने जरदोजी कारखाना बना रखा था। दूसरे कमरे में ही उसने कोने में रसोई बना रखी थी। यहीं दो सिलेण्डर से खाना बनता था। भाइयों ने बताया कि पहले शार्ट सर्किट से आग लगी फिर लपटों ने सिलेण्डर को चपेट ले लिया और दोनों सिलेण्डरों में विस्फोट हो गया।
जला मिला स्विच बोर्ड: फायर बिग्रेड के जवानों ने कहा कि शुरुआती जांच में पहले शार्ट सर्किट से आग की बात सामने आई है। स्विच बोर्ड जला मिला है। इससे लगी आग रसोई गैस सिलेण्डर तक पहुंची और उसमें विस्फोट हो गया। पास ही दूसरा सिलेण्डर था, एक-एक कर दोनों में धमाका हो गया।
धुएं से बचाव कार्य में आई मुश्किल: दमकलकर्मियों को धुएं से बचाव कार्य करने में काफी परेशानी हुई। यही वजह है कि दो-तीन बार पानी डाला गया। धुआं घटने पर जवान अंदर घुस सके। स्थानीय लोगों ने भी दमकलकर्मियों का सहयोग किया। तीन घंटे दमकलकर्मी मशक्कत करते रहे।