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वाराणसी से मोदी के बाद भाजपा के चुनाव संयोजक ने भी किया नामांकन, जानिए क्यों पड़ी जरूरत

वाराणसी: वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने दो सेट में अपना नामांकन फार्म भरा है। पीएम मोदी के बाद भाजपा के पूर्व विधायक और लोकसभा चुनाव के संयोजक सुरेंद्र नारायण सिंह औढ़े ने भी एक सेट में पर्चा दाखिल किया है। सुरेंद्र नारायण के भी नामांकन को लेकर हालांकि भाजपा की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन माना जा रहा है कि बतौर डमी कैंडिडेट उन्होंने अपना पर्चा भरा है। वाराणसी में मंगलवार को नामांकन का अंतिम दिन था। सोमवार तक 14 प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया था। मंगलवार को पीएम मोदी और सुरेंद्र नारायण के अलावा तीन और लोगों ने नामांकन दाखिल किया है। ऐसे में अब यहां 19 प्रत्याशी हो गए हैं।

आमतौर पर बड़े नेताओं की सीट पर अधिकृत प्रत्याशियों के साथ ही डमी प्रत्याशी भी पार्टियां उतारती रही हैं। अगर अधिकृत प्रत्याशी के फार्म में कोई गड़बड़ी आ जाए या किसी अन्य तरह की दिक्कत हो और उसका पर्चा खारिज हो जाए तो डमी प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए तैयार रखा जाता है। पीएम मोदी के नामांकन के साथ भी भाजपा की तरफ से डमी प्रत्याशी का नामांकन चर्चा का विषय बना हुआ है। माना जा रहा है कि नामांकन पत्रों की जांच के बाद सबकुछ ठीक ठाक रहने पर सुरेंद्र नारायण का पर्चा वापस हो जाएगा।

ज्यादा सुविधाओं के लिए भी उतरते रहे हैं डमी प्रत्याशी
विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान कई बार प्रत्याशी जानबूझकर भी चुनाव आयोग से सुविधाएं लेने के लिए डमी प्रत्याशियों को उतारते रहते हैं। आयोग की तरफ से हर प्रत्याशी के लिए खर्च की सीमा तय की गई है। इसके साथ ही यह भी तय है कि उसे कितनी गाड़ियों का पास मिलेगा। एक प्रत्याशी कितने एजेंट बना सकता है। सभी चीजों की लिमिट तय है। डमी प्रत्याशी खड़ा करने पर हर चीज दोगुनी मिल जाती है। डमी प्रत्याशी भी मुख्य प्रत्याशी के पक्ष में ही प्रचार करता है। हालांकि वाराणसी में ऐसी स्थिति नहीं है।

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