श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह दिनांक १५ से २२ फरवरी २०२४ का शुभारंभ
चिन्मय मिशन लखनऊ के आचार्य ब्रहमचारी कौशिक चैतन्य जी के द्वारा महाशक्ति धाम मंदिर, श्री श्री माँ आनंद आश्रम विकास नगर में श्रीमद्भागवत महापुराण का यज्ञशाला में विधि पूर्वक पूजन, मंदिर में दर्शन परिक्रमा एवं शोभा यात्रा के साथ पंण्डाल महापुराण की स्थापना के साथ किया गया। यजमान गुरुजी श्री हरिशंकर मिश्र एवं गुरुमाता पुष्पा मिश्र द्वारा पोथी पूजन का पूजन एवं संगीत मंडली, ब्राह्मण का तिलकपूजन एवं दुशाला भेंट कर स्वागत किया।
श्रीमद्भागवत पर प्रवचन करते हुए ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य जी ने बताया की भगवान की शब्दावतार मूर्ति श्रीमद्भागवत मनुष्यों को भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य से मोक्ष तक प्राप्त कराता है। पहले भक्ति ज्ञान वैराग्य को स्थापित करना होगा। भागवत में भगवान के नाम एवं लीला की सुंदर झांकी है। परमात्मा कैसे हैं? इसे कहा गया है की जिसका तीनों काल में अभाव अथवा परिवर्तन नहीं हो सकता। वो प्रकाश स्वरूप कभी निरानंद नहीं हो सकता,वो दुख रूप नहीं हो सकता वो आनंद स्वरूप है, सुख रूप है इसलिए उसका नाम सच्चिदानंद है। यही सृष्टि के उत्पत्ति, स्थिति और नाश का कारण है, उस चिन्मय परमात्मा के होने से सृष्टि के कण कण में सजीवता चेतनता आती है। उस परमात्मा से जीवन के त्रिताप नष्ट होते हैं और उसकी भक्ति से वो सुखधाम परमात्मा भक्तों को चिर आनंद का दान देता है।
आज के उद्घाटन सत्र में श्री सत्यकुमार श्रीवास्तव, अनिल जैन, संगीता, सुनीता, पूनम, रमेश मेहता, किरण, अजीत द्विवेदी, विनीत तिवारी आदि अनेक श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।
आज दिनांक १५ फरवरी से प्रारंभ यह ज्ञान यज्ञ दिनांक २२ फरवरी तक प्रतिदिन सायं ४ से ७ बजे तक आनंद आश्रम विकास नगर में आयोजित होगा।