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सर्वोत्तम है उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना, तनाव में कमी और मन में रहती है शांति

नई दिल्ली: वास्तु शास्त्र के अनुसार सोने की दिशा का हमारे स्वास्थ्य, मानसिक शांति और समृद्धि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सही दिशा में पैर करके सोने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी प्राप्त होती है। वास्तु शास्त्र का विज्ञान इस बात पर आधारित है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हमारे शरीर पर कैसा प्रभाव डालता है। जब हम सही दिशा में सोते हैं, तो हमारे शरीर का ऊर्जा संतुलन बना रहता है, जिससे स्वास्थ्य और मनःशांति में सुधार होता है। सही दिशा में सोने से तनाव में कमी, सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि और बेहतर नींद प्राप्त होती है।

वास्तु शास्त्र में शयन के लिए दक्षिण दिशा को सर्वोत्तम माना गया है। इसके अनुसार सिर को दक्षिण और पैर को उत्तर दिशा में रखकर सोने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है। यह दिशा पृथ्वी के चुंबकीय प्रभाव के साथ सामंजस्य रखती है और इसलिए, इस दिशा में सोने से मन में शांति बनी रहती है और तनाव में कमी आती है। इसके अलावा गहरी नींद आती है। जो लोग अनिद्रा या थकान की समस्या से परेशान रहते हैं उन्हें दक्षिण दिशा में सोने की सलाह दी जाती है।

वास्तु के अनुसार, पूर्व दिशा में सिर और पश्चिम दिशा में पैर करके सोने से मानसिक शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है। पूर्व दिशा ज्ञान और सफलता की दिशा मानी जाती है, इसलिए विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और उन लोगों के लिए यह दिशा लाभकारी मानी जाती है, जिन्हें अपने कार्य में मानसिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह दिशा याददाश्त में सुधार और सृजनात्मकता को बढ़ावा देती है।

वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा में सिर रखकर सोना अत्यधिक हानिकारक माना गया है। यह दिशा चुंबकीय प्रभाव के कारण मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और इससे सिरदर्द, थकान और मानसिक तनाव की समस्या हो सकती है। इस दिशा में सोने से शरीर की ऊर्जा असंतुलित होती है और गहरी नींद में भी बाधा आती है। इसलिए, वास्तु शास्त्र उत्तर दिशा में सोने की मनाही करता है।

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