उत्तर प्रदेश

सियासत की धुरी बन गई है धार्मिक नगरी नैमिषारण्य, सपा और भाजपा दोनों ने केंद्रित किया ध्यान


सीतापुर। सिर्फ धर्म, ज्ञान और अध्यात्म ही नही त्याग और बलिदान के लिए भी अपनी खास पहचान रखने वाली 88 हज़ार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य अब सियासत धुरी के रूप में भी पहचानी जाने लगी है। सूबे की सियासत में आमने सामने रहने वाली भाजपा और सपा ने इस तीर्थ से अपने अभियानों का आगाज़ करके हिंदुत्व के प्रति अपने सियासी नजरिए को भी जाहिर कर दिया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज इसी नैमिषारण्य की पावन धरा पर मौजूद रहे। उन्होंने चक्रतीर्थ के जल का आचमन और तीर्थ का पूजन करने के उपरांत वहां भूतेश्वर नाथ मंदिर में भी दर्शन पूजन किया तत्पश्चात मां ललिता देवी मंदिर पहुंचकर देवी मां की पूजा अर्चना की। उन्होंने नैमिषारण्य के संत- पुरोहितों से इस तीर्थ के विकास और स्वच्छता अभियान पर विस्तार से चर्चा की।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर शुरू किये गए स्वच्छाजंलि कार्यक्रम का सीएम योगी आदित्यनाथ ने नैमिषारण्य से आगाज़ किया। इस दौरान अपने संबोधन में योगी आदित्यनाथ ने वेद और पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास, असुरों पर विजय के लिए अपनी अस्थियों का दान करने वाले महर्षि दधीचि, और शौनक आदि ऋषियों को 18 पुराणों की कथा सुनाने वाले सूत जी महाराज के सनातन धर्म की परम्पराओ को अक्षुण्ण रखने के लिए किये गए योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और ऐसे महामानवों की धरती नैमिषारण्य तीर्थ को विश्वविख्यात बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करने का भरोसा दिलाया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने नैमिषारण्य तीर्थ के विकास के लिए गठित की गई नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद और नैमिषारण्य में कराये जा रहे विकास कार्यो की चर्चा करते हुए अब तक की उपेक्षा पर गम्भीर चिंता भी व्यक्त की।
कुछ समय पूर्व इसी नैमिषारण्य में समाजवादी पार्टी ने भी कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया था जिसमे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से लेकर डॉ. रामगोपाल यादव और शिवपाल सिंह यादव ने भागीदारी कर कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव 2024 में विजय पताका फहराने के लिए मंत्र दिया था। इसी चक्रतीर्थ पर अखिलेश यादव को भी पुरोहितों ने मंत्रोच्चार के साथ पूजन कराकर सफलता का आशीर्वाद दिया था।
अब सवाल आखिर एक ही है कि पिछले कुछ समय के भीतर धर्म और आध्यात्मिक नगरी के रूप में पहचान रखने वाला नैमिषारण्य तीर्थ सियासत का केन्द्र बिन्दु कैसे बन गया। दरअसल करीब एक दशक से प्रदेश और देश की राजनीति में अचानक से बदलाव आया है। भाजपा के नेतृत्व में सरकारे बनने के बाद सॉफ्ट हिंदुत्व का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। योगी सरकार इसी तर्ज पर काम करके तीर्थों के विकास पर ज्यादा जोर दे रही है तो समाजवादी पार्टी भी अल्पसंख्यक हितैषी का मुखौटा उतारकर सॉफ्ट हिंदुत्व का संदेश देने की लगातार कोशिश कर रही है।
नैमिषारण्य तीर्थ सूबे की राजधानी से सटे सीतापुर जिले में स्थित है लिहाजा लोंगो के लिए यहां का आवागमन काफी सुविधाजनक है। वर्ष 2012 में जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी तब इस क्षेत्र से रामपाल राजवंशी सपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे जिन्हें अखिलेश सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया था उस दौरान बतौर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नैमिषारण्य का दौरा भी किया था और यहां के विकास को लेकर कई घोषणाएं भी की थी उसके बाद सरकार का नेतृत्व परिवर्तन हुआ और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो इस सरकार ने अयोध्या, काशी और विन्ध्यधाम के बाद नैमिषारण्य के विकास को अपनी प्राथमिकता में शामिल कर इसके समग्र विकास का खाका तैयार कर उस पर काम शुरू किया। अब सूबे के दोनों प्रमुख सियासी दल सपा और भाजपा नैमिषारण्य तीर्थ को सियासत की उपजाऊ भूमि के रूप में तैयार करने में लगे हुए हैं जहां से पैदा होने वाली सॉफ्ट हिंदुत्व की फसल उसकी सियासत को सत्ता में तब्दील करने में सहायक सिद्ध हो सके।

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