हवन या यज्ञ के अग्निकुंड में आहुति देते वक्त इसलिए कहा जाता है स्वाहा
जब कभी भी आप और हम घर या ऑफिस या फिर किसी अन्य स्थान पर हवन करवाते हैं तो हमेशा स्वाहा शब्द का प्रयोग करते हैं। परन्तु क्या आपको मालूम है कि हवन करवाते समय स्वाहा शब्द का प्रयोग क्यों किया जाता है।इसके अलावा नहीं तो चालिए आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह।ऐसी मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि स्वाहा अग्नि देव की पत्नी है इस लिए हर मंत्र का जप करने के बाद स्वाहा कहा जाता है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि आखिरकार स्वाहा शब्द का ही प्रयोग हवन में क्यों जरूरी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की पौराणिक कथाओं के मुताबिक स्वाहा दक्ष प्रजापति की बेटी थीं। इनकी शादी अग्निदेव के साथ हुआ। अग्निदेव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हविष्य ग्रहण करते हैं और उनके माध्यम से यही हविष्य आहन किए गए देवता को प्राप्त होता है।दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार अग्निेदव की पत्नी स्वाहा के पावक,पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र हुए। वैसे स्वाहा की उत्तत्ति से एक अन्य रोचक कहानी भी जुड़ी हुई है।
इसके अलावा यदि बात की जाए तो जी हां इसके मुताबिक स्वाहा प्रकृति की ही एक कला थी जिसकी शादी अग्नि के साथ देवताओं के आग्रह पर संपन्न हुआ था। वही इतना ही नहीं भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं स्वाहा को ये वरदान दिया था कि सिर्फ उसी के माध्यम से देवमा हविष्य को ग्रहण कर पाएंगे। इसके अलावा यज्ञीय प्रयोजन तभी पूरा होता है और आहन किए गए देवता को उनका पसंदीदा भोग पहुंचा दिया जाए।