बीवी दूसरों के संपर्क में आ जाएगी, बाढ़ में डूबे पाकिस्तानी नहीं छोड़ रहे घर, बोले सारी इज्जत खराब…
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में भीषण बाढ़ के कारण हालात बेहद खराब है। लाखों लोगों के घर-बार बाढ़ के पानी में समाए हुए हैं। ऐसे लोगों को प्रशासन ने बाढ़ वाले इलाकों से दूर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। इसके बावजूद कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने बाढ़ के पानी में डूबे होने के बावजूद अपने घरों को छोड़ने से इनकार कर दिया है। इन लोगों का तर्क है कि कैंप में जाकर रहने से हमारे घरों की महिलाएं बाहरी पुरुषों के संपर्क में आ जाएंगी। इससे उनके सम्मान का हनन होगा। ऐसे में उन्होंने बाढ़ के पानी में ही जिंदगी गुजर-बसर करने का फैसला किया है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया है कि अधिकतर इलाकों से बाढ़ का पानी निकलने में तीन से छह महीनों का समय लग सकता है। ऐसे में लोगों को लंबे समय तक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
पाकिस्तान के छोटे से गांव बस्ती अहमद दीन के 400 निवासी बाढ़ के कारण भुखमरी और बीमारी का सामना कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने घर छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि राहत शिविर के लिए जाने का मतलब होगा कि गांव की महिलाएं अपने परिवार के बाहर के पुरुषों के साथ घुलमिल जाएंगी और इससे उनके सम्मान का हनन होगा। 17 साल की शिरीन बीबी से जब पूछा गया कि क्या वह सूखी जमीन पर कैंप की सुरक्षा में जाना पसंद करेंगी, तो उन्होंने कहा कि यह तय करना गांव के बुजुर्गों पर निर्भर है। बाढ़ के कारण पंजाब प्रांत के रोझन इलाके में स्थित बस्ती अहमद दीन के 90 में से आधे से ज्यादा घर तबाह हो गए हैं। इस साल मानसूनी बारिश के कारण पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा बाढ़ का सामना कर रहा है।
जून में बारिश शुरू होने पर गांव के लोगों की कपास की फसल अब बाढ़ वाले खेतों में सड़ रही है। गांव को नजदीकी शहर से जोड़ने वाली सड़क अब भी बाढ़ के पानी में 3 मीटर तक डूबी हुई है। सड़कों और आसपास के इलाके में गंदगी का अंबार होने के कारण कई तरह की बीमारियां भी फैल रही हैं। ग्रामीणों के लिए भोजन और दूसरे जरूरी सामान खरीदने के लिए बाहर निकलने का एकमात्र तरीका लकड़ी की नावें हैं। चारों तरफ जल प्रलय के कारण नावों की भी डिमांग काफी ज्यादा है। ऐसे में नावों को चलाने वाले भी सामान्य से कहीं अधिक किराया वसूलते हैं।
बस्ती अहमद दीन के अधिकतर परिवार काफी गरीब हैं। उनके पास अनाज लगभग खत्म हो चुका है। बारिश के बाद जो भी गेहूं और दूसरे अनाज उन्होंने बचाए थे, वो अगले कुछ हफ्ते तक ही चल सकेंगे। ऐसे में लोगों ने मदद पहुंचाने वाली सरकारी एजेंसियों और स्वंयसेवी संस्थानों से खाने-पीने के सामान देने की गुहार लगाई है। उन्होंने डर जताया कि अगल हमें समय पर मदद नहीं मिलती है तो हमारे घर के लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ सकती है।
कहा कि हम बलूच हैं। बलूच अपनी महिलाओं को बाहर जाने की अनुमति नहीं देते हैं। बलूच अपने परिवारों को बाहर जाने देने के बजाय भूखे मरना और करना पसंद करेंगे। पाकिस्तान के अधिकतर इलाकों में महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। उनकों पुरुषों के बराबर न तो हक दिया जाता है और ना ही सम्मान। यहां तक कि महिलाओं को गैर मर्दों के साथ बात करने की भी मनाही होती है। परिवार के बजाए अपनी पसंद के किसी व्यक्ति से शादी करने पर लड़कियों की हत्या कर दी जाती है।