विदेशी शेयरों में करने जा रहे हैं निवेश तो ध्यान रखें ये बातें, बेहद जरूरी है इन नियमों की जानकारी
नई दिल्ली। अगर आप भी विदेशी शेयरों और संपत्तियों में निवेश करना चाहते हैं, तो ये खबर आपके लिए है। लिब्रलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत एक वित्त वर्ष में कोई भी भारतीय नागरिक अधिकतम 2.5 लाख डॉलर का विदेशी निवेश कर सकता है।
कुछ साल पहले तक विदेशी शेयरों और संपत्तियों में निवेश केवल अमीर व्यक्तियों के बीच ही प्रचलित था। लेकिन अब बेहद कम निवेश के साथ कोई भी आम नागरिक आसानी से विदेशों में व्यक्तिगत या फिर म्यूचुअल फंड और ईटीएफ के जरिए निवेश कर सकते हैं। अगर आप व्यक्तिगत तौर पर विदेश में निवेश करने का योजना बना रहे हैं, तो आपको काफी सारी रिसर्च करनी होगी। वहीं, इसके लिए काफी सारे प्लेटफार्म भी मौजूद हैं। इनके जरिए आप आसानी से विदेशों में निवेश कर सकते हैं।
अमेरिका जैसे विकसित देश में निवेशक नई उभरती हुई टेक्नोलॉजी में निवेश कर सकते हैं। उदाहरण के लिए वहां सर्च इंजन, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और सेमीकंडक्टर बनाने वाली बड़ी कंपनियां हैं, जबकि भारत में अभी ऐसी कंपनियां काफी छोटी है।
कई विदेशी शेयर बाजारों में ऊंचे मूल्य वाले बड़ी कंपनियों के शेयरों को कई भागों में बांट दिया जाता है। इसके कारण छोटी राशि वाले निवेशक भी इन कंपनियों में निवेश कर सकते हैं।
भारत में अभी कई वित्तीय कंपनियों द्वारा ऐसे म्यूचुअल फंड और ईटीएफ ऑफर किए जाते हैं, जिनमें आप निवेश करके अपने पोर्टफोलियो में विदेशी शेयरों को शामिल कर सकते हैं। आमतौर पर 5000 रुपये की राशि या ईटीएफ की एक यूनिट की खरीद को निवेश के लिए पर्याप्त माना जाता है।
अगर आपने विदेशी संपत्तियों में निवेश किया हुआ है तो आपको उनसे कोई आय न होने भी आयकर देना पड़ सकता है। वहीं, अगर अपने इन्हें अपने आयकर में नहीं दिखाया, तो सरकार इसे काला धन मान सकती है।