कैसे बनते हैं आरटीओ ऑफिसर ? सैलरी के अलावा मिलती हैं सरकारी गाड़ी और कई सुविधाएं

लाइसेंस बनवाना हो, गाड़ी के रजिस्ट्रेशन, बीमा, फिटनेस सर्टिफिकेट आदि की बात हो, सब में आरटीओ की बात होती है. क्या होता है आरटीओ ? आरटीओ का फुल फॉर्म है रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर. हिंदी में कहें तो क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी. आरटीओ ऑफिस को अच्छी खासी सैलरी मिलती है, सड़क और यातायात में काफी अधिकार रखता है.

आरटीओ ऑफिसर ड्राइविंग लाइेंस जारी करता है, व्हीकल एक्साइज ड्यूटी (जिसे रोड ट्रैक्स और रोड फंड लाइसेंस भी कहा जाता है) कलेक्ट करने के साथ पर्सनलाइज्ड रजिस्ट्रेशन बेचता है. इसके साथ वाहनों के बीमा की जांच और प्रदूषण नियंत्रण के लिए वाहनों की जांच व सर्टिफिकेट की भी जिम्मेदारियां उसके पास होती हैं. आइए जानते हैं कि कैसे बनते हैं आरटीओ और उसे सैलरी कितनी मिलती है.

आरटीओ के पद पर सीधे भर्ती नहीं होती. सबसे पहले एआरटीओ के पद पर नियुक्ति होती है. कुछ साल सर्विस के बाद प्रमोशन के जरिए आरटीओ पद पर नियुक्ति मिलती है. एआरटीओ की भर्ती राज्य राज्य सेवा आयोग के माध्यम से होती है. इसके लिए सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा, मेडिकल/फिटनेस टेस्ट और इंटरव्यू पास करने पड़ते हैं.

आरटीओ पद पर भर्ती के लिए सबसे पहले तो किसी भी स्ट्रीम में बैचलर डिग्री यानी ग्रेजुएट होना चाहिए. साथ ही उम्र कम से कम 21 साल और और अधिकतम 30 साल होनी चाहिए. हालांकि अधिकतम उम्र सीमा ओबीसी के लिए 33 साल और एससी-एसटी के लिए 37 साल है.

आरटीओ का पे स्केल 15600-39100 रुपये है. हालंकि इसमें कई प्रकार के भत्ते जुड़ते हैं. आरटीओ ऑफिसर सरकारी नौकरियों में बी ग्रेड की जॉब है.

आरटीओ पद पर भर्ती होने के बाद एक सरकारी गाड़ी मिलती है. मेडिकल सहित कई प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं. जिसमें ऑफिस में प्राइवेट केबिन आदि भी शामिल है.

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