ग्लोरियस भीमबेटका : पद्मश्री डॉ० यशोधर मठपाल संग्रह की चलायमान प्रदर्शनी का 15 अगस्त तक रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के पांचाल संग्रहालय में निःशुल्क प्रदर्शन
बरेली , 15 जुलाई। पद्मश्री डाo यशोधर मठपाल संग्रह की चलायमान प्रदर्शनी भीमबेटका का रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के पंचाल संग्रहालय में 15 अगस्त तक निःशुल्क प्रदर्शन किया जा रहा है ।भीमबेटका पुरास्थल (युनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट) भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण में विध्य पहाडियों के दक्षिणी छोर पर स्थित है। इसकी खोज प्रख्यात भारतीय शैलकला विशेषज्ञ पदमश्री डा० वी० एस० वाकणकर ने वर्ष 1957 में की थी। तब से अभी तक 750 से अधिक शैलाश्रयों की पहचान की गई थी, जिनमें से 243 शैलाश्रय भीमबेटका समूह में और 178 शैलाश्रय लाखाजुआर समूह में चिन्हित किये गये। भीमबेटका एवं उसके आस-पास अनेक स्थलों पर पुरातात्विक अध्ययन के परिणामतः पुरातन मानव अधिवास के सतत् अनुक्रम भी ज्ञात हुये है।
भीमबेटका के शैलाश्रयों में प्रागैतिहासिक चित्रों का वृहद् भंडार है। यद्यपि यहां के सबसे प्राचीन शैलचित्र लगभग 30,000 वर्ष पुराने माने जाते है। चित्रांकन के लिये प्रयुक्त होने वाले विभिन्न रंग प्राकृतिक होते थे जो मुख्य रूप से मैगनीज, हेमेटाईट और लकड़ी के कोयले को मिलाकर तैयार किये गये थे।
प्रस्तुत प्रदर्शनी पद्मश्री डा० यशोधर मठपाल द्वारा बनाई गई ओरिजनल पेंटिगं पर आधारित है, जो इन्दिरा गांधी राष्ट्र कला केन्द्र के सांस्कृतिक अभिलेखागार के संकलन में है। इन्दिरा गांधी राष्ट्र कला केन्द्र नई दिल्ली के बाहर सर्वप्रथम बार इस संग्रह को चलायमान प्रदर्शनी के रूप में पंचाल संग्रहालय, प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में 30 मई से विस्तारित कर 15 अगस्त 2023 तक छात्रो शोधार्थियों के साथ ही आम जनमानस के जानकारी एवं जागरूकता हेतु प्रदर्शित किया गया है।
पंचाल संग्रहालय को पूर्णतया डिजिटल करने के पश्चात् एल0ई0डी पैनल, होलोग्रफिक फैन कियॉस्क स्टोरी टेलिंग बोर्ड, ट्रांसलाईट, पैनल, होलोग्राफिक फैन आदि माध्यम से दर्शकों हेतु अधिक रूचिकर व आकर्षक बनाया गया है । 15 अगस्त तक विद्यार्थियों व दर्शकों हेतु आम जनमानस को दृष्टिगत रखते हुये पंचाल संग्रहालय निःशुल्क भ्रमण हेतु सभी के लिये सोमवार से शनिवार 10:30 से 4:30 तक खुला है। 15 अगस्त 2023 के पश्चात विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित शुल्क के साथ दर्शको हेतु खोला जायेगा। अतः 15 अगस्त तक विद्यार्थी और अन्य नागरिक गण भीमबेटका चलायमान प्रदर्शनी और डिजिटल पंचाल संग्रहालय दोनों का भ्रमण मानव विरासत की अनुभूति कर सकते है।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट