आईवीआरआई में राष्ट्रीय वेटनरी पेथौलोजी कांग्रेस का आयोजन 20-22 दिसम्बर को

बरेली, 19 दिसम्बर। पालतू पशुओं एवं कुक्कुटों के उदीयमान रोगों के निदान एवं नियंत्रण पर वेटरनरी पेथौलोजी कांग्रेस-2023 आयोजन आईवीआरआई, इज्जतनगर, बरेली में दिनांक 20-22 दिसम्बर, 2023 को हो रहा है। इस का आयोजन भारतीय पशु चिकित्सा विकृतिविज्ञानी संघ (आईएवीपी) तथा इंडियन कालेज ऑफ वेटनरी पेथोलोजिस्ट (आईसीवीपी) के संयुक्त तत्वाधान में हो रहा है। इस अवसर पर इंडियन एशोंसियन ऑफ वेटरनरी पैथोलोजिस्टस (आईएवीपी) का 40वाँ वार्षिक अधिवेशन, इंडियन कालेज ऑफ वेटरनरी पैथालोजिस्टस (आईसीवीपी) का 14वीं वार्षिक अधिवेशन, इंडियन कालेज ऑफ वेटरनरी पैथोलोजिस्टस (आईसीवीपी) के साथ-साथ “एडवांसेस इन वेटरनरी पैथालोजी फार डायग्नोसिस एण्ड कण्ट्रोल ऑफ इमर्जिंग डिसेजेस आफ लाइव स्टाक एण्ड पोल्ट्री विषय पर एक राष्ट्रीय सिम्पोजियम भी आयोजित हो रहा है। इस कांग्रेस सभा में देश के विभिन्न भागों के 250 पशु चिकित्सा विकृतिविज्ञानी, विषय के वरिष्ठ प्रोफेसर्स, सहायक प्रोफेसर्स, वैज्ञानिक, रोग अन्वेषणकर्त्ता, शोध छात्र, छात्रायें उद्योग जगत के प्रतिनिधि सम्मिलित हो रहे हैं। कुछ नाम चीन अतिथियों में आईएवीवीपी के अध्यक्ष एवं शेरे कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जम्मू के उपकुलपति डा.बी.एन. त्रिपाठी, आईसीवीपी के अध्यक्ष डा. व्यास एम. रिंगटगेरी, डा. सी. बालाचन्द्रन, पूर्व उपकुलपति तमिल एनीमल एवं वेटरनरी सांईस यूनिवर्सिटी, चेन्नई, तमिलनाडु आदि हैं।
कार्यक्रम के मुख्य-अतिथि उत्तर प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरिंग के केबीनेट मंत्री माननीय श्री धर्मपाल जी हैं। समस्त कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा.के.पी. सिंह, संयुक्त-निदेशक, कैडराड ने बताया कि इस अवसर पर विकृतिविज्ञानी कांग्रेस में आठ तकनीकी सेशन में पशुओं एवं कुक्कुटों के उदीयमान गंभीर रोगों में हुयी शोधों एवं निदान पर अपनी शोध प्रस्तुतियां एवं चर्चा करेंगे। युवाओं एवं छात्रों के लिए विशेष युवा वैज्ञानिक पुरस्कार तथा पोस्टर सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।
आईएवीपी के विषय में बताते हुए इसके पूर्व अध्यक्ष तथा संस्थान के पैथोलाजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. रमेश सोमंवशी ने सूचित किया कि आईएवीपी देश की एक पुरानी वैज्ञानिक संस्थान है जिसकी स्थापना 1974 में हुयी थी। इसके लगभग 1500 आजीवन सदस्य हैं। यह एक त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘ द इंिडयन जर्नल ऑफ वेटरनरी पैथोलाजी व न्यूज लैटर ‘द लीजन प्रकाशित करती है। सन् 2008 में स्थापित इसकी सहयोगी संस्थान इंण्डियन कालेज ऑफ वेटरनरी पेथोलोस्टि स्तरीय पशु रोग निदान हेतु विशेष परीक्षाओं का आयोजन करती है एवं ‘डीआईसीवीपी’ उपाधि प्रदान करती है। देश में पशुचिकित्सा विज्ञान में यह विशिष्ठ विषयक अपूर्व एवं एक मात्र संस्था है तथा इसने अब तक देश को 70 से भी अधिक वैज्ञानिक डिप्लोमेटस दिये हैं। इस कांग्रेस के उपरांत 23 दिसम्बर को आईसीवीपी एक कार्यशाला भी आयोजित कर रही है। यह जानकारी आईसीवीपी के सचिव एवं विभागाध्यक्ष, विकृति विज्ञान विभाग, आईवीआरआई,, डा. राजवीर सिंह पव्वैया ने दी।
वेटनरी पैथोलाजी कांग्रेस के तकनीकी कार्यक्रम के बारे में बताते हुए आयोजन सचिव डा.के.पी. सिंह ने बताया कि इन तीन दिनों में आईएवीपी-थीमेटिक, आईएवीपी-सीवीई व्याख्यान, डा.पी. गुप्ता ओरेशन, डा.एम.के. नायर मैमेारियल व्याख्यान, डा.एन.एस. परिहार मैमोरियल व्याख्यान के अतिरिक्त 30 प्रमुख या आमंत्रित लीड पेपर प्रस्तुत होंगे। पशु चिकित्सा युवा विकृतिविज्ञानी अपनी शोध मौखिक/पोस्टर प्रस्तुति द्वारा बतायेंगे। ये शोधपत्र मॉलीक्यूलर पैथोलाजी, पालतू पशुओं, कुक्कुट, वन्यजीवों आदि के रोगों, विष विकृति विज्ञान, इम्यूनोपैथोलोजी, रोग निदान तकनीकों आदि पर होंगे। इससे शोध छात्र/छात्राओं का ज्ञान बढ़ेगा व वे विशेषज्ञों से प्रत्यक्ष चर्चा कर सकेंगे।
वेटरनरी पैथोलोजी कांग्रेस-2023 के प्रतिभागियों का एक प्रमुख आकषर्ण है आईएवीपी के लगभग 30 से अधिक वार्षिक पुरस्कार एवं दो दर्जन से अधिक प्रमाण पत्र। इस वर्ष आईएवीपी की फैलोशिप तनुवास, चेन्नई के प्रो. एन पेजनीवाल तथा माफसू, मुम्बई के प्रो. एस.डी. मोरेगांवकर को प्रदत्त की जा रही है। एशोसियन के दो प्रमुख स्तम्भों डा.एम. के नायर, मैनुथी, केरल तथा आईवीआरआई के डा. एन.एस. परिहार जिनका पिछले वर्ष निधन हुुआ स्मृति में विशेष व्याख्यान आयोजित किये जा रहे हैं। इस कांग्रेस में भाग लेने के लिए जम्मू, लुधियाना, हिसार, बीकानेर, मथुरा, पंतनगर, पटना, रांची, कोलकाता, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, चेन्नई, मुम्बई, बैंग्लूरू, भोपाल, दुर्ग, हैदराबाद आदि स्थानों से प्रतिभागी पधार रहे हैं। प्रतिभागियों का आईवीआरआई, बरेली पधारने का विशेष उत्साह एवं आकषर्ण रहता है क्योंकि यह संस्थान अनेकों का एल्मामातेर या मातृ संस्थान है। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट