17 जुलाई को देवशयनी एकादशी, चातुर्मास में छाएगा तीज-त्योहारों का उल्लास
नई दिल्ली : देवशयनी एकादशी पर 17 जुलाई से 12 नवंबर तक 118 दिन के लिए शिव के हाथ सृष्टि का काम सौंप श्रीहरि योगनिद्रा पर जाएंगे। एकादशी पर शहर में विभिन्न आयोजन होंगे। मंदिरों में भगवान को शयन आरती कर सुलाया जाएगा। वहीं वारकरी संप्रदाय द्वारा दिंडी यात्राओं का आयोजन होगा। इसके साथ ही चार माह के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लगेगा। इस दौरान प्रमुख तीज-त्योहारों के उल्लास के साथ ही संतों के सान्निध्य में धर्म आराधना होगी।
पिछले वर्ष चातुर्मास की अवधि 148 दिन यानी पांच माह थी। इस बार चातुर्मास चार माह का है। इसके चलते तीज-त्योहार पिछले वर्ष के मुकाबले 10-15 दिन पहले आएंगे। चातुर्मास भगवान विष्णु का शयनकाल होता है। पुराणों के अनुसार इस दौरान विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश सहित विभिन्न मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। देवशयनी एकादशी पर पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र से दिंडी यात्रा निकाली जाएंगी। पहली बार पूर्वी क्षेत्र में परशुराम महादेव मंदिर कनाड़िया से शाम 4 बजे दिंडी यात्रा का आयोजन होगा। आयोजन श्री समर्थ मराठी सामाजिक कल्याण समिति एवं समर्थ भगिनी मंडल के तत्वावधान में होगा। समग्र मराठी समाज द्वारा सुबह 9 बजे कृष्णपुरा छत्री से पंढरीनाथ मंदिर चौराहा तक दिंडी यात्रा निकाली जाएगी। इसमें समाजजन पारंपरिक वेशभूषा में अभंग गायन करते चलेंगे। विभिन्न स्थानों पर आराध्य का स्वागत किया जाएगा।
चातुर्मास में मनोरमागंज स्थित गीता भवन में इस बार चार संतों का सान्निध्य मिलेगा। चातुर्मास के प्रवचनों का शुभारंभ गुरु पूर्णिमा पर 21 जुलाई से होगा। इसमें स्वामी वृंदावन दास महाराज के प्रवचन 21 जुलाई से 4 अगस्त तक प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक एवं शाम 5.30 से 6.30 बजे तक होंगे। गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन एवं मनोहर बाहेती ने बताया कि 5 से 19 अगस्त तक ऋषिकेश के स्वामी अखंडानंद महाराज, 20 अगस्त से 2 सितंबर तक उज्जैन के स्वामी असंगानंद महाराज और 3 से 17 सितंबर तक नैमिषारण्य के स्वामी पुरुषोत्तमानंद महाराज के प्रवचन होंगे। 14 सितंबर को गीता भवन के संस्थापक बाबा बालमुकुंद की पुण्यतिथि मनाई जाएगी।