कब रखा जाएगा भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत, कौन सा है स्नान दान का शुभ दिन
नई दिल्ली : भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत भी होती है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करने से देवताओं के साथ ही हमारे पितृ भी प्रसन्न होते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है।
भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है और इसके बाद 16 दिनों तक हम अपने पितरों को याद करते हैं, उनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण, दान आदि करते हैं। साल 2024 में पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर के दिन शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत सुबह लगभग 11 बजकर 43 मिनट पर होगी और 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक पूर्णिमा तिथि व्याप्त रहेगी। क्योंकि उदयातिथि की पूर्णिमा 18 सितंबर को है इसलिए इसी दिन पूर्णिमा तिथि मानी जाएगी।
हालांकि, जो लोग व्रत रखने वाले हैं, चंद्रमा की पूजा करने वाले हैं, या विष्णु-लक्ष्मी पूजन करने वाले हैं वो 17 तारीख को ये सब कार्य कर सकते हैं। वहीं स्नान-दान के लिए 18 सितंबर का दिन शुभ माना जाएगा।
भाद्रपद पूर्णिमा के उपाय
अगर आप सुख-समृद्धि की कामना करते हैं तो भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कुछ आसान उपाय आप कर सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से और सामर्थ्य अनुसार दान देने से पितरों और देवताओं का आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है।
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करने से आर्थिक समस्याओं से आपको छुटकारा मिलता है।
सत्यनारायण की कथा का पाठ करने से सुख-समृद्धि घर में बनी रहती है।
अगर आप इस दिन गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी आदि को अन्न खिलाते हैं तो आपके जीवन की कई समस्याओं का हल आपको मिल सकता है।
इस दिन घर में गंगाजल का छिड़काव करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है।
इस दिन योग-ध्यान करने से आलौकिक अनुभव व्यक्ति को प्राप्त होते हैं।
अगर दांपत्य जीवन में परेशानियां चल रही हैं तो इस दिन पति-पत्नी को चंद्रमा को दूध का अर्घ्य देना चाहिए, ऐसा करने से दांपत्य जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।
जो लोग अविवाहित हैं और योग्य जीवनसाथी पाना चाहते हैं वो भी इसदिन चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं और चंद्रमा का पूजन कर सकते हैं।