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‘आत्मनिर्भर भारत’ की बड़ी छलांग: डेंगू के खिलाफ भारत को मिलेगा ‘सुरक्षा कवच’, 90% तक मौतें घटाने का दावा

नई दिल्ली: हर साल बारिश के मौसम में हजारों लोगों को बीमार करने और सैकड़ों की जान लेने वाले डेंगू के खिलाफ जंग में भारत एक बड़ी जीत हासिल करने के करीब है। देश की पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है और इसके क्लीनिकल ट्रायल जारी हैं। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो यह वैक्सीन अगले दो सालों में बनकर तैयार हो सकती है।

यह वैक्सीन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और एक भारतीय दवा कंपनी द्वारा मिलकर तैयार की जा रही है। उम्मीद है कि 2027 के अंत तक इसे मंजूरी के लिए ड्रग रेगुलेटर के पास भेजा जा सकेगा, जिसके बाद यह आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी।

चारों तरह के डेंगू पर होगी असरदार
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. समीर भाटी के अनुसार, यह एक ‘टेट्रावैलेंट’ वैक्सीन होगी, जिसका अर्थ है कि यह डेंगू फैलाने वाले सभी चार सीरोटाइप्स (Serotypes) के खिलाफ प्रभावी होगी। यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि अब तक सभी स्ट्रेन्स के खिलाफ एक प्रभावी वैक्सीन बनाना एक बड़ी चुनौती रही है। डॉ. भाटी का दावा है कि इस वैक्सीन के बाजार में आने के बाद डेंगू से होने वाली मौतों का आंकड़ा 80 से 90 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

इस वैक्सीन का मुख्य उद्देश्य शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को इतना मजबूत करना है कि अगर व्यक्ति डेंगू के वायरस से संक्रमित हो भी जाए, तो बीमारी गंभीर रूप न ले पाए। इससे मरीज को अस्पताल में भर्ती होने या उसकी जान जाने का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा। यह वैक्सीन विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए एक वरदान साबित होगी। यह वैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है, यानी इसका विकास और परीक्षण भारत में ही किया गया है। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी साफ किया है कि किसी भी वैक्सीन की तरह यह भी बीमारी से 100% सुरक्षा की गारंटी नहीं देगी। इसलिए, वैक्सीन के आने के बाद भी लोगों को मच्छरों से बचाव और अपने आसपास साफ-सफाई रखने जैसे उपायों को अपनाना जारी रखना होगा।