रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के बहुभाषीय अध्ययन केन्द्र में नव-प्रवेशित छात्रों के लिय विशेष सत्र का आयोजन
बरेली, 21 सितम्बर। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली के बहुभाषीय अध्ययन केन्द्र में नव-प्रवेशित छात्रों के लिए एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित भाषा विशेषज्ञों ने भाग लेकर विद्यार्थियों को अपनी-अपनी भाषा की महत्ता और उनसे जुड़े रोज़गार व करियर अवसरों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
महाराजा रणजीत सिंह विश्वविद्यालय, हरियाणा से हिंदी विशेषज्ञ डॉ० मंजु लता ने कहा कि आज के समय में फंक्शनल हिंदी की मांग लगातार बढ़ रही है। विज्ञापन लेखन, मीडिया, पॉडकास्ट, स्क्रिप्ट राइटिंग, क्रिएटिव राइटिंग और अनुवाद जैसे क्षेत्रों में हिंदी भाषा की उपयोगिता अत्यधिक है और इसमें निपुण विद्यार्थी अनेक रोज़गार अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से फ्रेंच भाषा विशेषज्ञ डॉ० पियूष चौबे विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि फ्रेंच भाषा विश्वभर की शिक्षा, पर्यटन, व्यवसाय और कूटनीतिक संबंधों की एक प्रमुख भाषा है। उन्होंने बताया कि फ्रेंच का अध्ययन छात्रों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और शिक्षण संस्थानों में रोजगार की असीम संभावनाएँ प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक दुनिया में फ्रेंच का ज्ञान छात्रों को प्रतिस्पर्धा में एक कदम आगे ले जाता है।
जर्मन भाषा विशेषज्ञ डॉ० रजनीश गुप्ता ने कहा कि यह भाषा न केवल यूरोप में उच्च शिक्षा और शोध की प्रमुख भाषा है बल्कि तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में भी इसका व्यापक उपयोग होता है। उन्होंने कहा कि जर्मनी जैसे देश रिसर्च स्कॉलरशिप और रोजगार अवसरों के लिए छात्रों को प्रोत्साहित करते हैं और जर्मन भाषा का ज्ञान इसमें सुनहरा अवसर उपलब्ध कराता है।
ताइवान से आयी मंदारिन भाषा विशेषज्ञ मिस चियाली चेन ने मंडारिन को विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बताते हुए कहा कि इसका ज्ञान छात्रों को चीन के साथ व्यापार, तकनीकी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में आगे बढ़ाता है। उन्होंने ताइवान सरकार से छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति से भी नव-प्रवेशित छात्रों को अवगत कराया जिस के माध्यम से वे 3 महीने से ले कर 01 साल तक ताइवान जाकर मंदारिन भाषा सीख सकते हैं और जिसमें ताइवान में रहकर पढ़ने और रहने का सारा भार ताइवान सरकार वहन करेगी।
वीआईटी, वेल्लोर से ऑन-लाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े स्पैनिश भाषा विशेषज्ञ डॉ. सब्यसाची मिश्रा ने कहा कि स्पैनिश आज विश्व की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि यह भाषा लैटिन अमेरिका और यूरोप के अनेक देशों में शिक्षा, पर्यटन, अनुवाद और व्यवसाय का आधार है। डॉ. मिश्रा ने यह भी कहा कि भारतीय विद्यार्थियों के लिए स्पैनिश सीखना वैश्विक मंच पर एक बड़ी पहचान बनाने का अवसर है क्योंकि इसके माध्यम से वे अनेक महाद्वीपों में करियर की संभावनाएँ तलाश सकते हैं।
मानविकी विभाग की विभागाध्यक्ष एवं बहुभाषा केन्द्र की समन्वयक डॉ अनीता त्यागी ने विभाग में चल रही भाषाओं की उपयोगिता को बताते हुए सभी छात्रों को विदेशी भाषाओं की प्रासंगिकता, पाठ्यक्रम की अवधि, मूल्यांकन प्रणाली, तथा रोजगारोन्मुख अवसरों से संबंधित उपयोगी जानकारियाँ साझा करते हुए बताया कि बहुभाषा केन्द्र न केवल विदेशी भाषाओं में छात्रों में दक्षता विकसित कर रहा है, बल्कि भारतीय भाषाओं को भी सशक्त बना रहा है। इसके अंतर्गत एम.ए. फंक्शनल हिंदी तथा एम.ए. पाली भाषा एवं बौद्ध संस्कृति जैसे पाठ्यक्रम भी संचालित किये जा रहे हैं, जो विद्यार्थियों को आधुनिक रोजगारपरक हिंदी, सृजनात्मक लेखन, तथा बौद्ध दर्शन की गहन समझ प्रदान करते हैं। इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी, पाली और बौद्ध संस्कृति के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इसके साथ ही अंग्रेजी भाषा में दक्षता के लिए भी दो कोर्स चलाये जा रहें हैं l
कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों को विभाग की भाषा प्रयोगशाला एवं विभागीय पुस्तकालय का भ्रमण भी कराया गया। लगभग 30 मिनट तक छात्रों ने पुस्तकालय में भाषाओं से संबंधित पुस्तकों का विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में अध्ययन किया और अपने अनुभव साझा किए।
बहुभाषीय अध्ययन केन्द्र में संचालित फ्रेंच, जर्मन, मंदारिन और स्पैनिश भाषाओं के डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया जारी है, जिसकी अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2025 है। विद्यार्थियों को इन पाठ्यक्रमों से न केवल भाषा ज्ञान मिल रहा है बल्कि वे उच्च शिक्षा, शोध एवं वैश्विक रोजगार अवसरों के लिए भी तैयार हो रहे हैं।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

