पशुचिकित्सकों को सर्जरी की नई तकनीक सिखा रहा आईवीआरआई : पशुओं के लीवर,आंत,पथरी,फ्रेक्चर तथा अन्य अंगों की सिखाई जाएगी शल्य चिकित्सा
बरेली,23 सितंबर। आईवीआरआई छोटे बड़े पशुओं की सर्जरी के नये कीर्तिमान गढ़ रहा है। देश और विदेश के पशु चिकित्सक बरेली आकर सर्जरी की नई तकनीक को सीख रहे हैं। आईवीआरआई में पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा नेपाल के पशुचिकित्साधिकारियों को पांच दिवसीय ” हैण्डस ऑन ट्रेनिंग ऑन “सॉफ्ट टिशू सर्जरी इन एनीमल्स” की क्लास दी जा रही है। पशुओं के लीवर, आंत, पथरी तथा अन्य अंगों की सिखाई जाएगी शल्य चिकित्सा । आईवीआरआई इस विशेष तकनीक के बारे में पशु चिकित्सकों को सिखा रहा है। इससे वह सीमित संसाधनों में अपने क्षेत्रों में जाकर पशुओं की शल्य चिकित्सा कर ठीक कर सकेंगे। इस अवसर पर एक कंपेडियम का भी विमोचन किया गया ।
सोमवार को आईवीआरआई में प्रशिक्षण सत्र के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्थान के संयुक्त निदेशक (शेषणिक) डा. एस. के. मेदिरत्ता ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपको पशुओं के बीमारी और निदान दोनों के बारे में आपको हैंड्स ऑन ट्रेनिंग दी जाएगी । हमारे संकाय सदस्यों के पास पशु रोग एवं निदान के विशाल अनुभव है तथा उनके पास समग्र विषयों का कवरेज भी है । हमारे संकाय के डाक्टर आर्थोपेडिक्स, प्लेटिंग, इंटर्लाकिंग, नेल और डायनेमिक इंटरनल फ़िक्सेशन तकनीकों पर कार्य करते हैं। इस सभी संकाय सदस्यों का ज्ञान आप प्राप्त करें तथा अपने अपने क्षेत्रों में जाकर इसका प्रसार करें ।
इस अवसर पर शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ किरनजीत सिंह ने कहा कि यह पाठ्यक्रम क्षेत्र स्तर पर आवश्यकता को पूरा करने और इस प्रकार पशु चिकित्सकों के कौशल को बढ़ाने और क्षेत्र स्तर के परिदृश्य में बदलाव लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पशुओं में सर्जिकल स्थितियों के निदान इमेजिंग और प्रबंधन पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम (AINP-DIMSCA) ने हमें इन पाठ्यक्रमों को शुरू करने के लिए एक सही मंच प्रदान किया है, क्योंकि पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण प्रदान करना इस कार्यक्रम के उद्देश्यों में से एक है।
परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ अभिषेक सक्सेना ने कहा कि पाठ्यक्रम का मुख्य लक्ष्य प्रशिक्षुओं के शल्य चिकित्सा के ज्ञान को ताज़ा करना, उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण देना, उनका आत्मविश्वास बढ़ाना, उन्हें नई तकनीकें सिखाना और उन्हें महत्वपूर्ण शल्य चिकित्सा तकनीकों में कुशल बनाना है, ताकि वे अपने अस्पतालों में सर्जरी करना शुरू कर सकें। मुझे यकीन है कि एक बार जब वे क्षेत्र स्तर पर सरल सर्जरी करना शुरू कर देंगे, तो वे बिना किसी आशंका के कई अन्य जटिल सर्जरी करने में सक्षम होंगे।
पाठ्यक्रम समवन्यक डा रेखा पाठक ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम जनरल सर्जरी से संबन्धित समस्याओं पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे पशु चिकित्सकों का आत्मविश्वास स्तर को बढ़ाया जा सके । उन्होंने आगे बताया की पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया है की जनरल सर्जरी से संबन्धित सभी विषयों का इसमें समावेश किया गया है । डॉ रेखा पाठक ने शल्य चिकित्सा विभाग के बारे में बताते हुये कहा कि यहाँ पशुओं फैक्चर एवं शल्य चिकित्सा सम्बन्धी सभी तरह की सुविधायें मौजूद हैं। विभाग द्वारा कई फैक्चर सम्बन्धी डिजाइन एवं पैटेन्ट हासिल किये हैं। विभाग को भारतवर्ष में पशुरोगों के निदान एवं शल्य चिकित्सा के लिए जाना जाता है।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. रोहित कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ अभिजीत पावड़े, डॉ अश्वनी गोपीनाथन सहित विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारीगण मौजूद रहे । बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

