माननीय राज्यपाल महोदया की अध्यक्षता में महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय का 23वाँ दीक्षांत समारोह हुआ सम्पन्न

बरेली, 14 नवम्बर। माननीय राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में कल महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय का 23वाँ दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में सम्पन्न हुआ।
दीक्षांत समारोह के पूर्व महामहिम राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी के द्वारा प्रो0 एस.बी. सिंह सभागार का उद्घाटन किया गया और इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी एवं कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह उपस्थित रहे। स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से बरेली जनपद के कस्तूरबा गांधी विद्यालय के बच्चियों राजदा बी, उपासनी, अंजली शर्मा, अम्बिका कुमारी एवं निकिता का एच0पी0वी0 का टीकाकरण किया गया तथा उन्हें पोषण पोटली प्रदान की गयी।
उक्त के उपरांत माननीय कुलाधिपति/राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने अटल सभागार में आकर स्वर्ण जयंती द्वार, योग वाटिका एवं बहुउद्देशीय स्पोर्ट्स स्टेडियम आदि का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया गया तथा विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट की पुस्तिका, स्पोट्स कम्पेडियम व विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए विद्यालयों के बच्चों के मध्य हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं की रचनाओं की पुस्तिका का विमोचन किया गया तथा प्रतियोगिताओं के विजेता तीन बच्चों को स्कूल बैग/प्रमाण पत्र आदि देकर सम्मानित किया गया तथा पुस्तकें भी प्रदान की गयी।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा मा0 राज्यपाल (झारखण्ड) संतोष कुमार गंगवार को लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड-2025 से सम्मानित किया गया तथा रितु उपाध्याय को हस्तशिल्प में डॉक्टर ऑफ लिटरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मा0 राज्यपाल महोदया द्वारा जिलाधिकारी बरेली व मुख्य विकास अधिकारी बरेली/बदायूं को मेडिकल किट व राजभवन की पुस्तकें प्रदान की गयी।

इस अवसर पर माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी ने अपने दीक्षांत उद्बोधन में कहा कि यह संतोष का विषय है कि हमारी बेटियां शिक्षा और अनुसंधान में प्रगति कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 में अब तक 35 दीक्षांत समारोह में वे सम्मिलित हुई हैं और हर स्थान पर बेटियों को आगे पाया है।
उन्होंने कहा कि लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड एक प्रेरक परम्परा का सूत्रपात है, जिसके प्रथम प्राप्तकर्ता इसी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र व झारखण्ड के राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार जी है जो एक गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि सीखना एक सतत प्रक्रिया है जो मात्र शिक्षा तक सीमित नहीं है। सपने वो नहीं होते जो नींद में आते हैं, सपने वो होते हैं जो व्यक्ति को लक्ष्य प्राप्ति तक सोने नहीं देते हैं इसलिए कर्म को अपना धन बनाईए। उन्होंने कहा कि आपको समाज के उत्थान और बेहतरी के लिए अपने ज्ञान के उपयोग के साथ सीखने की लालसा रखनी चाहिए। मुझे यकीन है कि आप में से प्रत्येक के अलग-अलग सपने हैं, लेकिन निश्चित रूप से आपको अपने सपनों और आकांक्षाओं को कभी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि यही आकांक्षाएं हैं जो आपको उपलब्धियों के उच्च स्तर तक ले जाएंगी और आपके जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाएंगी। यदि आप बड़ा सोचने और दृढ़ विश्वास के साथ समय पर कार्य करने के लिए तैयार हैं, तो सफलता आपकी होगी। इस प्रयास में अकादमिक संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है और वे विचार और नवाचार की प्रयोगशाला हैं। विश्वविद्यालयों को अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से समर्पित प्रयोगशाला स्थल बनाने की आवश्यकता है ताकि छात्र विश्वविद्यालय छोड़ने से पहले मूल्यवान अनुभव प्राप्त कर सकें। विशिष्ट क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अन्य शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान संगठनों के साथ संयुक्त कार्यक्रम तैयार किए जाने चाहिए।
उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक सौ पचासवीं जयंती पर राष्ट्र को एकीकृत करने के उनके अथक प्रयास की सराहना की। महामहिम राज्यपाल ने विवेकानंद जी के उच्च आदर्शों को अपने जीवन में उतारने हेतु छात्र छात्राओं को प्रोत्साहित किया तथा वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर वर्ष पर्यन्त कार्यक्रमों को आयोजन किए जाने हेतु कहा।
मा0 राज्यपाल महोदया द्वारा विश्वविद्यालय का सत्र नियमित करने के लिए समय पर परीक्षाएं कराने और बैक पेपर परीक्षा की समाप्ति की ओर विश्वविद्यालय के कुलपति का ध्यान आकर्षित किया गया। अंत में उन्होंने सभी 94 सभी स्वर्ण पदक प्राप्त छात्र छात्राओं एवं 111 पीएचडी उपाधि धारकों को भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी और देश के प्रति कार्य करने और अपने शिक्षा संस्थान एवं अभिभावकों का नाम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम का अंत राष्ट्रगान के साथ हुआ।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

