यूपी बीजेपी अध्यक्ष का नाम तय, गोयल-तावड़े की उपस्थिति में कल नामांकन, परसो ऐलान संभव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (BJP) को उसका नया प्रदेश अध्यक्ष अगले दो दिनों में मिल जाएगा। दिल्ली में चले कई दिनों के मंथन के बाद नाम तय हो गया है। शनिवार को नामांकन की औपचारिकता पूरी होगी और अगले दिन यानी रविवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े की उपस्थिति में नए अध्यक्ष का नाम ऐलान कर दिया जाएगा। भाजपा की तरफ से गुरुवार की शाम अध्यक्ष के चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर पिछले कई दिनों से चली आ रही अटकलों को विराम लगा दिया गया।
प्रदेश भाजपा के संगठन चुनाव प्रभारी डॉ. महेंद्रनाथ पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए नामांकन 13 दिसंबर को होंगे और 14 दिसंबर को निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को प्रदेश अध्यक्ष चुनने के लिए केंद्रीय चुनाव अधिकारी बनाया गया है। वह कल यानी 13 दिसंबर को राजधानी लखनऊ पहुंचेंगे।पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े की उपस्थिति में नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
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इन दोनों वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं की लखनऊ में मौजूदगी से यह स्पष्ट है कि नए अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से और केंद्रीय नेतृत्व की मोहर के साथ ही होगा। इससे ठीक पहले वर्तमान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद से ही सियासी गलियारों में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया था। आधिकारिक कार्यक्रम जारी होने के बाद चुनाव की अटकलों पर भी विराम लग गया।

ऐसे होगा नामांकन और निर्वाचन
यूपी बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में राज्य परिषद के सदस्यों (मंडल स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के प्रतिनिधि) का एक निर्वाचक मंडल भाग लेता है। हालांकि, सहमति से ही चुनाव होता आया है। केंद्रीय नेतृत्व नाम तय करता है और उसका अकेले नामांकन होने के बाद निर्विरोध निर्वाचन होता रहा है। प्रदेश परिषद के सदस्यों की सूची के साथ चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। कल यानी 13 दिसंबर को निर्धारित प्रक्रिया के तहत दोपहर दो से तीन बजे के बीच नामांकन होगा। तीन से चार बजे के बीच नामांकन पत्रों की जांच होगी। चार से पांच बजे के बीच नामांकन पत्र वापस लिए जा सकेंगे। अगले दिन 14 दिसंबर को एक बजे अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों की आधिकारिक घोषणा होगी। मतदान की स्थिति दुर्लभ ही है। यदि कई उम्मीदवार नामांकन भरते हैं और सर्वसम्मति नहीं बनती है तो निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा मतदान कराया जा सकता है। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की इच्छा के अनुसार निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा होना लगभग तय माना जा रहा है।
प्रदेश परिषद सदस्य की अहम भूमिका
प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भाजपा के आंतरिक संविधान के तहत होता है। प्रदेश परिषद सदस्य इस चुनाव में मतदाता (Voter) की भूमिका निभाते हैं। प्रदेश परिषद के सदस्य मिलकर प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल का गठन करते हैं। यदि चुनाव में एक से अधिक उम्मीदवार खड़े होते हैं तो ये सदस्य मतदान करते हैं। हालांकि, भाजपा में अक्सर केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से केवल एक ही उम्मीदवार नामांकन भरता है और प्रदेश परिषद सदस्य उस नाम पर सर्वसम्मति व्यक्त कर निर्विरोध चुनाव की घोषणा करते हैं। ये सदस्य मंडल और जिला स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं की राय के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव तक पहुंचते हैं। यानी प्रदेश परिषद सदस्य वे अधिकृत प्रतिनिधि होते हैं जो प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान करते हैं या सर्वसम्मति से उनके नाम को अनुमोदित करते हैं।
पिछड़ा वर्ग पर दांव की संभावना
विपक्षी दलों खासकर समाजवादी पार्टी के ‘PDA’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण की काट खोजने में जुटी भाजपा अपना नया प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग (OBC) से चुन सकती है। अध्यक्ष के लिए प्रमुख चेहरों में केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति और बीएल वर्मा शामिल हैं। हालांकि अन्य सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की भी संभावनाओं पर विचार केंद्रीय नेतृत्व कर रहा है। इसमें ब्राह्मण चेहरे पर दांव भी लग सकता है। ऐसे में योगी की पहली सरकार में डिप्टी सीएम रहे दिनेश शर्मा का नाम भी चल रहा है।

