लता मंगेशकर से विवाद के बाद ओ.पी. नैयर ने कभी नहीं किया उनके साथ काम, इस वजह से नाराज थे संगीतकार
पुराने जमाने में कई ऐसे गायक और संगीतकार हुए जिन्होंने अपनी संगीत से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। इनमें से एक नाम ओमकार प्रसाद नैयर, जिन्हें ओ.पी. नैयर के नाम से जाना जाता है, का है। 16 जनवरी को उनकी जयंती के अवसर पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं।
संगीत की दुनिया में कदम रखने की कहानी
ओ.पी. नैयर का जन्म 16 जनवरी 1926 को लाहौर में हुआ था। उन्हें संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली थी, लेकिन उन्होंने अपनी धुनों में शास्त्रीय रागों का इतना सुंदर इस्तेमाल किया कि उनकी कला को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उन्होंने कभी शास्त्रीय संगीत की विधिवत पढ़ाई नहीं की। संगीत के प्रति उनके जुनून ने उन्हें जल्दी ही फिल्म इंडस्ट्री में एक पहचान दिलाई।
17 साल की उम्र में नैयर ने संगीत की दुनिया में कदम रखा और एचएमवी के लिए एक कबीर वाणी रचनित की थी, हालांकि वह रिकार्ड नहीं हो पाई। इसके बाद उन्होंने एक निजी एल्बम ‘प्रीतम आन मिलो’ कंपोज किया, जिसे सी.एच. आत्मा की आवाज में गाया गया। इस एल्बम से उन्हें सिनेमा और संगीत जगत में पहचान मिली।
लता मंगेशकर के साथ विवाद
ओ.पी. नैयर और लता मंगेशकर के बीच विवाद 1952 में आई फिल्म ‘आसमान’ से हुआ। लता मंगेशकर से गाने का अनुबंध किया गया था, लेकिन रिकार्डिंग के समय वह तय समय पर नहीं पहुंच पाईं। बाद में लता ने नैयर से कहा कि उनकी नाक में समस्या थी और डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी थी। इस पर ओ.पी. नैयर ने उनसे कहा कि जो समय पर नहीं पहुंच सकता, उसका उनके लिए कोई मतलब नहीं है। इस विवाद के बाद लता ने कह दिया कि वह उस संगीतकार के लिए नहीं गा सकतीं, जो समय की कद्र नहीं करता। इसके बाद, राजकुमारी ने वही गाना ‘मोरी निंदिया चुराए गयो’ गाया।
अपनी शर्तों पर काम करने वाले ओ.पी. नैयर
ओ.पी. नैयर हमेशा अपनी शर्तों पर काम करते थे। लता से विवाद के बाद शमशाद बेगम ने उनका साथ दिया, और उन्होंने गीता दत्त और आशा भोंसले से गाने शुरू कराए। उनकी धुनों में पंजाबी लोक संगीत और रिदम का जो खास तड़का था, वह आशा भोंसले की आवाज से पूरी तरह मेल खाता था।
फिल्म ‘आर-पार’ और ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ के बाद ओ.पी. नैयर ने संगीत की दुनिया में और अधिक सफलता हासिल की। फिल्म ‘नया दौर’ में उन्होंने आशा भोंसले और रफी के साथ मिलकर गाने कंपोज किए, जिनका संगीत बहुत पॉपुलर हुआ।
सबसे ज्यादा फीस लेने वाले संगीतकार की संघर्ष भरी कहानी
ओ.पी. नैयर ऐसे संगीतकार थे जिन्होंने विभिन्न वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल अपनी धुनों को अलग पहचान देने के लिए किया, जैसे हारमोनियम, सितार, गिटार, बांसुरी, तबला, ढोलक, संतूर और माउथआर्गन। इसके अलावा, वह होम्योपैथी और ज्योतिष के भी अच्छे जानकार थे। हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपने घर तक बेचना पड़ा। बावजूद इसके, उन्होंने कभी अपने फैसलों पर पछताया नहीं और अपने आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ते गए।
ओ.पी. नैयर का संगीत हमेशा ही लोगों के दिलों में बसा रहेगा और उनकी अनूठी धुनें आज भी संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध करती हैं।