AIIMS दिल्ली की झोली में एक और सफलता, अब कम समय में भरेंगे मरीजों के जख्म
AIIMS Delhi : बदलते समय के साथ-साथ अब दिल्ली का एम्स भी बदल रहा है। हाल ही में एम्स की तरफ से एक नई पहल की शुरूआत की गई है। जिसके अनुसार अब एम्स में जख्मों को मिनटों में भरा जाएगा। एम्स की इस नई डेवेलप की गई मशीन से घाव पर बार-बार पट्टी बदलने की भी जरूपत नहीं पड़ेगी और कुछ ही समय में मरीजों को दर्द से भी आराम मिल जाएगा। कुछ दिनों पहले ही एम्स ने अपनी इस नई मशीन को तीसरे एनुअल रिसर्च डे पर प्रेजेंट किया। इस मशीन का लॉन्च करते हए एम्स ने दावा किया है कि यह मशीन मार्केट में आने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
डायबिटीज मरीजों को मिलेगा नई मशीन से फायदा
नई मशीन के बारे में जानकारी देते हुए एम्स ट्रॉमा सेंटर के सर्जिकल विभाग की प्रफेसर डॉ. सुषमा सागर ने बताया कि स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बायो डिजाइन के साथ करार के तहत दो फेलोज ने एम्स ट्रॉमा सेंटर में जॉइन किया था। दोनों ने टेक्नोलॉजी गैप की जांच की गई और इसके बाद मशीन का बनाया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि बड़े जख्मों और डायबिटीज के मरीज को अब बार-बार पट्टी बदलने और दर्द की परेशानी से छूटकारा मिलेगा। डॉ. सुषमा ने बताया कि यह मशीन अपने दोनों ही ट्रायल में सफल रही है। साथ ही पहले जहां मरीजों के जख्मों को भरने में एक से दो महीने का समय लगता था , अब वह जख्म केवल 15 से 20 दिनों में भर जा रहे हैं।
इस तरह काम करती है मशीन
AIIMS की बनाई गई नई मशीन के काम करने के तरीके बारे में डॉ. सुषमा ने बताया कि एक मशीन का इस्तेमाल एक ही मरीज पर किया जा सकता है। जहां पर जख्म होता है, वहां पर मशीन का ट्यूब लगा पार्ट चिपका दिया जाता है, और मशीन एक कंटेनर में लगा रहता है। यह ट्यूब जख्म से निकलने वाले पस को खींच लेती है और कंटेनर में मौजूद केमिकल उसे सॉलिड बना देता है। वहीं दूसरा ट्यूब बाहर से जख्म तक ऑक्सीजन पहुंचाता है, जो जख्म को भरने में मददगार साबित होता है। इससे पस का रिसाव नहीं होता और मैन पावर भी कम लगती है। इसके अलावा इस काम में पहले मरीज को काफी दर्द साहना पड़ता था, लेकिन मशीन से यह काम करने पर मरीज को दर्द नहीं होगा। साथ ही उन्होंने बताया कि जल्द इस मशीन का इस्तेमाल अन्य अस्पतालों में भी किया जाएगा।