उत्तर प्रदेश

काल्पनिक नहीं विज्ञान और गणनाओं पर आधारित है ज्योतिषः डा.विपिन शर्मा

बरेली,18 अक्टूबर। बहुमुखी प्रतिभा के धनी बरेली निवासी पं. विपिन शर्मा ने ज्योतिष में अपने शोध पूर्व जन्म एवं कुंडली विश्लेषण विषय पर पीएचडी की उपाधि हासिल की। राजस्थान के उदयपुर स्थित श्री महर्षि वैदिक कालेज ने उन्हें पिछले दिनों पीएचडी की उपाधि के साथ ही गोल्ड मैडल प्रदान किया। ज्योतिष में रिसर्च को बढ़ावा देकर उल्लेखनीय कार्य करने वाले यूएसए के फ्लोरिडा स्थित आईएएमए इंटरनेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से संबद्ध श्री महर्षि वैदिक कालेज भी प्राचीन भारतीय विधा ज्योतिष के अंवेषण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यहां से 40 हजार से ज्यादा स्नातक ज्योतिष की पढ़ाई कर चुके हैं।
आकांक्षा इंक्लेव निवासी पं.विपिन का ज्योतिष से जुड़ाव बचपन से ही रहा है। पिता स्वर्गीय पूर्ण चंद्र शर्मा जाने माने ज्योतिषाचार्य थे। विपिन ने उन्हीं से ज्योतिष का ज्ञान हासिल किया। कुंडली में ग्रह, नक्षत्रों को और अधिक सटीकता से समझने और उनका अंवेषण करने के लिए विपिन ने बरेली कालेज से बीकाम करने के बाद पिता के कहने पर ज्योतिष की विधिवत शिक्षा लेने के लिए श्री महर्षि वैदिक कालेज उदयपुर में प्रवेश लिया। वर्ष 2020 में पीजी डिप्लोमा कोर्स किया और ए प्लस ग्रेड के साथ शास्त्री बने। वर्ष 2021 में ज्योतिषाचार्य के रूप में ए प्लस ग्रेड लेते हुए पीजी डिग्री हासिल की। ज्योतिष में शोध के लिए पं.विपिन ने श्री महर्षि वैदिक कालेज में पूर्व जन्म एवं कुंडली विश्लेषण विषय पर आवेदन किया। कालेज की ओर से आवेदन स्वीकृत होने के बाद यहीं के फैकेल्टी गाइड डा.पवन परमार के निर्देशन में अपना शोध कार्य पूरा किया और गोल्ड मैडल के साथ पीएचडी की उपाधि हासिल की। डा.विपिन इसका श्रेय अपने माता- पिता स्वर्गीय सुमन लता शर्मा और पिता स्वर्गीय पूर्ण चंद्र शर्मा को देते हैं। वे कहते हैं कि इन दोनों के आशीर्वाद और प्रोत्साहन से ज्योतिष जैसे गूढ़ विषय में उनकी रुचि हुई और उन्होंने इस विषय में शोध कर इसे वैज्ञानिकता के साथ आम लोगों के बीच ले जाने का फैसला किया। गाइड डा.पवन परमार ने शोध को पूर्ण करने में काफी मदद की। हां पीएचडी पूर्ण करने में दोनों भाई रचित और सुमित और पत्नी चारुल शर्मा व बेटे सार्थक शर्मा वासु का योगदान भी कम नहीं, जिन्होंने मुझे इसके लिए समय निकालना संभव बनाया। डा.विपिन कहते हैं कि ज्यादातर लोग ज्योतिष को काल्पनिक मानते हुए अंधविश्वास की नजर से देखते हैं, जबकि यह पूरी तरह वैज्ञानिक और गणित का विषय है। गणनाएं जितनी सटीक होंगी, ज्योतिष में पूछे गए सवाल भी उतने ही सही होंगे। ज्योतिष में हमारे ऋषियों ने काफी योगदान दिया है। प्राचीन शास्त्रों में काफी कुछ इस विषय पर उपलब्ध है, लेकिन ज्यादातर कुंडली देखने वाले स्वाध्याय और ज्ञान के अभाव में गणनाओं में त्रुटि करते हैं, इससे आम लोगों के बीच ज्योतिष के बारे में भ्रम फैलता है। आज अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित आईएएमए इंटरनेशनल ओपन यूनिवर्सिटी ज्योतिष के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। देश में भी कई संस्थानों में ज्योतिष पर रिसर्च जारी है। लगातार इस विषय पर शोध होने के चलते उम्मीद है कि यह प्राचीन भारतीय विद्या फिर से स्वर्णिम शिखर पर पहुंचेगी। ———– ——————– —— बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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