एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में विश्व फैटी लिवर दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम
बरेली,12जून। फैटी लिवर तेजी से बढ़ती हुई वैश्विक महामारी है। आरंभ में लक्षण स्पष्ट न होने से लिवर के खराब होने की जानकारी नहीं होती। दूसरे या तीसरे चरण में पहुंचने पर फैटी लिवर के लक्षण प्रतीत होते हैं। तभी इसके बारे में पता चलता है। यही वजह है कि यह तेजी से बढ़ता जा रहा है। फैटी लिवर से पीड़ित 70 फीसदी रोगी मोटापे से ग्रस्त मिलते हैं। 75 फीसदी को टाइप 2 डायबिटीज और 20-80 फीसदी में हाइपरलिपिडिमिया से ग्रसित होते हैं। अनियंत्रित होने पर फैटी लिवर लिवर सिरोसिस से लेकर लिवर कैंसर तक की वजह बन सकता है। आरंभिक चरणों में फैटी लिवर का पूरी तरह निदान संभव है। बस इसके लिए सक्रिय जीवन शैली और संतुलित खानपान की जरूरत है। यह बात एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में विश्व फैटी लिवर दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कही।
एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के जनरल मेडिसिन विभाग की गैस्ट्रोएंटरोलॉजी यूनिट द्वारा “विश्व फैटी लिवर दिवस” पर स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में सुबह मरीजों के लिए स्वास्थ्य जांच एवं परामर्श कैंप लगाया गया और शाम को एमबीबीएस के विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक व्याख्यान हुए। विशेष स्वास्थ्य जांच शिविर में मरीजों को फैटी लिवर से संबंधित समस्याओं की जांच, परामर्श और आहार संबंधी सुझाव प्रदान किए गए। मरीजों को खानपान में सावधानियां बरतने, फास्ट फूड का सेवन छोड़ने और खाने में फल और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया। विशेषज्ञों ने सक्रिय जीवन शैली के साथ नियमित एक्सरसाइज अपनाने की भी सलाह दी। शाम को फैटी लिवर और इसका प्रबंधन विषय पर शैक्षणिक व्याख्यान हुआ। व्याख्यान की थीम खाना ही दवा है पर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. वत्स गुप्ता ने फैटी लिवर का परिचय देने के साथ इसके संबंध में मुख्य जानकारियों की जानकारी दी। उन्होंने अन्य दिल, डायबिटीज और अन्य गंभीर बीमारियों पर फैटी लिवर के दुष्प्रभावों को बताया। लिवर के खराब होने के चरणों की जानकारी के साथ इससे होने वाले नुकसान को भी बताया। एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डा. श्रुति शर्मा ने मेटाबोलिक सिंड्रोम की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने मोटापा क्या है से अपना व्याख्यान आरंभ किया और इसकी वजहों की भी जानकारी दी। शरीर में चर्बी के वितरण और बीएमआई से इसकी जांच पर भी उन्होंने विस्तृत जानकारी दी। रेडियोलॉजिस्ट डा. नीरज प्रजापति ने फैटी लिवर की इमेजिंग और हालिया प्रगति पर प्रस्तुति दी। उन्होंने फैटी लिवर की विभिन्न जांच तकनीकों के बारे में व्याख्यान दिया। फैटी लिवर क्राइटेरिया के बारे में बताया और कहा कि आरंभ में लक्षणों के स्पष्ट न होने से इसकी जानकारी नहीं होती और यही वजह है ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनका लिवर फैटी है। ऐसे में नियमित जांच करवाना जरूरी है। गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डा. शिवम गुप्ता ने फैटी लिवर के निदान और उपचार पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने हर मरीज के लिए अलग अलग निदान को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि सभी के उपचार में एक ही बात कॉमन है और वह है विटामिन ई का सेवन। डा.शिवम ने कहा कि लिवर फैटी होने पर दवाइयां तो आवश्यक हैं ही लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है सक्रिय जीवन शैली और संतुलित खानपान। खानपान में फाइबर, प्रोटीन को बढ़ाने के साथ नियमित एक्सरसाइज से लिवर को फैटी होने से रोका जा सकता है। व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता जनरल मेडिसिन विभाग की एचओडी डा. स्मिता गुप्ता ने की। इस अवसर पर कॉलेज के प्रिंसिपल एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, डीन यूजी डा.बिंदु गर्ग, डा. शरद जौहरी, डीएसडब्ल्यू डा.क्रांति कुमार, डा.विद्यानंद, डा.मीनाक्षी जिंदल, डा.हर्षित अग्रवाल, सहित विभिन्न विभागों के फैकल्टी सदस्य, सीनियर रेजिडेंट्स और जूनियर रेजिडेंट्स के साथ एमबीबीएस विद्यार्थी उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
