बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में ‘हिंदी पखवाड़ा उत्सव 2025’ के अंतर्गत हुआ हिंदी कार्यशाला एवं टंकड़ प्रतियोगिता का आयोजन

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 19 सितंबर को हिंदी प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित ‘हिंदी पखवाड़ा उत्सव 2025’ के अंतर्गत हिंदी कार्यशाला एवं टंकड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और उसके महत्व के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है। साथ ही यह राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक जागरूकता को भी बढ़ावा देता है।
हिंदी कार्यशाला के दौरान मुख्य वक्ता के तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर विभाग के प्रो. पुनीत मिश्रा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. बलजीत कुमार श्रीवास्तव एवं डॉ. शिव शंकर यादव उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त करने के साथ हुई। इसके पश्चात डॉ. बलजीत कुमार श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया।
मुख्य वक्ता प्रो. पुनीत मिश्रा ने ‘हिंदी और नई कृत्रिम मेधा विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि आज के समय में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। एक समय था जब एआई का उपयोग केवल निर्णय लेने तक ही सीमित था, परंतु वर्तमान परिदृश्य में इसकी भूमिका कहीं अधिक व्यापक और प्रभावशाली हो गई है। अब यह प्रश्न महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि एआई के माध्यम से भाषा और ज्ञान को किस प्रकार समृद्ध बनाया जाए, ताकि समाज के व्यापक हित में इसका उपयोग हो सके। भारत ने एआई के क्षेत्र में तीव्र गति से प्रगति की है और यही कारण है कि वह वैश्विक स्तर पर एआई से जुड़े महत्वपूर्ण मंच ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन एआई (GPAI) की अध्यक्षता कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमें एथिकल एआई को अपनाना चाहिए, क्योंकि यदि इसका उपयोग गलत दिशा में हुआ तो भविष्य में यह मानवता के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। अपने वक्तव्य में प्रो. मिश्रा ने ट्यूरिंग टेस्ट, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP), मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, एथिकल एआई और एआई से संबंधित विविध सॉफ़्टवेयर की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने यह भी कहा कि एआई का विकास तभी सार्थक है जब इसे मानव मूल्यों, नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ जोड़ा जाए, जिससे यह केवल तकनीकी उन्नति का साधन न रहकर सामाजिक परिवर्तन और ज्ञान-विकास का माध्यम भी बन सके।
इस अवसर पर आयोजन समिति की ओर से टंकड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें समन्वयक के तौर पर श्री फूलचंद्र यादव उपस्थित रहे । इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य आधुनिक तकनीक और डिजिटल माध्यमों पर हिंदी के उपयोग और आधिकारिक व शैक्षणिक कार्यों में हिंदी के सहज प्रयोग को बढ़ावा देना है।
अंत में डॉ. शिव शंकर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न शिक्षक, गैर शिक्षण कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
