वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पर एसआरएमएस मेडिकल कालेज में लगा कैंप
बरेली,19मई। एसआरएमएस मेडिकल कालेज में शनिवार को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे) पर निशुल्क स्वास्थ्य जांच कैंप लगाया गया। मेडिसिन विभाग की ओर से लगाए गए इस कैंप में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, एचबीएवनसी, लिपिड प्रोफाइल, थायराइड, किडनी फंक्शन टेस्ट, यूरीन एल्बुमिन क्रिटेनिन रेशियो, पेरीफेरल न्यूरोपैथी, बीएमडी की निशुल्क जांचें की गईं। कैंप में 275 लोगों ने जांच करवाई। इनमें 12 मरीज ऐसे मिले जो कई वर्षों से शुगर नियंत्रित करने की दवाई ले रहे थे। जांच में फिर भी उनकी शुगर अनियंत्रित मिली। जांच में अधिक शुगर मिलने वालों को भी शुगर ज्यादा होने की जानकारी नहीं थी। कैंप में हाइपरटेंशन के 28 नए मरीजों मिले। इन्हें जांच रिपोर्ट आने से पहले ब्लड प्रेशर ज्यादा होने की जानकारी नहीं थी। यह बात कैंप के कोआर्डिनेटर और मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा.दीपक दास ने दी।
डा.दीपक दास ने बताया कि कैंप में 15 फीसद मरीजों ऐसे मिले, जिनके बीएमडी टेस्ट में हड्डियां खोखली होने का पता चला। 30-40 वर्ष के अधिकांश युवाओं में आस्टियोपोरेसिस की जानकारी मिली। यह सब अनियमित असक्रिय दिनचर्या, असंतुलित खानपान की वजह है। यह “साइलेंट किलर” कहे जाने वाले उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, दिल की परेशानियों के गंभीर खतरे की सबसे बड़ी वजह है। फिर भी अधिकांश लोग इसके अनजान रहते हैं जब तक कि जटिलताएं उत्पन्न न हो जाएं। इस गंभीर स्थिति से जागरूक करने के लिए वर्ष 2017 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ हाइपरटेंशन की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य रक्तचाप की व्यापक जांच के माध्यम से हाइपरटेंशन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। जिसके तहत हर वर्ष 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम मेजर योर बीपी, कंट्रोल इट, लिविंग लांग रखी गई है। डा.दीपक ने कहा कि भारत में उच्च रक्तचाप की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। 1990 में शहरी क्षेत्रों में इसकी व्यापकता 12–15% और ग्रामीण क्षेत्रों में 5–7% थी। 2024 तक यह दर बढ़कर 29.8% हो चुकी है। शहरी क्षेत्रों में यह 25% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी 21.4% तक पहुँच गई है। सामान्यतः पुरुषों में उच्च रक्तचाप की प्रवृत्ति महिलाओं से थोड़ी अधिक देखी जाती है, लेकिन रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद महिलाओं में इसकी दर पुरुषों से अधिक हो जाती है। आज के समय में 30 वर्ष से ऊपर के लगभग सभी लोग हाइपरटेंशन के जोखिम में हैं। इसके प्रमुख कारणों में बैठे-बैठे काम करना, तनावपूर्ण जीवनशैली, व्यायाम की कमी, अत्यधिक नमक और फास्ट फूड का सेवन, तथा नींद की कमी शामिल हैं। अब तो ग्रामीण भारत में भी हाइपरटेंशन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाइपरटेंशन की समय रहते पहचान, उपचार और जीवनशैली में बदलाव अत्यंत आवश्यक हैं ताकि हृदय रोग और संबंधित जटिलताओं से बचा जा सके। कैंप में मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डा.स्मिता गुप्ता, डा.एमके मेहरोत्रा, डा.श्रुति शर्मा, डा.वली मुहम्मद, डा.आरके टंडन, डा.जहीन इलियास, डा.प्रतीक सिंह और अन्य फैकेल्टी मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट