गोसेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों द्वारा मण्डल स्तरीय अनुश्रवण मूल्यांकन समिति की बैठक आयोजित

बरेली, 03 मई। मा0 अध्यक्ष गोसेवा आयोग श्याम बिहारी गुप्ता की अध्यक्षता में कल मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित गोवंश संरक्षण, गोसेवा आयोग की बैठक, मण्डल स्तरीय अनुश्रवण मूल्यांकन समिति की बैठक सर्किट हाउस में सम्पन्न हुई।
बैठक में गोसेवा आयोग के मा0 उपाध्यक्ष महेश शुक्ल, मा0 सदस्य रमाकांत उपाध्याय, राजेश सिंह सेंगर, दीपक गोयल सहित मा0 विधायक कैंट संजीव अग्रवाल, भाजपा महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना, अधिकारियों में जिलाधिकारी अविनाश सिंह, मुख्य विकास अधिकारी जग प्रवेश, मुख्य वन संरक्षण अधिकारी, अपर निदेशक पशुपालन व सम्बंधित मण्डल स्तरीय अधिकारीगण उपस्थित रहे।
बैठक में अपर निदेशक पशुपालन ने अवगत कराया कि मण्डल में 621 गौशालाएं हैं, जिसमें से 60347 पशु संरक्षित हैं। 22 वृहद गौ संरक्षण केन्द्र निर्माणाधीन हैं। वर्तमान में 32 वृहद गौ संरक्षण केन्द्र मण्डल में संचालित हैं। सहभागिता योजना के अन्तर्गत मण्डल के चारों जिलों में लक्ष्य से ज्यादा कार्य किया गया है।
बैठक में अवगत कराया गया कि लोग दान के माध्यम से बहुत भूसा दें रहे हैं। इसके अतिरिक्त भूसे और साइलेज का टेंडर भी हो गया है। गौशालाओं में चौकीदार व गोसेवकों की भी नियुक्ति की गयी है व अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही है। बैठक में अवगत कराया गया कि मण्डल में नंदी गोशालाएं भी बनवायी गयी हैं। जनपद बरेली में तीन, बदायूं में एक व शाहजहांपुर में तीन नंदी गोशालाएं है।
बैठक में अपर निदेशक ने मा0 अध्यक्ष महोदय से गौशालाओं की बाउंड्रीवाल हेतु बजट दिलाने की अपील की। गर्मी से पशुओं के बचाव हेतु निर्देशित किया गया।
बैठक में मा0 अध्यक्ष गोसेवा आयोग ने कहा कि गोसेवा आयोग के बने हुए छः माह हुए हैं, आयोग के सदस्यों द्वारा विभिन्न जनपदों में गौशालाओं का निरीक्षण व अनुश्रवण किया है। उन्होंने कहा कि झांसी की कान्हा गौशाला आकर्षण का केन्द्र है वहां आमजन बच्चों के जन्मदिन और विवाह की वर्षगांठ पर जाते हैं।
बैठक में निर्देश दिए गए कि सहभागिता योजना को वास्तविक रूप से किसानों को समझाएं, जिससे किसान भाई योजना का लाभ ले सकें और वह गाय के गोबर से खाद व बायोगैस बना सकें। बैठक में वन विभाग को गौशालाओं में वर्षा के मौसम में वृक्षारोपण किये जाने के निर्देश दिए गए। सहभागिता योजना के अन्तर्गत किसको- किसको गोवंश दिए गए उसकी सूची प्रदर्शित की जाए। कितना भूसा दान आया है इसका भी रिकार्ड भी रखा जाए तथा भूसे की कम पड़ने वाली मात्रा का टेण्डर किया जाए। पशुओं को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए उन्हें रेडियम बेल्ट पहनायी जाए।
बैठक में अध्यक्ष महोदय द्वारा बताया गया कि आज गौशालाओं का निरीक्षण व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के उद्देश्य से किया गया है। चूंकि ग्राम प्रधान व सचिवों के पास काफी कार्य रहता है अतः गौशालाएं स्वयं सेवी संस्थाओं को संचालन हेतु सौंपी जाएं। गौशाला गाय का स्थान नहीं है उसका स्थान किसान के आंगन में है। गौशालाओं को गौ आधारित प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण केन्द्र बनाया जाए।
बैठक में अध्यक्ष महोदय ने बताया कि पूरे प्रदेश में 09 लाख 58 हजार स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, जिसमें 01 करोड़ 18 लाख सदस्य महिलाएं हैं जिन्हें प्राकृतिक खेती का राष्ट्रीय अभियान से जोड़ा जाना है। इस हेतु कृषि सखी की नियुक्ति की जा रही है जो जीवामृत बनाने का कार्य करेंगी और प्रकृति को बचाएंगी। गौआधारित प्राकृतिक खेती करने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाए और गौशालाओं में बायोगैस संयंत्र लगाए जाएं। निकट भविष्य में भोजन का संकट आने वाला है, खेती का रकबा हर साल कम हो रहा है। मनरेगा के अन्तर्गत लोगों को पक्का कैटल शेड, यूरिन टैंक व नाद बना कर दिया जाए।
मा0 अध्यक्ष ने कहा कि गाय बहुत उपयोगी है, मृत मृदा खेती को स्वस्थ मृदा बनाने के लिए गायों के गोबर और गौमूत्र उपयोगी है इससे लोगों के थाली में केमिकल मुक्त भोजन जाएगा। हर किसान के पास कम से कम एक गाय अवश्य होनी चाहिए।
बैठक में जिलाधिकारी ने आश्वस्त किया कि मा0 समिति द्वारा दिए गए निर्देशों का शतप्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। किसानों व स्वयं सहायता समूहों को जीवामृत बनाने का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा व गौशालाओं में वृक्षारोपण भी कराया जाएगा।
इस अवसर पर तहसील आंवला के ग्राम खनगवां श्याम में गौशाला की संचालिका को गोबर से उत्कृष्ट उत्पाद बनाए जाने पर सम्मानित किया गया।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट