करियर

अद्रिभु: पहाड़ों से सेहत और परंपरा का संगम

प्रकृति के खजाने से भरे उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में पारंपरिक और जैविक खेती से तैयार उत्पादों को दुनिया तक पहुँचाने का जिम्मा उठाया है अद्रिभु पहाड़ी एडिबल्स ने। यह ब्रांड न सिर्फ सेहतमंद खाद्य उत्पाद उपलब्ध करा रहा है, बल्कि पहाड़ों की पारंपरिक खेती को भी संरक्षित कर रहा है। अद्रिभु के उत्पादों में हिमालयी भांग के बीज का तेल, हल्दी, जख्या (जंगली सरसों), बिच्छू घास (कण्डली) और अन्य प्राकृतिक उत्पाद शामिल हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं।

पहाड़ी खेती की चुनौतियाँ और परंपरा
पहाड़ों में खेती आसान नहीं होती। यहाँ की ज़मीन उबड़-खाबड़ होती है और आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग कठिन होता है। खाद, पानी और कटाई से लेकर भंडारण तक हर काम पारंपरिक तरीकों से किया जाता है। पलायन और जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान जैसी चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। बावजूद इसके, पहाड़ी खेती के ये अनमोल उपहार आज भी अपनी शुद्धता और गुणों के कारण अद्वितीय हैं।

प्राकृतिक खजाने: स्वास्थ्य और स्वाद का अनोखा मेल
हिमालयी भांग (हेम्प)
भांग सदियों से पोषण और औषधीय गुणों के लिए पहचानी जाती है। इसके बीज प्रोटीन, ओमेगा फैटी एसिड और आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर होते हैं। भांग का तेल, आटा, फाइबर और हेम्पक्रीट (पर्यावरण-अनुकूल निर्माण सामग्री) के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।

पहाड़ी हल्दी
गढ़वाल की हल्दी अपनी तीव्र सुगंध और उच्च तेल सामग्री के कारण खास है। यह पूरी तरह जैविक पद्धति से उगाई जाती है, जिससे इसके औषधीय गुण बरकरार रहते हैं।

बिच्छू घास (हिमालयन स्टिंगिंग नेटल)
यह पहाड़ी जड़ी-बूटी एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भरपूर है। यह शरीर को डिटॉक्स करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।

जख्या (जंगली सरसों)
यह पहाड़ी व्यंजनों का अहम हिस्सा है और पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होती है। इसके बीजों से तड़के में अनोखा स्वाद आता है।

अद्रिभु: सेहत और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्ध
अद्रिभु केवल शुद्ध और जैविक उत्पाद ही नहीं देता, बल्कि इसकी इको-फ्रेंडली पैकेजिंग भी इसकी खासियत है। इसमें बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, क्राफ्ट पेपर, हेम्प पेपर, कॉर्क और ग्लास का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता।

अद्रिभु का हर उत्पाद सिर्फ सेहत का ख्याल नहीं रखता, बल्कि पहाड़ी परंपराओं, मेहनती किसानों और प्रकृति के प्रति सम्मान का भी प्रतीक है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------