रुहेलखंड विश्वविद्यालय में ‘विरासत से विकास-योग की भूमिका’ पर परिचर्चा
बरेली,03जून। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय (एमजेपीआरयू) में योग-विषयक कार्यक्रमों की श्रृंखला के क्रम में कल ‘विरासत से विकास-योग की भूमिका’ विषय पर गहन परिचर्चा का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय परिसर के शिक्षा एवं सहबद्ध विज्ञान संकाय सभागार में सोमवार सुबह 11 बजे से आयोजित किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.के पी सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में हुई। परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार और विशिष्ट अतिथि के तौर पर एमजेपीआरयू के डायरेक्टर रिसर्च प्रो. आलोक श्रीवास्तव ने योग के विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
परिचर्चा में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के पी सिंह ने कहा कि योग ना सिर्फ व्यक्ति के शरीर पर प्रभाव डालता है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी उसका विकास करता है। यही वजह है कि आज पूरी दुनिया योग को अपना रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग का महत्व समझा और उनकी ही देन है कि आज दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा है।
कुलपति प्रो.के पी सिंह ने कहा कि योग भारत का है और पूरी दुनिया में इसकी पहचान भारतीय संदर्भ में ही बने, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। हमें योग और इससे मिलने वाले लाभ को वैज्ञानिक और प्रमाणिक साक्ष्यों के साथ भारतीय दर्शन की पृष्ठभूमि में दुनिया तक विभिन्न प्रकाशनों इत्यादि के माध्यम से पहुंचाना चाहिए। इसके लिए उच्च गुणवत्ता का कंटेंट, वीडियो, लिटरेचर आदि तैयार करके दुनिया तक अच्छे और सुलभ संचार माध्यमों के द्वारा पहुंचाया जाना चाहिए।
मुख्य वक्ता प्रो. सुरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में योग के आरंभ से लेकर वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में इसके बढ़ते महत्व, योग ने कैसे मानव जीवन को एक नई दिशा दी और योग की विस्तृत यात्रा पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि योग हमारी प्राचीन विरासत का एक अभिन्न अंग है और यह आज व्यक्तिगत और सामूहिक विकास के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभर रहा है। कहा कि विकास के लिए शरीर और मन का स्वस्थ होना पहली प्राथमिकता है और इसकी प्राप्ति योग के माध्यम से सहज ही हो जाती है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि योग का आधार पूरी तरह वैज्ञानिक है। आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम पर गहरा प्रभाव डालते हैं। प्राणायाम और ध्यान हमारे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह बातें वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुकी है और कई बड़े जर्नल्स में यह बात प्रकाशित हो चुकी है।
योग परिचर्चा के इस कार्यक्रम की संयोजक शिक्षा एवं सहबद्ध विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. सुमित्रा कुकरेती रहीं। अनुप्रयुक्त दर्शन शास्त्र और योग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ए के सिंह ने सह-संयोजक की भूमिका निभाई। उन्होंने कार्यक्रम में आए कुलपति, मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के साथ वहां उपस्थित शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के प्रति आभार जताया।
प्रो. ए के सिंह ने कहा कि यह परिचर्चा योग में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहद खास रही। इसमें विषय के विद्वानों के माध्यम से योग की आरंभ से वर्तमान तक की यात्रा और हमारे जीवन में इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानने का अवसर मिला।
कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर के अनुप्रयुक्त दर्शन शास्त्र विभाग द्वारा संचालित योग विज्ञान में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं ने योग अभ्यास का शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कई कठिन योगाभ्यासों को मुस्कराते हुए करके दिखाया जिसने उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सह संयोजक प्रो. ए के सिंह ने योग का प्रशिक्षण ले रहे छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि निकट भविष्य में उनके लिए अनंत संभावनाएं हैं क्योंकि आने वाले समय में योग का दायरा और भी व्यापक होगा और छात्र-छात्राओं के लिए स्वास्थ्य लाभ के साथ रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। इस सफल आयोजन के लिए उन्होंने योग विभाग के शिक्षकों, छात्र-छात्राओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित भी किया।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षक, शिक्षिकाएं, रिसर्च स्कॉलर, योग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.सेतवान, असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंका शाक्य, हिमांशु जायसवाल, तपन वर्मा सहित नॉन टीचिंग स्टाफ के सदस्य समेत तमाम योग प्रेमी मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट