महाकुंभ 2025 पर डॉ प्रेम स्वरूप का लेख
144 वर्ष बाद महाकुंभ प्रयागराज में आया तो सभी सनातनी उमंग उत्साह से भर गए। लेकिन अधिक उम्र के लोग कोई सीने पर हाथ रखकर और कोई घुटनों को सहलाते हुए सोचने लगे, “हे भगवान कितनी ज़्यादा ठंड पड़ रही है।” ऐसा सोचते हुए मौसम और भीड़ के अनुकूल हो जाने इंतजार करने लगे।
लेकिन जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ते जा रहे थे, स्नानार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही थी।
प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे थे। ऐसे में जैसे आग से आग पर क़ाबू पाया जाता है जाम से जाम को नियंत्रित करने की योजना प्रशासन ने बनाई और प्रयागराज से २५-३० किलोमीटर दूरी पर ही आनेवाले वाहनों को रोक दिया
परिणाम स्वरूप धार्मिक आयोजन के कारण विश्व का सबसे बड़ा ३०० किलोमीटर तक लम्बा यातायात जाम लग गया।
सौभाग्य पूर्ण अवसर को रेत के कणों जैसा फिसलता अनुभव करने वाले वरिष्ठ श्रद्धालुओं के लिए सुबह शाम संगम की चर्चा में दिल बहलाने के सिवा कुछ और नहीं रह गया था।
ऐसे में दो दिन की उखड़ी नींद की रातों के बाद बीती शाम को जो मैं बिस्तर में पड़ा तो गहरी नींद में सो गया।
स्वप्न में मैंने देखा कि मैं कमर तक गहरे जल में हजारों श्रद्धालुओं के साथ डुबकी लगा रहा हूँ।
तभी स्नानार्थियों से त्रिवेणी संगम स्थल ख़ाली कराने की उद्घोषणा होती है। संन्यासियों का अमृत स्नान प्रारंभ होने को है। मैंने जल्दी से संगम से बाहरआने का उपक्रम किया।
यह देखकर मैं चकित हो गया हूँ कि संगम नोज़ पर मैं जहाँ हूँ वहाँ पर पक्का घाट बना हुआ है। संगम नोज़ तक पहुँचने के लिए पीपा पुल की जगह एक एक पक्का चौड़ा पुल गंगा और यमुना दोनों ओर से बना हुआ है।
हम सभी स्नानार्थी श्रद्धालुओं द्वारा शीघ्रता से संगम नोज़ और पक्का पुल ख़ाली करवा दिया गया है। अमृत स्नान के लिए संत महात्माओं की सवारी आने की घोषणा की जा रही है।
भक्तों में संतों के दर्शन के लिए उत्साह चरम पर है।
यहाँ भी हर की पौड़ी और राम की पैड़ी की तर्ज़ पर मीलों लम्बा पक्का घाट बना हुआ है जहाँ अभी भी स्नानार्थी स्नान कर रहे हैं। अखाड़ों का क्रम स्नान की घोषणा लगातार की जा रही है।
नदी के किनारे किनारे पूरे घाट की लम्बाई में ११ किलोमीटर डॉमर रोड देख कर मन में कौतुहल हो रहा है और वृद्ध, बालक, महिला तथा दिव्यांग लोगों के आवागमन के लिये बैटरी चालित निशुल्क वाहन उपलब्ध हैं।
मैं कैंप की दिशा में शासकीय प्रदर्शनी की ओर जाने वाले वाहन पर बैठकर आसानी से प्रदर्शनी द्वार पर पहुँच गया। वहाँ बड़े बड़े स्क्रीन पर वीडियो और माडलों द्वारा कुम्भ के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व को प्रदर्शित किया गया था। महाकुंभ की तैयारियों में शासन प्रशासन ने पिछले बारह वर्षों में जो तैयारियाँ की थीं उनको दर्शाया गया था। श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए कितनी बुलेट ट्रेन, वायुयान सेवाएँ, एयरटैक्सी, द्रोन टैक्सी, बस सेवा का क्या-क्या और कितना विकास किया गया है ये सब प्रदर्शित किया गया था। प्रयागराज में दर्जनों ५०-५०, और कई १००मंजिला होटलों का निर्माण सरकारी और निजी कंपनियों द्वारा किया हुआ है बताया गया था।
विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के महाकुंभ की सफलता के लिए प्राप्त संदेशों को दर्शाया हुआ था। किस किस देश के राजनयिकों ने महाकुंभ में स्नान की इच्छा व्यक्त की थी और उनके आगमन की संभावना थी सब दर्शाया गया था। सनातन के महान संतों ने उदारता पूर्वक उनके आगमन की कामना की सराहना करते हुए स्वीकृति प्रदान की थी अर्थात् ये महाकुंभ महोत्सव अंतरराष्ट्रीय अवसर बन कर पूरी मानवता के लिए आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक बन चुका है।
मैं तृप्त मन से वापस लौट रहा हूँ।
रेल और रोड मार्ग से आगमन और वापसी करने वालों के अलग अलग विशाल एवं आच्छादित गलियारों की व्यवस्था है।
यहाँ निकलते हुए कुछ फ़ोटो स्टूडियो के बोर्ड दिखाई दिए तो एक स्टूडियो पर मैं रुक गया मैंने वहाँ अपना यादगार चित्र खिंचवाया। स्टूडियो मालिक ने कहा कि वह इसी के साथ संगम के बीच की मेरी सेटेलाइट से खींची थ्री डी तस्वीर का पोस्टर भी मेरे पते भेजेंगे और इसके लिए ‘ऐ आई तकनीक’ से वह सेटलाइट से मेरी तस्वीर सर्च कर लेगा।
महाकुंभ का पुण्य स्नान करके मैं सकुशल प्रसन्नचित्त घर पहुँच गया हूँ। मेरे फ़ोटो अभी अभी कूरियर से आये है।
घर के सभी लोग मुझे फ़ोटो में ढूँढना चाह रहे हैं। फ़ोटो पर लिखा हुआ है ‘महाकुंभ स्नान २१६९’।इसी खींच-तान में मेरा स्वप्न टूट गया।
दूरदर्शन पर समाचार आ रहा है कि भीड़ और जाम पर नियंत्रण लगभग प्राप्त कर लिया गया है। मैं महाकुंभ स्नान के लिए आगामी दिनों में कब जाना उपयुक्त होगा इस विषय पर विचार करने परिवार के साथ बैठ गया हूँ। हर हर गंगे।
डॉ०प्रेम स्वरूप, लखनऊ।