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संगीत समारोह के लिए इंग्लैंड से एसआरएमएस रिद्धिमा पहुंचे प्रसिद्ध वायलिन वादक जौहर अली खान

 

बरेली,14 जनवरी। पटियाला घराने के संस्थापक अली बख्श जनरैल के पोते और रामपुर घराने के प्रसिद्ध वायलिन वादक गौहर अली खान के पुत्र जौहर अली खान एसआरएमएस रिद्धिमा में रविवार (12 जनवरी 2025) को आयोजित संगीत समारोह में इंग्लैंड से बरेली पहुंचे। पेरिस में संयुक्त राष्ट्र की 60वीं वर्षगांठ पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के साथ यूनेस्को में विभिन्न देशों के बीच संवाद के लिए धुन बनाने वाले जौहर अली ने रिद्धिमा में करीब डेढ़ घंटे की अपनी प्रस्तुति में भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न पहलुओं को छुआ। उनके हाथ में थमी वायलिन के तारों से देऱ शाम तक बंदिशें निकलती रहीं, रागों के फूल खिलते रहे और श्रोताओं के दिल, दिमाग और आत्मा को सुकून देते रहे। गौहर अली ने अपनी प्रस्तुति के दौरान संगीत के विभिन्न पहलुओं, देश की समृद्ध और वैभवपूर्ण संस्कृति पर बात भी की।

श्रोताओं से भरे रिद्धिमा के आडिटोरियम में संगीत समारोह का आगाज गणेश वंदना से हुआ। अपनी टीम के साथ जौहर अली ने इसे प्रार्थना सबसे पहले करूं वंदन अपने गणपति गणेश की से किया। अब मैं किसी की न करूं पूजा मैं तो श्याम राम में डूबा के बाद जौहर अली ने राग मधुवंती के कोमल स्वर में झनक झनक पायल मोरी बाजे की बंदिश को प्रस्तुत किया। इसी बंदिश ब्रिटिश वायलिन वादकों की तरह से पेश कर उन्होंने श्रोताओं की तालियां बटोरीं। राग गुणकली में बंदिश पेश करने के बाद मैनचेस्टर स्थित एशियन स्कूल आफ म्यूजिक के विजिटिंग प्रोफेसर जौहर अली ने कहा कि हमारे देश की शास्त्रीय संगीत की परंपरा महान और समृद्धशाली है। देश से बाहर जाकर, विदेश से देखने इसका वैभव नजर आता है। लेकिन इसके बारे में कुछ शब्दों में बताना बेहद मुश्किल है। विश्व में हमारा देश ही इकलौता ऐसा देश है जहां पर शास्त्रीय संगीत की दो परंपराएं, पद्धतियां चलती हैं। यह मान्य भी हैं। हम सब संगीतकारों को विदेश में इसे साबित करना पड़ता है। शास्त्रीय संगीत को आगे बढ़ाने के लिए जौहर अली ने युवाओं से आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अच्छा लगता है जब युवाओं को अपने साथ मंच साझा करते हुए देखते हैं। आज रिद्धिमा में यहां के युवा कलाकारों को साथ देख कर अच्छा लग रहा है। जौहर अली ने अपने संगीतप्रेमी परिवार की भी बात की। उन्होंने अपने दादा अली बख्श जनरैल और पिता प्रसिद्ध वायलिन वादक गौहर अली खान के शास्त्रीय संगीत में योगदान का भी जिक्र किया। आल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के लिए पिता द्वारा बनाई सिग्नेचर ट्यून को भी श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया। जौहर अली ने विभिन्न प्रदेशों की पहचान बनी धुनों को वायलिन से प्रस्तुत कर किया हैरान कर दिया। पेरिस में यूनेस्को की 60वीं वर्षगांठ पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के दौरान विभिन्न देशों के बीच संवाद के लिए संयुक्त राष्ट्र किए बनाई धुन का भी उन्होंने जिक्र करने के साथ प्रस्तुत भी किया। दुबई, चीन, सिंगापुर, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इटली के संगीतकारों द्वारा इसी धुन की कापी को भी उन्होंने वायलिन से प्रस्तुत किया। विभिन्न प्रदेशों की पहचान बनी धुनों को वायलिन से प्रस्तुत करने के साथ दमादम मस्त कलंदर से उन्होंने तालियां बटोरीं। अंत में श्रोताओं की गुजारिश पर उन्होंने रागों पर आधारित फिल्मी धुनों को भी प्रस्तुत किया। संगीत समारोह में रिद्धिमा के गुरु सूर्यकांत चौधरी ने वायलिन पर और स्नेह आशीष दुबे ने गायन के जरिये जौहर अली का साथ निभाया और शानदार जुगलबंदी से अपने और रिद्धिमा दोनों के लिए आशीर्वाद भी हासिल किया। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, आदित्य मूर्ति जी, उषा गुप्ता जी, डा.रजनी अग्रवाल, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार, डा.आलोक खरे सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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