मौत से तेज न दौड़ पाया पिता, पुल बंद था, बीमार बेटे को गोद में लेकर भागा; लेकिन…
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले अपने देश की एक डरावनी तस्वीर तो देखिए…। हमीरपुर के पठकाना मोहल्ले में रहने वाले एक पिता के पास इतने रुपये भी नहीं थे कि बुखार पीड़ित सात साल के बेटे के लिए दवा खरीद सके। उसने घर में रखी पुरानी (एक्सपायर) दवा ही अनजाने में खिला दी। बेटे की तबीयत बिगड़ी तो गांव वालों ने 20 हजार रुपये चंदा करके दिए। पिता रविवार शाम बेटे को लेकर अस्पताल के लिए निकला। यमुना पुल पर ट्रैफिक बंद होने से पैदल ही बेटे को गोद में लेकर दौड़ा। लेकिन वह मौत से तेज नहीं दौड़ पाया। सोमवार की शाम को बेटे की कानपुर के हैलट अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
मरम्मत की वजह से यमुना पुल शनिवार सुबह से 48 घंटे के लिए बंद था। शाम को इस पुल से एक झकझोर देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। हालांकि ‘लाइव हिन्दुस्तान’ वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। वीडियो में एक पिता बीमार बेटे को गोद में लेकर तेजी से पुल पार करता हुआ दिखाई दे रहा था। बच्चे के हाथ में वीगो लगा था। 900 मीटर लंबे इस पुल को पिता ने पहले तो पैदल चलकर पार करने की कोशिश की, लेकिन बेटे की तकलीफ को देखते हुए करीब 600 मीटर के हिस्से को उसने दौड़कर पार किया।

पता चला कि बेटे को लेकर दौड़ने वाला पठकाना मोहल्ले का रहने वाला नसीम है। नसीम ने बताया कि सात साल के बेटे जुनैद को दवा रिएक्शन कर गई थी और उसकी हालत बिगड़ गई थी। पुल पार करने के बाद वह वाहन से कानपुर पहुंचा और रात में बेटे को एक प्राइवेट अस्पताल ले गए। यहां के डॉक्टरों ने तो भर्ती करने से मना कर दिया गया। इसके बाद बेटे को दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराया। आराम न मिलने पर इस अस्पताल ने भी हाथ खड़े कर दिए। नसीम के मुताबिक सोमवार दिन में बेटे को लेकर हैलट पहुंचे। शाम करीब चार बजे उसकी मौत हो गई।
मोहल्ले वालों ने चंदा कर दिए थे रुपये
नसीम कबाड़ का काम करता है और बेहद गरीब है। कई दिन से जुनैद बीमार था। नसीम के मुताबिक उसने अनजाने में घर में रखी बुखार और दर्द की पुरानी दवा खिला दी। इससे उसकी हालत और बिगड़ गई। नसीम के आर्थिक हालात देखते हुए पड़ोसियों ने चंदा करके उसे 20 हजार रुपये दिए। हालांकि जुनैद को बचाया नहीं जा सका। जुनैद चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा था और पहली कक्षा का छात्र था।