एसआरएमएस रिद्धिमा में गूंजे लोक संगीत में डूबे लोकगीत
बरेली। एसआरएमएस रिद्धिमा में कल रविवार की शाम लोक संगीत और लोक गीतों के नाम रही। जहां एक से से बढ़ कर एक लोकगीतों को स्वर मिले, जिसे श्रोताओं ने सराहा और वाहवाही की। कार्यक्रम फोक संगीत का आरंभ गायन के विद्यार्थियों वंदना दुग्गल खन्ना, अंशुमा अग्रवाल, शालिनी पांडेय, नंदिता पाठक, गौरी गोयल, शोभित ने लोक गीत बेडू पाको बारो मासा से किया। इसके बाद विद्यार्थियों ने भूमरो भूमरो श्याम रंग, माई नी मिरीये शिमले, मन रे मजुरवा नाचे, बाजरे दा सिट्टा जैसे लोकगीतों को अपने स्वरों से सजाया। गायन के विद्यार्थीत डा.अनुज कुमार ने फिल्म नदिया के पार का मधुर लोकगीत कौन दिसा में लेके को अपने स्वरों से सजाया। भरतनाट्यम गुरु रोबिन ने भूमि ओरू पूर्डनदोइतटर्डम पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। गायन गुरु प्रियंका ग्वाल और तनय भट्टाचार्य ने पिदाले पोलाशेर बोन को अपने स्वर दिए। गुरु प्रियंका ग्वाल और अतिथि इंदू परडल ने पल्ला सिपाइया डोगरियो को प्रस्तुत किया। अतिथि गायक डा.रीटा शर्मा ने सइयां मिले लड़काइयां को और डा.इंदू परडल ने दमादम मस्त कलंदर को अपनी आवाज से सजाया। गायन गुरु केसरिया बालक आवो नि और गायन गुरु प्रियंका ग्वाल ने ऐजा ऐजा रे योडाना का पार लोकगीत को अपने स्वर दिए। अपने वाद्ययंत्रों के के माध्यम से इंस्ट्रूमेंटल गुरु उमेश मिश्रा (सारंगी), सूर्यकांत चौधरी (वायलिन), टुकमनी सेन (हारमोनियम), हिमांश चंद्रा (मंडोलिन व बैंजो), सुमन बिस्वास (तबला), अमर नाथ (ढोलक), सूरज पांडेय (बांसुरी), अनुग्रह सिंह (कीबोर्ड) ने वाद्ययंत्रों के जरिये अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के सचिव आदित्य मूर्ति जी, ऋचा मूर्ति जी, सुभाष मेहरा, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार और शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट