आईवीआरआई में चार महत्वपूर्ण परियोजनाओं का शुभारम्भ
बरेली, 08 नवंबर। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान), नई दिल्ली, डा. राधवेन्द्र भटटा, तथा सहायक महानिदेशक (पशु विज्ञान) डा. दिवाकर हेमाद्री, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने आईवीआरआई में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के चार महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों को संस्थान निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त, संयुक्त निदेशक, शोध डा. एस.के. सिंह, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक, डा. एस.के. मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक कैडराड डा. सोहिनी डे परियोजना समन्वयक डा. प्रेमान्शु दंडपत, डा. राजवीर सिंह पवैया, डा. प्रवीण कुमार गुप्ता, डा. अमरपाल तथा अन्य उपस्थित विभागाध्यक्षों, वैज्ञानिकों छात्रों की उपस्थिति में लॉंच किया। इसके पश्चात वी.वी.एस.सी तथा बी.टैक में नवागत छात्रों के लिए ओरियेंटेशन कार्यक्रम का भी आयोजन किया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की चार महत्वपूर्ण परियोजनाओं में श्वानों पर उन्नत अनुसंधान परियोजना, अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम के अर्न्तगत पशुओ की चुनौतीपूर्ण और उभरती बीमारियाँ (एआईएनपी-सीईडीए); अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम के अन्तर्गत पशुजन्य रोगों के लिए एक स्वास्थ्य (एआईएनपी-ओएचडी) तथा जीनोम संपादन प्रौद्योगिकी द्वारा पशुधन स्वास्थ्य एवं उत्पादन हेतु नेटवर्क परियोजना सम्मिलित हैं।
उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान), नई दिल्ली, डा. राधवेन्द्र भटटा ने संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण तथा ऐतिहासिक है क्योंकि आज राष्ट्र की चार महत्वपूर्ण परियोजनाओं का शुभारम्भ किया गया। इन परियोजनाओं में लगभग 80 करोड़ का बजट प्रस्तावित है तथा देश के 100 से ज्यादा संस्थान इन परियोजनाओं में अपनी भागीदारी करेंगे। उन्होंने कहा कि आज प्रमुख चार परियोजनायें जिनमें श्वानों पर उन्नत अनुसंधान परियोजना बहुत महत्वपूर्ण परियोजना है इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम के अर्न्तगत पशुओ की चुनौतीपूर्ण और उभरती बीमारियाँ (एआईएनपी-सीईडीए); अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम के अन्तर्गत पशुजन्य रोगों के लिए एक स्वास्थ्य (एआईएनपी-ओएचजेडडी) तथा जीनोम संपादन प्रौद्योगिकी द्वारा पशुधन स्वास्थ्य एवं उत्पादन हेतु नेटवर्क परियोजना से पशु रोगों के अनुसंधान, निदान तथा नैदानिक विकसित करने में मद्द मिलेगी।
सहायक महानिदेशक (पशु विज्ञान) डा. दिवाकर हेमाद्री, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस संस्थान में प्रवेश लेना गर्व की बात है यह संस्था एशिया में ख्याति प्राप्त संस्थान है मुझे खुशी है कि मैं भी इस संस्थान का पूर्व एल्मुनायी रहा हूँ। उन्होंने कहा कि यह परियोजनायें बहुत महत्वर्पूण हैं क्योंकि इन परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से हमें पशु रोगांे के संक्रामक/गैर संक्रामक रोगों के प्रबंधन के विशेष क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए एक अत्याधुनिक सुविधा विकसित की जाएगी साथ ही साथ उभरती बीमारियों की महामारी विज्ञान, मेजबान-रोगजनक संपर्क और रोगजनक जीव विज्ञान में अंतर्दृष्टि का अध्ययन करना, उभरते और चुनौतीपूर्ण रोगजनकों के निदान और टाइपिंग के लिए आणविक विधि विकसित करने में सहायता मिलेगी।
संस्थान निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि पशु चिकित्सा विज्ञान का यह गौरवमयी संस्थान है जो अपनी प्राचीन विरासत को आगे बढ़ाते हुए 135 वर्ष पूर्ण कर चुका है। हमारे संस्थान के आधारभूत संरचनाओं तथा अनुभव को देखते हुये हमें इन परियोजनाओं के समन्वय करने की जिम्मेदारी मिली है जिसके लिए मैं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक तथा उपमहानिदेशक का आभारी हूुँ जिन्होंने इन परियोजनाओं के लिए हमें चयनित किया। डा. दत्त ने कहा कि वर्तमान में संस्थान में 161 शोध परियोजनाओं कियान्वित हैं तथा 5 अंतराष्ट्रीय परियोजनाओं जिनका मुख्य फोकस जलवायु परिवर्तन है। उन्होंने कहा कि संस्थान बहुत रिच पोर्ट पोलियों हैं तथा संस्थान द्वारा बहुत सी तकनीकें विकसित की गयी हैं जो पशुधन सेक्टर में प्रयोग की जा रही हैं।
इसके पश्चात वी.वी.एस.सी तथा बी.टैक में नवागत छात्रों के लिए ओरियेंटेशन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया ।
संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डा. एस.के मेंदीरत्ता ने कहा कि वीबीएसी का यह 7वां बैच है इसमें आठ पेमेंट शीट हैं तथा दो एनआरआई छात्रों के लिए निर्धारित की गयी हैं। डा. मेंदीरत्ता ने कहा कि संस्थान में एजुकेशन हब बंग्लौर एवं हिसार में बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि उपमहानिदेशक पशु विज्ञान ने हमे छात्रों की हर समस्या में संस्थान का साथ दिया है तथा संस्थान के छात्रों का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हमारे यू.जी एजुकेशन एडमिशन पूर्ण हो चुके हैं तथा पीजी एजुकेशन जनवरी माह से शुरू हो जायेंगे।
संस्थान की संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान में वीबीएससी में 41 तथा कुल मिलाकर 226 छात्र अध्यन्नरत हैं इसके अतिरिक्त 282 छात्र मास्टर डिग्री ले रहें हैं। उन्होंने नवागत छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यहाँ की फैकल्टी बहुत ही अनुभवी है तथा इसका का वातवारण भी बहुत अच्छा है।
संस्थान के बी.टेक बायोटेक कार्यक्रम के बारे में डा. प्रवीण गुप्ता ने भी विस्तार पूर्व जानकारी दी। इस अवसर पर परीक्षा निंयत्रक डा. ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि 1985 में एमवीएससी का प्रथम बैच आरम्भ हुआ था। उन्होंने कहा कि समविश्वविद्यालय एवं लघु कोर्स चलाये जाते हैं।
इस अवसर पर यू.जी. कोडीनेटर डा. रजत गर्ग ने कहा कि इस वर्ष में संस्थान में बीवीएससी के 60 छात्रों ने प्रवेश लिया है तथा अब तक 226 बीवीएससी के छात्र पास आउट हुये हैं। उन्होंने कहा कि इस इस पाठ्यक्रम की अवधि पांच वर्ष छः माह है। उन्होंने कहा कि परीक्षा में बैठने के लिए 70प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक शोध डा. एस.के. सिंह, संयुक्त निदेशक कैडराड डा. मोहिनी सैनी, प्रभारी पीएमई सैल डा. जी.सांई कुमार सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट