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हर सांस में स्वस्थ भारत की उम्मीद, एलर्जी की सही पहचान एवं उपचार से जीवन को स्वस्थ बनायें: प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश।

”सांस की आजादी हर व्यक्ति का अधिकार है। एलर्जी को पहचानें, जीवन को आसान बनायें।“
”बढ़ती एलर्जी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है – आओ मिलकर स्वच्छ एवं स्वस्थ पर्यावरण बनाये।“
”हर सांस में स्वस्थ भारत की उम्मीद है। एलर्जी की सही पहचान एवं उपचार से जीवन को स्वस्थ बनायें।“       प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश।
महत्वपूर्ण तथ्य और संख्यायें:-
एलर्जी पूरे विश्व में स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण विषय है जिसका प्रसार पूरे विश्व में बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
विश्व एलर्जी संगघठन के मुताबिक 30-40 प्रतिषत लोग पूरे विश्व में ।ससमतहल से ग्रसित हैं।
शहरी क्षेत्रों में यह समस्या प्रदूषण और बदलती जीवनशैली के कारण तेजी से बढ़ रही है।
वायु प्रदूषण भारत में प्रतिवर्ष लगभग 16 लाख मौतों का कारण बनता है।
Allergic Rhinitis से लगभग 10-30 प्रतिषत वयस्क एवं 40 प्रतिषत बच्चे ग्रसित हैं।
Food Allergy से लगभग 6-8 प्रतिषत बच्चे एवं 2-4 प्रतिषत वयस्क ग्रसित हैं।
एक अध्ययन के मुताबिक, एलर्जी की दवाइयों में लगभग 4000 करोड़ रुपये का व्यय प्रतिवर्ष होता है।
अस्थमा भी एक प्रकार की फेफड़े की एलर्जी है। जो कि गैर संचारी रोगों में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी में से एक है। इससे पूरे विश्व में लगभग 30 करोड़ व्यक्ति ग्रसित हैं।
अस्थमा से प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 4.5 लाख व्यक्तियों की मृत्यु होती है जबकि इसमें से ज्यादातर मृत्यु को रोका जा सकता है।
अस्थमा से पूरे भारतवर्ष में लगभग 2-5ः व्यक्ति ग्रसित होते हैं।
अस्थमा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होता है।
अस्थमा बच्चों में होने वाली सभी क्रानिक बीमारियों में सबसे प्रमुख कारण है।
अस्थमा से पूरे विश्व में लगभग 14ः बच्चे ग्रसित होते हैं।
अस्थमा से प्रतिवर्ष बच्चों के स्कूल ना जा पाने एवं हास्पिटल में भर्ती होने का सबसे प्रमुख कारण है।
एक अनुमान के मुताबिक पूरे विश्व में 68,300 करोड़ रुपये का व्यय वर्ष 2021 में हुआ था।
Global Asthma Report 2018 के मुताबिक लगभग 6.2 izfrlr भारतीय (07 करोड़ 40 लाख व्यक्ति) अस्थमा से ग्रसित है।
भारत में गैर संचारी रोगों सेे होने वाली सभी मृत्यु में लगभग 10ः लोग अस्थमा में ग्रसित होते हैं।
वायु प्रदूषण, जागरुकता की कमी अस्थमा के Cases को बढाने के लिये महत्वपूर्ण कारक है।
एक अध्ययन के मुताबिक सभी अस्थमा के मरीजों में सिर्फ 5ः व्यक्ति ही अस्थमा के लिये समुचित रूप से इलाज ले पाते हैं।
श्वसन रोग अब देश में बीमारियों और मृत्यु के शीर्ष पाँच प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
अस्थमा एवं एलर्जी के लक्षण-
एलर्जिक रायनाइटिस- इससे रोगियों को जुकाम,खासी, नाक बंद होना, अँाख से पानी आना, गले में खुजली इत्यादि लक्षण दिखते है।
फूड एलर्जी- इसमे विषेष किसी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से मुहॅ एवं होटों पर खुजली एवं सूजन, गले में खुजली, शरीर पर चकत्ते, उल्टी एवं जी मिचलाने जैसे लक्षण दिखते है।
दवाइओं की एलर्जी- इसमे एलर्जी के लक्षण किसी विषेष दवाई से एलर्जिक रोगियों को विषेष दवा के सेवन से हो सकते है।
एलर्जिक कंजक्टिवाटिस- इसमें आॅख में सूजन एवं लाल होना, आॅख में गढ़न, अँाख से पानी आना इत्यादि हो सकता है।
अस्थमा- इसमें खाँसी, सांस फूलना, छाती में सीटी बजना, जकड़ा होना इत्यादि लक्षण दिख सकते है।
एलर्जी एवं अस्थमा का निदान-
Skin Prick Test (SPT) इसमे विभिन्न प्रकार के एलर्जी के तत्व सुई के माध्यम से शरीर में लगाकर उससे होने वाली एलर्जी के लक्षण को देखा जाता है।
खूंन जाॅच – Eosinophilia एवं IgE की जँाच से एलर्जी के बारे में पता लगाया जाता है।
फेफड़े की जाॅच – इसमें देखा जाता है कि फेफड़े किस प्रकार से काम कर रहे है।
मेडिकल डायरी में एलर्जी के लक्षणो को लिखकर ध्यानपूर्वक नोट करने से भी एलर्जी के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकती है  जो कि इलाज मे मील का पत्थर साबित हो सकती है।
एलर्जी अस्थमा का इलाज-
एलर्जी करने वाला तत्व अगर ज्ञात हो सके तो उससे दूर रहे।
डाक्टर की सलाह से एन्टी एलर्जी एवं स्टेराॅयड के सेवन से एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है।
इन्हेलर के समुचित तरह से सेवन से अस्थमा को कारगर तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।
एलर्जी के बारे मे जागरुकता फैलाकर एलर्जी को रोका जा सकता है।
विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को नियंत्रित करके एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है।
इम्यूनोथेरेपी- यह आज की तारीख में एलर्जी का सबसे एडवांस इलाज है परन्तु यह महंगा है और विषेष परिथितियों में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है।
हमारा पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग एलर्जी एवं अस्थमा के क्षेत्र में समुचित निदान एवं इलाज के लिये प्रतिबद्ध है एवं हमारे विभाग में इसके निदान एवं इलाज की परिपूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है। यहाॅ पर अत्याधिक कुशल चिकत्सको एवं स्टाफ की टीम है जो अस्थमा एवं एलर्जी के सम्पूर्ण इलाज के लिये प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध है। यहाॅ एडवान्स फेफड़े की जाॅच, Skin Prick Test (SPT), Immunotherapy, Biologics इत्यादि उपलब्ध है जो इस विभाग को एलर्जी एवं अस्थमा के समुचित इलाज के लिये स्टेट-आफ-आर्ट का दर्जा देती है। विश्वविद्यालय में भारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी आईसीयू (30 बिस्तरों वाला) स्थापित है, जहाँ 85ः से अधिक गंभीर रोगियों की सफल रिकवरी दर्ज की गई है। पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, स्लीप मेडिसिन और एलर्जी अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। यह गर्व की बात है कि ऐसी उत्कृष्ट अकादमिक और क्लिनिकल चिकित्सा सेवाएँ उत्तर प्रदेश जैसे राज्य से निरंतर उभर रही हैं।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने श्वसन चिकित्सा और नवाचार के क्षेत्र में देशभर में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है।
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी ICAAICON 2025 के 59वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का गौरवपूर्वक आयोजन किया जा रहा है। ICAAICON देश का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित मंच है जो एलर्जी, अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में कार्यरत है। यह चार (04) दिवसीय शैक्षणिक कार्यक्रम है, जिसमें 30 अक्टूबर 2025 को पूर्व कान्फ्रेन्स 02 वर्कषाप होगी, जिसमें एक वर्कषाप पी0एफ0टी0 की और दूसरी वर्कषाप एलर्जी के ऊपर होनी है। इसके अतिरिक्त 03 दिन की 31 अक्टूबर 2025 से 02 नवम्बर 2025 को 03 दिवसीय कान्फ्रेन्स आयोजित होनी है। यह सम्मेलन एलर्जी, अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में ज्ञान को आगे बढ़ाने, अनुभवों के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करेगा। इस बार 800 से अधिक प्रतिभागियों और 200़ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की सहभागिता इसे वैज्ञानिक सहयोग का एक ऐतिहासिक अवसर बना रही है।
इस आयोजन का उद्देश्य देश भर के स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को एलर्जी निदान, अस्थमा प्रबंधन, इम्यूनोथेरेपी और बायोलॉजिक्स में नवीनतम प्रगति पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाना है। इस वैज्ञानिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो पूर्ण व्याख्यान, मुख्य भाषण, संगोष्ठियाँ, वाद-विवाद और इंटरैक्टिव पैनल चर्चाएँ करेंगे, जो अत्याधुनिक अनुसंधान और नैदानिक प्रथाओं का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करेंगे।
सम्मेलन-पूर्व कार्यशालाओं में प्रतिभागियों को उन्नत फेफड़े के कार्य परीक्षण, एलर्जी परीक्षण तकनीकों और अस्थमा एवं एलर्जी के ईलाज में जैविक और प्रतिरक्षा-चिकित्सा पद्धतियों के उपयोग का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह सम्मेलन श्वसन चिकित्सा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए केजीएमयू की प्रतिबद्धता और रोगी परिणामों में सुधार हेतु सहयोग को बढ़ावा देने में इसकी अग्रणी भूमिका को रेखांकित करता है।
इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एंड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी (ICAAICON 2025) के 59वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का दूसरा दिन समृद्ध अकादमिक चर्चाओं और वैज्ञानिक उत्कृष्टता का एक और दिन रहा। केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित इस सत्र में एलर्जी] अस्थमा और इम्यूनोलॉजी में उन्नत नैदानिक अभ्यास और सटीक चिकित्सा के विषय पर ध्यान केंद्रित किया गया।
दूसरे दिन की शुरुआत इम्यूनोथेरेपी और एलर्जी प्रबंधन में प्रगति पर सत्रों के साथ हुई, जिसमें एलर्जेन थेरेपी के प्रतिरक्षात्मक आधार] उभरते हुए बायोलॉजिक्स और सटीक निदान पर अंतर्दृष्टि प्रदान की गई। डॉ. ए.के. जनमेजा और डॉ. सुधीर चौधरी की अध्यक्षता में SCIT बनाम SLIT पर हुई बहस में प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
मुख्य आकर्षणों में डॉ. सुरेश कूलवाल और डॉ. एबी सिंह की अध्यक्षता में भारत में वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव पर डॉ. ए.के. जनमेजा द्वारा ICAAI फाउंडेशन व्याख्यान तथा सटीक चिकित्सा के एक प्रोटोटाइप के रूप में एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी पर प्रो. (डॉ.) रूबी पवनकर (जापान) द्वारा व्याखयान शामिल थे।
बाल चिकित्सा एलर्जी और अस्थमा, दवा एलर्जी, और एलर्जी एवं Sleep Medicine पर सत्रों में उभरती नैदानिक चुनौतियों पर चर्चा की गई.
दोपहर की संगोष्ठी में व्यावसायिक और पर्यावरणीय एलर्जी] त्वचा संबंधी एलर्जी और अस्थमा में गहन देखभाल पर चर्चा की गई] जिसमें अस्थमा-सीओपीडी ओवरलैप] एटोपिक डर्मेटाइटिस, कार्यस्थल के खतरे और तीव्र गंभीर अस्थमा प्रबंधन पर केंद्रित चर्चाएँ शामिल थीं।
डॉ. अनुराग त्रिपाठी] डॉ. सचिन कुमार और डॉ. मोहम्मद आरिफ ने अस्थमा में क्रिटिकल केयर पर समापन सत्र का नेतृत्व किया] जिसमें गंभीर अस्थमा में क्रिटिकल केयर और NIV में प्रगति पर प्रकाश डाला गया।
ICAAICON 2025 का दूसरा दिन विचारों और सहयोग के उत्साहपूर्ण आदान-प्रदान के साथ संपन्न हुआ] जो एलर्जी और अस्थमा देखभाल में उत्कृष्टता के लिए सम्मेलन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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